प्रदेश में हाथियों का एकमात्र गांव जयपुर में, जहां पर्यटक करते हैं इनकी सवारी
12 साल से रंगमाला, चंचल, लक्ष्मी सहित अन्य का नहीं बढ़ा मेहनताना
वर्ल्ड हेरिटेज मॉन्यूमेट की लिस्ट में शामिल आमेर महल में वर्षों से पर्यटक रंगमाला, चंचल, लक्ष्मी सहित अन्य हथनियों सवारी करते आ रहे हैं। आमेर महल में पर्यटकों को हाथी सवारी करा रही हथनियों का मेहनताना 2010 के बाद से नहीं बढ़ा है।
जयपुर। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बने गांवों के नाम तो खूब सुने होंगे, लेकिन राजधानी जयपुर के दिल्ली रोड स्थित इकलौता गांव ऐसा भी है जहां चंचल, रेखा, अनारकली, रानी, शकुंतला, शांति, बिरली, रंगमाला, पदमा, दिलरूबा, रूपकली, जयतारा, लक्ष्मी, राजकली सहित अन्य नामों से पुकारे जाने वाली हथनियां रहवास कर रही हैं। इस गांव को हाथी गांव के नाम से जाना जाता है। जहां तकरीबन 86 से अधिक हथनियां देसी और विदेशी पर्यटकों को हाथी सवारी कराती हैं। इतना ही नहीं वर्ल्ड हेरिटेज मॉन्यूमेट की लिस्ट में शामिल आमेर महल में वर्षों से पर्यटक रंगमाला, चंचल, लक्ष्मी सहित अन्य हथनियों सवारी करते आ रहे हैं। आमेर महल में पर्यटकों को हाथी सवारी करा रही हथनियों का मेहनताना 2010 के बाद से नहीं बढ़ा है।
सरकार शुल्क बढ़ाए तो मिले हाथी मालिकों को राहत
जानकारी के अनुसार महल में हाथी सवारी के दौरान प्रति राउंड पर्यटकों से 1100 रुपए लिए जाते हैं। इसमें पुरातत्व विभाग, हाथी कल्याण कोष सहित अन्य खर्चे काटकर प्रति राउंड हाथी मालिकों के हिस्से में करीब 850 रुपए आते हैं। ऐसे में हाथी मालिकों की मांग है कि महंगाई में एक हाथी पालना बेहद मुश्किल है। ऐसे में सरकार की ओर से हाथी सवारी का शुल्क भी बढ़ाया जाना चाहिए ताकि हाथी मालिकों को राहत मिले। हाथी गांव विकास समिति के अध्यक्ष बल्लू खान ने बताया कि 12 साल से प्रति राउंड हाथी सवारी का शुल्क 1100 रुपए ही है, जिसे बढ़ाया नहीं है। हमने वन मंत्री, क्षेत्रीय विधायक सहित वन विभाग के आला अधिकारियों को पत्र लिखकर अवगत कराया है।
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