ये है सफारिस्तान, जहां चलती हैं तीन सफारियां

ये है सफारिस्तान, जहां चलती हैं तीन सफारियां

लेपर्ड सफारी पसंद करने वाले पर्यटकों की संख्या ज्यादा

जयपुर। गुलाबी नगरी ऐतिहासिक इमारतों के लिए प्रसिद्ध है, तो वहीं वाइल्ड लाइफ के क्षेत्र में भी ये शहर अपनी पहचान बना रहा है। शहर में संचालित लेपर्ड सफारी, लॉयन सफारी और एलिफेंट राइडिंग पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। हालांकि कोरोना के कारण हाथी सवारी के प्रति पर्यटकों का रुझान कम ही देखने को मिल रहा है।
दूसरी ओर झालाना लेपर्ड रिजर्व पर्यटकों की पहली पसंद बनी हुई है। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार यहां लेपर्ड की संख्या तकरीबन 40 बताई जा रही है। प्रदेश में एकलौती लॉयन सफारी भी जयपुर स्थित नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में संचालित है। जहां पर्यटक  दो मादा और एक नर शेर देख सकते हैं।

आंकड़े जनवरी से अक्टूबर तक
लेपर्ड सफारी    -    22,629
लॉयन सफारी    -    6524
हाथी सफारी     -    641


पर्यटकों में लेपर्ड देखने का क्रेज
जयपुर शहर के बीचों-बीच स्थित झालाना लेपर्ड रिजर्व में पर्यटक लेपर्ड देखने की चाह लिए आते हैं। ये सफारी हाथी सवारी और लॉयन सफारी से आगे चल रही है। खासकर वीकेंड में लेपर्ड सफारी फुल रहती है। वन्यजीव प्रेमियों ने पहचान के आधार पर लेपर्ड्स को नाम दिए हैं।

सृष्टि, त्रिपुर व तारा कर रहे अगुवाई
नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क स्थित लॉयन सफारी में दो मादा शेरनी तारा-सृष्टि और शेर त्रिपुर पर्यटकों को अपनी साइटिंग से रोमांचित कर रहे हैं। शहर में लॉयन सफारी पर्यटकों की पसंद के मामले में दूसरे पायदान पर है।

जितने एक सप्ताह में चलते थे, उतने 5 माह में नहीं चले
हाथी सवारी के प्रति विदेशी पर्यटकों में उत्साह रहता है, कोरोना के कारण विदेशी टूरिस्ट बंद है। आलम ये है कि आमेर महल में तकरीबन एक सप्ताह में पर्यटकों को सवारी कराते हुए हाथियों के 500 से अधिक फेरे लग जाते थे, परंतु कोरोना के कारण घरेलू पर्यटक हाथी सवारी के प्रति रूचि नहीं ले रहे हैं। ऐसे में महल के हाथी स्टेण्ड से शुरू होने वाली सवारी के तहत 5 माह के दौरान हाथियों के 641 ही फेरे लग पाए हैं। जानकारी के अनुसार एक हाथी के फेरे के पर्यटकों से 1100 रुपए लिए जाते हैं।

इन्हें किया जा रहा डवलप
नाहरगढ़ और गलता को डवलप किया जा रहा है।  यहां भी सफारी शुरू की जा सके। जानकारी के अनुसार झालाना लेपर्ड रिजर्व से कई लेपर्ड्स ने गलता वन क्षेत्र की ओर रूख किया है। इनमें प्रिंस, ब्लू थंडर, डिस्कवरी, पारो, क्लिओपेट्रा, अर्जुन, करण और तारा सिंह शामिल हैं। इन लेपर्ड्स को वन्यजीव प्रेमियों ने ही नाम दिया है। पिछले दिनों गलता वन क्षेत्र में लगाए गए कैमरा ट्रेप में 15 से 18 लेपर्ड्स की उपस्थित भी दर्ज हुई है। वहीं नाहरगढ़ अभयारण्य में भी तकरीबन 15 लेपर्ड्स की उपस्थिति की बात कही जा रही है।

झालाना लेपर्ड रिजर्व में लेपर्ड्स की संख्या तकरीबन 40 से अधिक है। शावकों की संख्या भी शामिल।
-जनेश्वर चौधरी, रेंजर

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