लक्ष्य की ओर गोला फेंक रही कोटा की बेटियां

कोरोना के प्रभाव से महिला खिलाड़ियों की संख्या में कमी

लक्ष्य की ओर गोला फेंक रही कोटा की बेटियां

कोटा में बेटियों के खेलने के लिए गोला फेंक का खेल मैदान तक नहीं है। जेके पवलेयिन अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान के एक कोने में बेटियां हर रोज अभ्यास कर रही है।

कोटा। मंजिलें उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। इन पंक्तियों को अपने जीवन का फलसफा बना चुकी कोटा की बेटियों के बुलंद हौसलों को देखना है तो हर सुबह चले आइए नयापुरा स्थित जेके पवेलियन अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान में। यहां का नजारा इन दिनों बदला हुआ है। सुबह पांच बजे से लेकर साढ़े सात बजे तक गोला फेंक खेल का अभ्यास कर करती हैं। करीब 30 की संख्या में युवतियां प्रतिदिन पौ फटने के पहले ही मैदान में पहुंच जाती हैं। फिर शुरू होता है, दौड़ का अभ्यास और गोल फेंक। कई बार लोहे का गोला नहीं होने पर उतने ही वजन का पत्थर फेंकती हैं। नहीं है खेल मैदान राष्ट्रीय खिलाड़ी व कोच श्याम बिहारी नाहर का कहना है की कोटा में बेटियों के खेलने के लिए गोला फेंक का खेल मैदान तक नहीं है। जेके पवलेयिन अंतरराष्ट्रीय खेल मैदान के एक कोने में बेटियां हर रोज अभ्यास कर रही है। कोटा में एक दर्जन से ज्यादा महिला खिलाड़ी राष्टÑीय स्तर पर अपनी पहचान कायम कर चुकी है। लेकिन इस खेल की तरफ नौकरशाह ध्यान नहीं दे रहे। यही वजह है की अब यह खेल लुप्त होने की कगार पर है। कोटा में 30 से अधिक महिला खिलाड़ी कोटा में नेशलन व स्टेट लेवल पर खेलने वाली 30 से अधिक महिला खिलाड़ी हैं। पिछले दो वर्षों से कोरोना का प्रभाव भी इस खेल पर पड़ा है। इसकी वजह से कोटा में महिला खिलाड़ियों की संख्या कम हुई है। पिछले 2 वर्षों से कोरोना के प्रभाव के कारण जिला व स्टेट लेवल की कोई प्रतियोगिता आयोजित नहीं हुई। कर रहे है खिलाड़ी तैयार राष्ट्रीय खिलाड़ी व कोच श्याम बिहारी नाहर पिछले 20 वर्षों से कोटा में गोला फेंक के खिलाड़ी तैयार करने में लगे हुए है। वह बताते हैं की खेल मैदान में सुविधाओं का अभाव है। बच्चों के पास खेलने के लिए खेल मैदान नहीं हैं और ना ही खेल सामग्री। वह अपने पैसे से बच्चों को खेल सामग्री उपलब्ध करवा रहे हैं। इस समस्या को लेकर कई बार जिला खेल अधिकारियों को भी अवगत करवा दिया गया है ,लेकिन इसकी और कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। राष्टÑीय स्तर की महिला खिलाड़ी कोटा की रीतू सिंह, शिंवागी सेठी, रेखा प्रजापत, तेज कंवर प्रजापत, मनजीत कौर, गगन, नंदनी डीडवानियां सहित अनेक ऐसी महिला खिलाड़ी है जो राष्टÑीय स्तर पर खेलकर अपनी पहचान बना चुकी हैं। इनका है कहना खेल मैदान के अभाव में खिलाड़ियों को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल पा रहा। कोटा में ऐसा कोई खुला मैदान भी नहीं है, जहां बेटियां खेल का अभ्यास कर सके। इसकी वजह से क्षेत्र की खेल प्रतिभाएं भी पलायान को मजबूर है। कोटा में अनेक नेशनल लेवल के खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्हें तराशने की जरूरत है। इसकी ओर सरकार व नौकरशाहों को ध्यान देना ही होगा। - श्याम बिहारी नाहर, राष्ट्रीय खिलाड़ी व कोच

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