उप-चुनाव के तुरंत बाद और दिवाली से पहले मंत्रिमंडल का पुनर्गठन संभव

उप-चुनाव के तुरंत बाद और दिवाली से पहले मंत्रिमंडल का पुनर्गठन संभव

मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप बनेंगे मंत्री : हरीश चौधरी और रघु शर्मा ने की सोनिया और राहुल से मुलाकात

जयपुर। प्रदेश में बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार अब जल्द खत्म होने वाला है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल का पुनर्गठन धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा चुनावों के तुरंत बाद करेंगे। सूत्रों का दावा है कि पुनर्गठन का यह काम 31 अक्टूबर से तीन नवम्बर के बीच हो सकता है। दिल्ली में इसकी सारी कवायद पूरी कर ली गई है। राज्य में पिछले 15 महीनों से मंत्रिमंडल विस्तार लंबित है। पिछले साल जुलाई में शुरू हुए सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल के तीन सदस्यों सचिन पायलट, विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा को हटा दिया था। इसके बाद कैबिनेट मंत्री रहे मास्टर भंवरलाल मेघवाल का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। इन चार पदों के खाली होने से पहले पांच स्थान खाली थे।

बुरे वक्त में साथ देने वाले दोस्तों को मिलेगी जगह
प्रदेश में मंत्रिमंडल पुनर्गठन और विस्तार को लेकर आलाकमान के स्तर पर भी कई बार मंथन हो चुका है। प्रदेश प्रभारी अजय माकन भी तीन बार जयपुर आकर विधायकों से चर्चा कर चुके हैं। सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान और उनके सहयोगियों ने राजस्थान के रोडमेप को अंतिम रूप दे दिया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सहमति से मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले नामों पर मुहर भी लग चुकी है। इन नामों में कुछ वे लोग भी शामिल है, जिन्होंने सियासी संकट के बीच प्रदेश में कांग्रेस की सरकार को बचाने में मदद की थी। इनमें निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक भी है। इनके लिए मुख्यमंत्री पहले ही संकेत दे चुके हैं कि जिन्होंने बुरे वक्त में साथ दिया उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। सूत्रों ने बताया कि प्रदेश में दोनों उप चुनावों के लिए मतदान 30 अक्टूबर को शाम छह बजे खत्म हो जाएगा। इसके तुरंत बाद आदर्श आचार संहिता भी समाप्त हो जाएगी। दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान के कुछ सलाहकार और नजदीकी नेताओं की मंशा है कि मंत्रिमंडल विस्तार और पुनर्गठन के काम को दीपावली से पहले कर लिया जाए। यदि उनकी सलाह पर अमल किया जाता है तो मंत्रिमंडल विस्तार का काम एक या दो नवम्बर को हो सकता है। गहलोत सरकार के दो काबीना मंत्रियों डॉ. रघु शर्मा को गुजरात और हरीश चौधरी को पंजाब का प्रभारी बनाया जा चुका है। कुछ और मंत्रियों का संगठन में शामिल करने की प्रबल संभावनाएं हैं। हरीश चौधरी और डॉ. रघु शर्मा तो सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष अपनी मंशा भी जाहिर कर चुके हैं। चौधरी ने तो बुधवार को सोनिया गांधी और राहुल गांधी से हुई अलग-अलग मुलाकातों में मंत्री पद तुरंत लेने के लिए अवगत करा दिया। वह पहले भी बता चुके हैं कि अब वे पंजाब में ही रहेंगे और राजस्थान नहीं जाएंगे। उनका मंत्री पद किसी अन्य को दे दिया जाए। वह पंडित जवाहरलाल नेहरू के सिद्धांतों पर काम करेंगे। हरीश चौधरी और रघु शर्मा ने बुधवार सुबह राहुल गांधी से मुलाकात की। इनकी करीब 55 मिनट तक बातचीत हुई। इसके बाद शाम को करीब 25 मिनट सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस समय छह मंत्रियों के पद का भार दूसरों के पास है। अधिकांश विभाग खुद मुख्यमंत्री संभाल रहे हैं।


सबको स्पेस लेकिन मोरल अथॉरिटी का भी खयाल

सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी अभी इस तरह के मामले में नेता से ज्यादा सक्रिय मार्गदर्शक की भूमिका में हैं। वे चाहती हैं कि पार्टी में सभी को जगह मिले चाहे कुछ भी हो लेकिन मोरल अथॉरिटी का भी पूरा ध्यान रखा जाए।

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