महंगाई का संकट
घरेलू गैस सिलेण्डर, पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार हो रही वृद्धि ने उनको सीमित खर्च के लिए मजबूर कर दिया है।
देश के करीब एक दर्जन बड़े शहरों में ज्यादातर परिवार त्योहारी सीजन में खर्च और खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन घरेलू गैस सिलेण्डर, पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार हो रही वृद्धि ने उनको सीमित खर्च के लिए मजबूर कर दिया है। बाजार में शायद ही कोई ऐसी वस्तु हो, जो महंगाई के दायरे से बाहर नजर आ रही हो। खाने-पीने के सामान से लेकर फल-सब्जियां और दूध तक महंगा हो गया है। इसका सबसे ज्यादा असर मध्यम वर्ग से लेकर आम गरीब तबका संकट का सामना कर रहा है। हालात जिस तरह के नजर आ रहे उनको देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि इससे कोई जल्दी राहत मिलेगी। जहां तक पेट्रोल-डीजल व रसोई गैस के दाम बढ़ने का है तो सरकार ने पहले ही कह दिया है कि विदेशी बाजार में कच्चे तेल व प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ने से भारत में मूल्यवृद्धि हो रही है। जाहिर है कि महंगाई भविष्य में और गति से बढ़ेगी और आम आदमी को इस संकट को झेलना होगा। रविवार को जारी एक सर्वेक्षण ‘मूड ऑफ द कंज्यूमर’ में 10 बड़े शहरों के 61 हजार परिवारों के बीच किए गए सर्वे में यह निचोड़ निकाला गया है उपभोक्ता की भावना में परिवर्तन आया है। सर्वेक्षण के अनुसार त्योहारी सीजन 2021 के दौरान खर्च करने की योजना बनाने वाले परिवारों का प्रतिशत मई, 2021 के 30 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर, 21 में 60 प्रतिशत हो गया है। इन चार महीनों में कोरोना में कमी आने से बाजार में सुधार हुआ है, आर्थिक अनिश्चितता दूर होने लगी है। अब लोग अधिक खर्च को तैयार हैं। लेकिन लोगों ने ईंधन के दामों पर चिंता व्यक्त करते हुए अपने बजट पर खासा ध्यान दे रहे हैं। यह सर्वेक्षण देश के शीर्ष 10-12 शहरों के 61 हजार परिवारों पर आधारित है, लेकिन बड़े शहरों, छोटे शहरों व ग्र्रामीण कस्बों में हर आम-आदमी महंगाई की बेजा मार से पीड़ित हैं। उनकी आय खर्च से काफी कम है। ईंधन के महंगा होने से एक हजार से डेढ़ हजार तक अधिक खर्च करना पड़ता है। बड़े व्यापारियों का कहना है कि डीजल की कीमतें बढ़ने, माल-ढुलाई में दो से तीन रुपए प्रति किलो का इजाफा हुआ है। इसकी वजह से खुदरा बाजार में हर जरूरी वस्तु के दाम बढ़े हुए हैं। आटा, तेल, दाल, सब्जियां-फल आदि 15 से 20 रुपए प्रतिकिलो महंगे बिक रहे हैं। परिवार दिल खोलकर खर्च करने में हिचकिचा रहे हैं। एक वर्ग विशेष की वजह से बाजार में महंगाई होते हुए भी मांग बढ़ रही है। लेकिन अभी भी आर्थिक संकट से उद्योग और लोग उभरे नहीं हैं। बड़ी आबादी का काम-धंधा चौपट हो चला है। महंगाई पर काबू पाना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन सरकार कुछ करती नजर नहीं आ रही।
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