संविदा के पहियों पर चल रहे सरकारी कॉलेज, सैकड़ों पद खाली

सरकार आटर्स पर मेहरबान, साइंस-कॉमर्स दरकिनार : कोटा शहर के 8 कॉलेजों में प्रोफेसरों के 169 से ज्यादा पद रिक्त

संविदा के पहियों पर चल रहे सरकारी कॉलेज, सैकड़ों पद खाली

हायर एजुकेशन का हाल ये है कि सिर्फ नामांकन और परीक्षा तक ही छात्र सीमित होकर रह गए हैं। वास्तव में यहां शिक्षा मिल नहीं रही है। कॉलेज डिग्री लेने का स्थान बन गया है। हम बात कर रहे हैं कोटा शहर के 8 राजकीय महाविद्यालयों की।

कोटा। सरकारी शिक्षा को मजबूत करने को लेकर सरकार लाख दावे कर ले, लेकिन इसकी हकीकत किसी से छुपी नहीं है। प्राइमरी शिक्षा हो या फिर हायर एजुकेशन सब की स्थिति खस्ताहाल है। हायर एजुकेशन का हाल ये है कि सिर्फ नामांकन और परीक्षा तक ही छात्र सीमित होकर रह गए हैं। वास्तव में यहां शिक्षा मिल नहीं रही है। कॉलेज डिग्री लेने का स्थान बन गया है। हम बात कर रहे हैं कोटा शहर के 8 राजकीय महाविद्यालयों की। जिनकी स्थापना हुए बरसों बीत गए। इनमें से कुछ कॉलेज तो 100 साल से भी पूराने हैं। महाविद्यालयों की स्थापना के साथ ही शहरवासियों को उम्मीद जगी थी कि अब गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा लेकिन वर्तमान सरकारी व्यवस्था ने उनके सपनों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। प्रोफेसरों के अभाव में कॉलेजों में क्वालिटी एजुकेशन मिलना दूर समय पर सिलेबस पूरा करवाना ही बड़ी बात है। आलम ये है कि 8 महाविद्यालयों में कुल 391 में से 169 प्रोफेसरों के पद रिक्त हैं। शिक्षा से दूर हो रही क्वालिटी विषयवार प्रोफेसरों के पद रिक्त होने से कॉलेजों में शिक्षा का माहौल खत्म होता जा रहा है। उच्च शिक्षा से क्वालिटी दूर होती जा रही है। हालात यह है, यहां बच्चे सिर्फ सालभर में चार बार ही कॉलेज जाते हैं, जिसमें पहली बार कॉलेज में नामांकन कराने, दूसरी बार परीक्षा फार्म भरने व तीसरी बार परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड लेने और चौथी बार परीक्षा देने के लिए पहुंचते हैं। क्योंकि कॉलेज में विषयवार शिक्षकों के पद रिक्त होने से पढ़ाई होती नहीं है।

लिहाजा विद्यार्थी कॉलेजों में दाखिला लेने के पहले ही माइंड सेट कर लेते हैं कि कोचिंग अथवा ट्यूशन के सहारे ही उन्हें पढ़ाई करनी है। फिर कॉलेज के माध्यम से परीक्षा देकर डिग्री हासिल कर लेना है। गवर्नमेंट आटर्स कॉलेज में 34 पद रिक्त शिक्षकों के रिक्त पदों के मामले में शहर के गवर्नमेंट आटर्स कॉलेज की स्थिति अन्य महाविद्यालयों की तुलना में बेहतर है। हालांकि, यहां भी विषयवार शिक्षकों के पद रिक्त हैं। क्षेत्रीय कॉलेज आयुक्तालय से मिले आंकड़ों के अनुसार आटर्स कॉलेज में कुल 107 प्रोफेसरों के पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 73 कार्यरत हैं, जबकि 34 शिक्षकों के पद खाली चल रहे हैं। प्राचार्य डॉ. संजय भागर्व का कहना है, यहां करीब 9 हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, इनके मुकाबले शिक्षकों के पद रिक्त होने से शिक्षा प्रभावित होती है। यहां अंग्रेजी और लोकप्रशासन विषय में 50 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त हैं।

