गड्ढ़े बदलवा देंगे सबकी रीढ़ की हड्डियां
एसएमएस सहित अन्य अस्पतालों में कमर, गर्दन, रीढ़ की हड्डी में दर्द के मरीज बढ़े
एसएमएस अस्पताल में अस्थि रोग विभाग में रोजाना 400 से 500 मरीज आते हैं। इन दिनों कमर दर्द और स्लिप डिस्क के मरीज 50 फीसदी बढ़े हैं। इसमें सबसे ज्यादा संख्या युवा वर्ग की है।
जयपुर। शहर में हर तीसरे बाइक सवार, हर दूसरे ऑटो सवार और हर चौथे कार-जीप सवार को कमर, गर्दन या पीठ का दर्द है। आम दिनों की तुलना में इन दिनों एसएमएस सहित अन्य अस्पतालों में 40 से 50 प्रतिशत रोगी अधिक पहुंच रहे हैं। अस्पतालों में रोगियों की कतारें लगी हैं। फिजियोथैरेपिस्ट इतने व्यस्त हैं कि उन्हें फुरसत ही नहीं। कुछ फिजियोथैरेपिस्ट बता रहे हैं कि गड्ढों के कारण शरीर पर प्रभावित अंगों का हिसाब लगाएं तो ये 85 से अधिक हैं।
ये हैं बचाव
स्पीड कम और नियंत्रित हो।
गड्ढ़ों से बचकर चलें।
कमर दर्द या अन्य दर्द हो तो कुछ दिन रेस्ट करें।
दर्द ज्यादा हो तो डॉक्टर की सलाह से पेन किलर लें।
ज्यादा देर ना करते हुए तुरंत विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें।
दर्द के समय एक्सरसाइज ना करें।
परामर्श लेने के बाद ही एक्सरसाइज करें।
दर्द की प्रकृति के अनुसार गर्म या ठंडे पानी का प्रभावित हिस्सों में सेक करें।
कमर दर्द में हुआ 50 फीसदी इजाफा
एसएमएस अस्पताल के अस्थि रोग विभाग के सीनियर प्रोफेसर और ट्रोमा सेंटर के नोडल ऑफिसर डॉ. अनुराग धाकड़ ने बताते हैं, सड़कों पर काफी गड्ढ़े हैं। इससे झटकों से कमर दर्द की समस्या बेहिसाब बढ़ गई है। एसएमएस अस्पताल में अस्थि रोग विभाग में रोजाना 400 से 500 मरीज आते हैं। इन दिनों कमर दर्द और स्लिप डिस्क के मरीज 50 फीसदी बढ़े हैं। इसमें सबसे ज्यादा संख्या युवा वर्ग की है। पहले की तुलना में अब ऐसे मरीजों की संख्या दोगुनी है। उन्होंने बताया कि गाड़ी चलाते समय शरीर मे जर्क लग जाता है, जिससे कमर दर्द हो जाता है। गड्ढ़ों की वजह से एक्सीडेंट बढ़े हैं और ट्रोमा सेंटर में भी 20 प्रतिशत मरीज एक्सीडेंट के बढ़ गए हैं जिनकी उम्र 18 से 50 साल के बीच है।
सावधानी बरतें, बचाव ही उपाय
नारायणा हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट ऑर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. विजय शर्मा ने बताया कि सड़कों की खस्ताहाल हालत और उस पर बने गड्ढ़ों पर अधिक देर तक और बार-बार मोटर साइकिल व कार चलाने से शरीर की रीढ़ की हड्डी कमजोर हो सकती है। इससे बैक पेन, स्लीप डिस्क, गर्दन में दर्द, कलाई और कंधे में दर्द सहित हड्डियों से जुड़ी कई बीमारियां हो सकती हैं। मोटर साइकिल चलाने पर शरीर का पूरा वजन कमर और गर्दन से जुड़ी रीढ़ की हड्डी पर टिका होता है। गड्डे होने पर या खस्ताहाल होने पर झटके लगते हैं। इससे रीढ़ की हड्डी पर अधिक दबाव पड़ता है। शरीर के जोड़ भी प्रभावित होते हैं। मस्कुलर पेन और भविष्य में साइटिका की परेशानी भी हो सकती है।
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