खेल के माध्यम से आत्मरक्षा के गुर सीख रही बेटियां

राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदकों की लगा चुकी हैट्रिक

खेल के माध्यम से आत्मरक्षा के गुर सीख रही बेटियां

वूशु में कोटा के लड़कों ने ही नही बल्कि लड़कियों ने भी राष्ट्रीय स्तर पर कोटा का परचम लहराया है। कोटा की कई खिलाड़ी ऐसी है जो राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदकों की हैट्रिक लगा चुकी है।

कोटा। वुशू मार्शल आर्ट में आने वाला एक खेल है। जिसे सीखने के बाद लड़कियां अपनी रक्षा खुद कर सकती है और अपने व दूसरों पर आई विपदा का मुंह तोड़ जवाब दे सकती है। भारत व राजस्थान सरकार के भी यही प्रयास है कि बेटियां अपनी हिफाजत स्वयं करने में सक्षम हो। कोटा में रानी लक्ष्मी बाई आत्मरक्षा प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से बेटियों को आत्म निर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। वूशु में कोटा के लड़कों ने ही नही बल्कि लड़कियों ने भी राष्ट्रीय स्तर पर कोटा का परचम लहराया है। कोटा की कई खिलाड़ी ऐसी है जो राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदकों की हैट्रिक लगा चुकी है। उम्र छोटी फिर भी पदकों की भरमार कोटा में भी वुशू खेल में लड़कियों का भी रुझान बढ़ता जा रहा है। मात्र 15 वर्ष की आयु में नीलम कुमावत 2018 में रजत, 2019, 20 व 21 में स्वर्ण पदक प्राप्त कर चुकी है। इसी तरह 14 वर्ष की दिव्यांशी 2019 में स्वर्ण, 2020 में रजत व 2021 में स्वर्ण पदक प्राप्त कर चुकी है। नव्या शर्मा जो अभी 12 वर्ष की है उसने 2018 में कांस्य, 2019 व 21 में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। इसी तरह प्रियांशी गौतम ने मात्र 13 वर्ष की उम्र 1 कांस्य व 2 स्वर्ण पदक राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्राप्त किए। इनके अलावा भी कई खिलाड़ी हैं, जो राष्ट्रीय प्रतियोगिता में लगातार पदकों की झड़ी लगा चुकी हैं। राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में तो कोटा की खिलाड़ियों ने काफी पदक प्राप्त किए हैं।

इनका कहना है......

वुशू खेल में काफी मेहनत की जरूरत होती है। उसने इस खेल में कुछ बड़ा करके अपने देश का नाम रोशन करने का सपना देखा है और उसे ही पूरा करने के लिए जी जान से मेहनत भी कर रही हूं। पहले भी वह पदक लाकर कोटा का नाम रोशन कर चुकी है। -नीलम कुमावत, खिलाड़ी

वुशू में अब लड़कियों की भागीदारी भी बढ़ती जा रही है। इस खेल को ओलंपिक में भी शामिल करना चाहिए। वह राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में खेलते हुए स्वर्ण व रजत पदक जीत चुकी है। अब अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए कड़ा अभ्यास कर रही हूं। -दिव्यांशी, खिलाड़ी

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आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से मेरे माता-पिता ने मुझे इस खेल में सम्मिलित करवाया था। वह राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीत कर कोटा व राजस्थान का नाम रोशन नाम कर चुकी है। अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पदक प्राप्त कर कोटा का परचम लहराना है। -प्रियांशी गौतम, खिलाड़ी

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कम उम्र में ही उसने वुशू खेल की तैयारी शुरू कर दी थी। वह राष्टÑीय प्रतियोगिता में कई पदक ला चुकी है। यहां पर सभी का सहयोग मिल रहा है। इस कारण कई खिलाड़ी अन्तरराष्टÑीय स्तर तक अपनी पहचान बना चुके हैं। वह भी अब कड़ा अभ्यास कर रही है। -नव्या शर्मा, खिलाड़ी

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