ऐसे में दो या तीन सेक्शन को एक साथ बिठाकर पढ़ाना पड़ता है। सबसे बुरी स्थिति में कॉमर्स कॉलेज शहर के सभी महाविद्यालयों में से सबसे बुरी स्थिति जेडीबी व गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज की है। दोनों कॉलेजों को मिलाकर कुल 64 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 54 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। जेडीबी कॉमर्स की बात करें तो यहां 25 पदों में से मात्र 3 ही शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि 22 पद खाली चल रहे हैं। इसी तरह राजकीय कॉमर्स कॉलेज में कुल 39 में मात्र 7 ही शिक्षक कार्यरत हैं। वहीं, 32 पद लंबे समय से खाली चल रहे हैं। प्रोफेसरों के नहीं होने से यहां नियमित कक्षाएं भी नहीं लग पाती और शैक्षणिक माहौल भी नहीं बन पाता। जिससे महाविद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति भी नहीं रहती है। वहीं, कार्यरत शिक्षक परीक्षाएं करवाने, दस्तावेजों की जांच, एडमिशन प्रक्रिया सहित अन्य कार्यों में व्यस्त रहने से वे शिक्षा में गुणवत्ता के लिए नवाचार भी नहीं कर पाते। इसीतरह विधि महाविद्यालय में भी 2 प्रोफेसरों के पद रिक्त हैं।

साइंस: थ्योरी के साथ प्रेक्टिकल भी प्रभावित प्रोफेसर की कमी से कॉलेज के छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकार में जा रहा है। लेकिन इस कमी को दूर करने के लिए उच्च शिक्षा विभाग गंभीरता नहीं बरत रहा। राजकीय साइंस कॉलेज में कुल 93 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 57 ही कार्यरत हैं। जबकि, 36 प्रोफेसरों के पद लंबे समय से खाली चल रहे हैं। जिनमें भौतिक शास्त्र रसायन शास्त्र, वनस्पति व गणित के कई शिक्षकों के कई पद रिक्त चल रहे हैं। प्राचार्य डॉ. जेके विजयवर्गीय ने बताया कि विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण संकाय में पदों का रिक्त होना चिंताजनक है। यहां करीब ढाई से तीन हजार विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। थ्योरी के साथ प्रेक्टिकल पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। प्रोफेसर की कमी से बच्चों की समुचित पढ़ाई संभव नहीं हो पा रही। किस कॉलेज में कितने पद खाली कॉलेज स्वीकृत पद कार्यरत रिक्त जेडीबी साइंस 47 24 23 जेडीबी आर्ट्स 63 43 20 रामपुरा आर्ट्स 7 0 0 गवर्नमेंट विधि 10 8 2 जल्द भरे जाएंगे रिक्त पद शहर के राजकीय महाविद्यालयों में प्रोफेसरों के पद लंबे समय से रिक्त चल रहे हैं। शिक्षक एडमिशन, एग्जाम व छात्रसंघ चुनाव सहित अन्य गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझे होने से क्वालिटी एजुकेशन पर काम ही नहीं कर पाते। हालांकि, सरकार विभिन्न विषयों के प्रोफेसरों के रिक्त पदों को भरने का प्रयास कर रही है।

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आरपीएससी द्वारा साक्षात्कार चल रहे हैं। प्रदेश के कुछ महाविद्यालयों में चयनित प्रोफेसरों को पोस्टिंग दे दी है। वहीं, जहां रिक्त पदों की संख्या अधिक है वहां पदस्थापन व स्थानांतरण के माध्यम से खाली पदों को भरने के लिए आयुक्तालय व उच्च शिक्षा मंत्री तैयारी कर रहे हैं। जहां 60 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त है, वहां विद्या संबल योजना के तहत संविदा पर सहायक आचार्यों को नियुक्त किया जाएगा। इनकी योग्यता यूजीसी के मापदंड के अनुरूप ही होती है। - डॉ. रघुराज सिंह परिहार, सहायक निदेशक कॉलेज शिक्षा निदेशालय

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