सिटी पैलेस में 1982 में हुआ एफआईपी का गठन, पहली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए जयपुर ने दी ट्रॉफी
जयपुर के महाराजा मानसिंह की कप्तानी में 1957 में जीता था भारत ने पोलो का वर्ल्ड कप, अब पोता पद्मनाभ टीम में
1933 में महाराजा मान सिंह की अगुवाई में जयपुर पोलो टीम योरोप दौरे पर गई। 33 गोल की इस मजबूत टीम में 7 गोल के राजकुमार प्रीथी सिंह, 8 गोल के रावराजा अभय सिंह, 9 गोल के रावराजा हनूत सिंह और 9 गोल के महाराजा मानसिंह शामिल थे।
जयपुर। इसी साल अक्टूबर में फ्लोरिडा (अमेरिका) के पॉम बीच में पोलो की वर्ल्ड चैंपियनशिप का आयोजन होना है। इसके लिए भारत के खिलाड़ी जयपुर में कैवेलरी मैदान पर कोच समीर सुहाग की देखरेख में तैयारी में जुटे हैं। इनमें पद्मनाभ सिंह भी शामिल हैं। एफआईपी के गठन से पहले पोलो वर्ल्ड कप खेला जाता था। 1957 में फ्रांस में हुए वर्ल्ड कप का खिताब भारत ने जीता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस खेल में भारत की यह अब तक की सबसे बड़ी जीत है। जयपुर के पूर्व महाराजा मान सिंह की कप्तानी में भारत ने फ्रांस वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया। टीम में ठाकुर किशन सिंह, कैप्टन विजय सिंह और रावराजा हनूत सिंह शामिल थे। भारत ने इंग्लैंड, अर्जेन्टीना, स्पेन, मैक्सिको और मेजबान फ्रांस जैसी दिग्गज टीमों को पराजित कर पहली बाल वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया। भारत इसके बाद दोबारा कभी वर्ल्ड कप नहीं जीत सका है।
33 गोल की जयपुर टीम, जो यूरोप दौरे पर अजेय रही
1933 में महाराजा मान सिंह की अगुवाई में जयपुर पोलो टीम योरोप दौरे पर गई। 33 गोल की इस मजबूत टीम में 7 गोल के राजकुमार प्रीथी सिंह, 8 गोल के रावराजा अभय सिंह, 9 गोल के रावराजा हनूत सिंह और 9 गोल के महाराजा मानसिंह शामिल थे। इस टीम ने इंग्लैंड में ओपन चैंपियनशिप के साथ सभी टूर्नामेंट जीते और पूरे दौरे में अजेय रहने का एक नायाब रिकॉड अपने नाम किया।
साठ के दशक में पोलो वर्ल्ड कप बन्द हो गया। 1982 में ग्लेन होल्डन, मार्कोस हुरंगा और पूर्व महाराजा भवानी सिंह के बीच सिटी पैलेस में बैठक हुई और फेडरेशन इंटरनेशनल पोलो (एफआईपी) का उदय हुआ। इसके बाद 1987 में पोलो की पहली वर्ल्ड चैंपियनशिप का आयोजन किया गया। इस वर्ल्ड चैंपियनशिप की ट्रॉफी भी तब जयपुर में ही तैयार हुई और भवानी सिंह ने एफआईपी को यह ट्रॉफी डोनेट की। तब से वर्ल्ड चैंपियन टीम को जयपुर वर्ल्ड कप ट्रॉफी दी जाती है।
पोलो में कर्नल प्रेम सिंह को मिला पहला अर्जुन पुरस्कार
पोलो परिवार में जन्मे कर्नल महाराज प्रेम सिंह की गिनती देश के नामी खिलाड़ियों में की जाती है। दादा महाराज भोपाल सिंह, चचेरे दादा सर प्रताप सिंह और पिता ठाकुर किशन सिंह देश के शीर्ष खिलाड़ियों में शुमार रहे। जोधपुर के प्रेम सिंह देश के ऐसे पहले पोलो खिलाड़ी हैं, जिन्हें 1961 में अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया। दुनियाभर में खेले प्रेम सिंह के नाम एक अनूठा रिकॉर्ड भी दर्ज है। 1959 में इंग्लैंड दौरे पर प्रेम सिंह ने सिर्फ दो हिट में ही गोल दागने का अनूठा रिकॉर्ड बनाया।
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