बजट के अभाव में अटका अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क का निर्माण कार्य

वन्यजीवों की पीड़ा- सुनो सरकार : 25 करोड़ के चक्कर में हमें न सड़ाओ, बड़े घर पहुंचाओ , द्वितीय चरण में होने हैं 31 एनक्लोजर, वेटनरी हॉस्पिटल, स्टाफ क्वार्टर सहित अन्य कार्य, चिड़ियाघर में बंद अजगर, घड़ियाल, मगरमच्छ सहित अन्य वन्यजीवों को शिफ्टिंग का इंतजार

बजट के अभाव में अटका अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क का निर्माण कार्य

अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में द्वितीय चरण के तहत 25 करोड़ की लागत से कई निर्माण कार्य होने हैं, जो बजट के अभाव में शुरू नहीं हो पाए। जबकि, वन्यजीव विभाग प्रशासन सरकार को कई बार प्रस्ताव भेज चुका है।

कोटा। कोटा के रियासतकालीन चिड़ियाघर के पिंजरों में बरसों से बंद वन्यजीव अपनी आजादी का इंतजार कर रहे हैं, जो सरकारी लेटलतीफी के कारण खत्म होता नजर नहीं आ रहा। भीषण गर्मी के बीच छोटे पिंजरों में दिन काटने को मजबूर हैं। दरअसल, अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में द्वितीय चरण के तहत 25 करोड़ की लागत से कई निर्माण कार्य होने हैं, जो बजट के अभाव में शुरू नहीं हो पाए। जबकि, वन्यजीव विभाग प्रशासन सरकार को कई बार प्रस्ताव भेज चुका है। इसके बावजूद बजट स्वीकृत नहीं हुआ। जिसके चलते एक दर्जन से अधिक वन्यजीव चिड़ियाघर से बायोलॉजिक पार्क में शिफ्ट नहीं हो पा रहे। 25 करोड़ से होने हैं द्वितीय चरण में यह कार्य अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क में द्वितीय चरण के तहत 25 करोड़ की लागत से कई निर्माण कार्य होने हैं। जिनमें 31 एनक्लोजर, स्टाफ क्वार्टर, कैफेटेरिया, वेटनरी हॉस्पिटल, इंटरपिटेक्शन सेंटर, पर्यटकों के लिए आॅडिटोरियम हॉल, छांव के लिए शेड, कुछ जगहों पर पथ-वे सहित अन्य कार्य शामिल हैं। क्यों पास नहीं हो पा रहा बजट वन्यजीव अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2020-21 में जायका प्रोजेक्ट के तहत बायलोजिकल पार्क में अधूरे निर्माण कार्यों को पूरा करवाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा था। जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद फिर से रिव्यू प्रस्ताव भेजे गए, वह भी स्वीकृत नहीं हुए। हाल ही में वन विभाग के शासन सचिव शिखर अग्रवाल के बायलॉजिकल पार्क निरीक्षण के दौरान समस्या से अवगत कराया था। इस पर उन्होंने जल्द ही बजट पास करवाने का भरोसा दिलाया है। पैसा स्वीकृत न होने का कारण अधिकारियों ने सरकार के पास बजट की कमी होना बताया। पर्यटकों को अखर रहा टिकट का पैसा वर्तमान में बायलॉजिलक पार्क में कुल 64 वन्यजीव हैं, जिनमें 10 मांसाहारी और 54 शाकाहारी हैं। यहां आने वाले पर्यटक 50 रुपए खर्च करने के बावजूद बब्बर शेर, टाइगर, मगरमच्छ, घड़ियाल, अजगर सहित अन्य बडे़ वन्यजीव का दीदार नहीं कर पाने से निराश होकर लौट रहे हैं। इतना ही नहीं, इलेक्ट्रिकल