कुवैत में छठीं मंजिल से गिरे भींडर के अधेड़ की मौत
भींडर हेल्प ग्रुप ने मदद कर शव को किया भारत रवाना
भींडर। कस्बे के एक अधेड़ की 3 दिन पूर्व कुवैत में काम करते समय 6 मंजिल इमारत से गिरने के कारण मौत हो गई। शव वहां से भींडर हेल्प ग्रुप के साथियों ने मदद कर बुधवार शाम को रवाना किया जो अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पहुंचा, जहां से परिजन शव लेकर भींडर पहुंचे और अंतिम संस्कार किया गया।
भींडर। कस्बे के एक अधेड़ की 3 दिन पूर्व कुवैत में काम करते समय 6 मंजिल इमारत से गिरने के कारण मौत हो गई। शव वहां से भींडर हेल्प ग्रुप के साथियों ने मदद कर बुधवार शाम को रवाना किया जो अहमदाबाद एयरपोर्ट पर पहुंचा, जहां से परिजन शव लेकर भींडर पहुंचे और अंतिम संस्कार किया गया।
भींडर के नायकवाड़ी मोहल्ले में रहने वाले वरदीचंद मेघवाल (50) पिछले काफी वर्षों से कुवैत में रह कर काम कर रहे थे। 25 जुलाई को एक बहुमंजिला इमारत में छठी मंजिल पर काम करते समय पैर फिसल गया और वरदीचंद नीचे आ गिरा। उसके सिर में गंभीर चोट लगने से उसकी मौके पर ही मौत हो गई। विदेश में मौत होने के बाद शव को भारत भेजने में काफी मुशिकलों का सामना करना पड़ता है, लेकिन कुवैत में रहने वाले भींडर के नागरिकों के भींडर हेल्प ग्रुप ने सहायता राशि एकत्रित कर तुरंत कुवैत प्रशासन से शव का पोस्टमार्टम करवाया और तीन दिन बाद 27 जुलाई शाम को कुवैत से भारत के लिए शव रवाना किया, जो 28 जुलाई को अहमदाबाद पहुंचा। वरदीचंद के शव को भींडर भेजने में रतन सेन, ललित जांगिड़, ऋषभ जैन, सुंदर लाल सुथार, दलीचंद डांगी, श्याम गहलोत, नीलेश व्यास, बाबू मोची, नारायण सेन आदि ने ने सहयोग किया। वरदीचंद मेघवाल पिछले 12 वर्ष से कुवैत में काम कर रहे थे। इनके परिवार में पत्नी, दो पुत्र व एक पुत्री है। वरदीचंद अंतिम बार दिसंबर 2020 में घर आए थे।
सुबह पत्नी से हुई थी बात, दिन में हुई मौत
वरदीचंद ने 25 जुलाई सुबह रोजाना की तरह घर पर फोन लगाया था। पत्नी से बात करके सभी के हालचाल जाने थे, लेकिन दोपहर में यह हादसा हो गया। परिजनों ने मृतक की पत्नी और बच्चों को मौत की बात शव उदयपुर पहुंचने तक नहीं बताई। हालांकि वरदीचंद के छोटे बेटे को सब बता दिया था और वह दोस्तों के साथ शव लेने के लिए अहमदाबाद गया था। जैसे ही पत्नी को वरदीचंद की मौत की खबर दी तो सभी का रो रो कर बुरा हाल हो गया। शव जब घर पर पहुंचा तो कोहराम मच गया, परिजनों ने जैसे-तैसे ढांढस बंधाकर अंतिम संस्कार के लिए अंतिम यात्रा निकाल अंतिम संस्कार किया।
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