नीतीश का नया खेल

जानकारों का मानना है कि नीतीश प्रधानमंत्री पद के दावेदार बनना चाहते हैं

नीतीश का नया खेल

2024 में आम चुनाव होने हैं। अब देखना है कि नीतीश राष्ट्रीय राजनीति में उतरने की कैसी रणनीति बनाते हैं? नीतीश का विपक्ष का चेहरा बनने की राह आसान नहीं होगी, क्योंकि इसकी कतार में विपक्ष के अन्य नेता भी पहले से ही हैं।

बिहार में मंगलवार को अचानक ऐसा घटनाक्रम चला कि जदयू और भाजपा के बीच पांच साल बाद गठबंधन टूट गया  और नीतीश कुमार ने फिर से महागठबंधन का दामन थाम लिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शाम को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया और इसके बाद फिर वे महागठबंधन के नेता चुन लिए गए। बुधवार दोपहर में नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्र्रहण कर ली और उनके साथ ही आरजेडी के नेता व लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। और आखिरकार बिहार में फिर महागठबंधन की सरकार ने नेतृत्व संभाल लिया। मंत्रिमण्डल का अभी गठन नहीं हुआ है। भाजपा व जेडीयू के बीच पिछले कुछ दिनों से मनमुटाव चल रहा था। नीतीश विधानसभा अध्यक्ष से नाराज थे और केन्द्र सरकार की कई नीतियों पर भी उन्हें एतराज था। जब गठबंधन तोड़ने की राजनीति जन्म लेती है तो आरोप-प्रत्यारोप शुरू होने के साथ ही कुछ न कुछ नाराजगी के कारण गिनाए जाते हैं। लेकिन बिहार की सियासत में जो नया खेल शुरू हुआ है उसके पीछे की मुख्य वजह यह मानी जा रही है कि नीतीश कुमार की महत्वकांक्षा अब राष्ट्रीय राजनीति में उतरने की है। राजनीति के जानकारों का मानना है कि नीतीश प्रधानमंत्री पद के दावेदार बनना चाहते हैं। वे विपक्षी एकता की तरफ रणनीति बनाएंगे। महागठबंधन की सरकार को संभालने के बाद उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया कि वे 2024 के बाद मुख्यमंत्री के पद पर नहीं रहेंगे। 2024 में आम चुनाव होने हैं। अब देखना है कि नीतीश राष्ट्रीय राजनीति में उतरने की कैसी रणनीति बनाते हैं? नीतीश का विपक्ष का चेहरा बनने की राह आसान नहीं होगी, क्योंकि इसकी कतार में विपक्ष के अन्य नेता भी पहले से ही हैं। हालांकि नीतीश ने भाजपा से गठबंधन तोड़कर और फिर महागठबंधन में चले जाने से बिहार में भाजपा को बड़ा झटका दे दिया है। महागठबंधन में बिहार के सात विपक्षी दल शामिल हैं और नीतीश को 164 सदस्यों का समर्थन है और भाजपा अकेली पड़ गई है। उम्मीद की जा रही है इतने बड़े बहुमत की सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। राजनीति में अवसर का लाभ उठाने वाले नेताओं में नीतीश कुमार बड़े खिलाड़ी माने जाते हैं और उन्होंने यह एक बार फिर सिद्ध कर दिया है। लेकिन बिहार में नीतीश कुमार की राह आसान नहीं होगी। तेजस्वी यादव संभवत: उन्हें सरकार चलाने की खुली छूट नहीं देंगे। बिहार की राजनीति अब काफी दिलचस्प हो गई है।

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