व्हीकल नहीं होने से लंबे ट्रैक पर पर्यटकों का पैदल घूमना मुश्किल हो रहा है। वहीं, कैफेटेरिया सुविधा नहीं होने से लोगों को चाय-नाश्ते के लिए परेशान होना पड़ता है। इसके अलावा र्प्यटकों के बैठने के लिए छायादार शेड व वाटरकूलर भी र्प्याप्त नहीं हैं। पानी के लिए भी भटकना पड़ता है। चिड़ियाघर से बायोलॉजिकल पार्क में शिफ्ट नहीं हो पा रहे वन्यजीव बायोलॉजिकल पार्क के निर्माण के दौरान 44 एनक्लोजर बनने थे लेकिन प्रथम चरण में मात्र 13 ही बन पाए। जबकि, 31 एनक्लोजर अभी बनने बाकी हैं। जब तक यह एनक्लोजर नहीं बनेंगे तब तक पुराने चिड़ियाघर में मौजूद अजगर, घड़ियाल, मगरमच्छ, बंदर व कछुए सहित एक दर्जन से अधिक वन्यजीव बायलॉजिकल पार्क में शिफ्ट नहीं हो पाएंगे। हालांकि पिछले दिनों 4 ऐमु पक्षियों को चिड़ियाघर से यहां शिफ्ट किया था, जिसमें से एक नर ऐमू की अगले ही दिन मौत हो गई। प्रथम चरण में ये हुए थे कार्य प्रथम चरण के तहत पार्क में 13 एनक्लोजर बनाए गए। इसके अलावा पाथ-वे, पर्यटकों के लिए सुविधाघर, छायादार शेड, कैफेटेरिया का कार्य, जल व्यवस्था के लिए टैंक सहित फेंसिंग करवाई गई। यहां अभी तक 20 हजार पौधे लगवा चुके हैं। नहीं बना वेटनरी हॉस्पिटल वेटनरी हॉस्पिटल नहीं होने से वन्यजीवों के इलाज में परेशानी होती है। इलाज के संबंधित कुछ उपकरण बायोलॉजिकल पार्क में तो कुछ चिड़ियाघर में हैं। वन्यजीवों को यदि दवाइयां देनी हो तो यहां से दे देते हैं लेकिन आॅपरेशन या पोस्टमार्टम करना हो तो उसे करीब 16 किमी दूर चिड़ियाघर लाना होता है। ऐसे में कई बार वन्यजीवों को समय पर इलाज मुहैया करवाना काफी चुनोतिपूर्ण हो जाता है। 30 करोड़ से बना था बायोलॉजिकल पार्क एसीएफ अनुराग भटनागर ने बताया कि वर्ष 2017 में 30 करोड़ की लागत से बायोलॉजिकल पार्क का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। जिसे 2019 में पूरा किया जाना था लेकिन कोविड के 2 साल के कारण काम समय पर पूरा नहीं हो सका। इसके बाद 21 नवंबर 2021 को काम पूरा हुआ। संसाधन युक्त हॉस्पिटल बेहद जरूरी द्वितीय चरण में बेहद महत्वपूर्ण काम होने थे, जो बजट के अभाव में नहीं हो सके। जब तक साधन-संसाधनयुक्त हॉस्पिटल नहीं होगा तब तक चिड़ियाघर हो या बायलॉजिकल पार्क इनके होने का उद्देशय पूर्ण नहीं होगा। वन्यजीवों के इलाज के लिए अभी कामचलाऊ व्यवस्था कर रखी है लेकिन इमरजेंसी पड़ने पर बड़ी परेशानी हो सकती है। - डॉ. आलोक गुप्ता, पूर्व डीएफओ वन्यजीव विभाग कोटा सरकार को दो-तीन बार प्रस्ताव भेजे हैं लेकिन बजट स्वीकृत नहीं हुआ। पिछले दिनों शासन सचिव के समक्ष भी मामला रखा था, अभी 31 एनक्लोजर बनने शेष हैं। इस कारण चिड़ियाघर से वन्यजीवों को बायोलॉजिक पार्क में शिफ्ट नहीं कर पा रहे। वहीं, स्टाफ क्वार्टर, आॅडिटोरियम, इंटरपिटेक्शन सेंटर बनना पर्यटन की दृष्टि से जरूरी है। - अनुराग भटनागर, सहायक उपवन संरक्षक अभेड़ा बायॉलोजिकल पार्क

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