इमामबारगाहो और खनकाओ में मजलिसों का दौर हुआ शुरू
इस्लाम में मोहर्रम की 9, 10 या 10 ,11 तारीख के 2 रोजे की अहमियत
जयपुर जामा मस्जिद के मुफ्ती सैयद अमजदअली ने बताया इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से मोहर्रम का पहला महीना होता है जैसे कि अंग्रेजी में जनवरी का पहला महीना। उन्होंने बताया जब से दुनिया बनी है तभी से 4 महीने काबिले ऐहतराम है। जिनमें मोहर्रम का महीना एक है ,मोहर्रम की 10 तारीख को आशुरे का दिन कहा जाता है।
जयपुर। इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना मोहर्रम का कहलाता है इमामबाड़ो में ताजियों की सफाई और उनके पूरा करने का काम ताजिएदारों द्वारा पूरा कड़िया जाता है। इस महीने में खानकाओं और इमामबारगाह में मजलिसों का दौर मोहर्रम तक चलता है। जयपुर जामा मस्जिद के मुफ्ती सैयद अमजदअली ने बताया इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से मोहर्रम का पहला महीना होता है जैसे कि अंग्रेजी में जनवरी का पहला महीना। उन्होंने बताया जब से दुनिया बनी है तभी से 4 महीने काबिले ऐहतराम है। जिनमें मोहर्रम का महीना एक है ,मोहर्रम की 10 तारीख को आशुरे का दिन कहा जाता है। उन्होंने बताया इस दिन दुनिया में कई बड़े काम हुए, जैसे आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश और इसी दिन दुनिया में आदम अलैहिस्सलाम को भेजना, दुनिया में पहली बारिश 10 मोहर्रम को ही हुई और 10 मोहर्रम को ही हजरत इमाम हुसैन रजि की शहादत मैदान ए कर्बला में हुई।इस्लाम में इस महीने के 9,10 या 10,11 मोहर्रम के रोजा रखना बताया।
दरगाह मीरजी के बाग सज्जादानशीन डॉ सैय्यद हबीबुर्रहमान नियाज़ी ने बताया चांद देखते ही इमामबाड़ो के दरवाजे खोल दिए जाते हैं ताजियों की साफ-सफाई और उन्हें बनाने का काम पूरा हो जाता है ।उन्होंने कहा इस्लाम में मोहर्रम के महीने की खास अहमियत बताई है इस महीने में इबादत और मजलिसों का दौर चलता है जो 9 मोहर्रम तक रहता है साथ ही फातिहा खवानी होती है। उन्होंने बताया दरगाह मीरजी के बाग में भी मोहर्रम की 1मोहर्रम से 9मोहर्रम तक रोजाना बाद नमाज इशा एक घंटा मजलिस का दौर चलता है ।मजलिस में मैदान ए कर्बला के वाकिया तहसील के साथ बताया जाता है।
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