बेहतर प्रबंधन आया काम, लाखों क्यूसेक पानी की निकासी

अभियंताओं ने बताया, ऐसे हुई थी लाखों क्यूसेक पानी की निकासी , वर्ष 2019 याद था इसलिए पहले से कर रखी थी तैयारी

बेहतर प्रबंधन आया काम, लाखों क्यूसेक पानी की निकासी

कोटा में वर्ष 2019 में आए उफान को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों ने समय रहते बेहतर तैयारी की। इसके परिणाम स्वरूप इस बार आपदा ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाई। कोटा के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बेहतर प्लानिंग, सूझबूझ का परिचय दिया और कोटा को बेहद बुरे हालातों से बचा लिया।

कोटा। प्राकृतिक आपदा कभी भी कहर ढा सकती है। जरूरत रहती है उस आपदा का उचित प्रबंधन के साथ सामना करने की। गत दिनों चंबल नदी में जलजले के रूप में आई आपदा का जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने अपनी कार्यकुशलता के दम पर सफलतापूर्वक सामना कर यह साबित कर दिखाया है। कोटा में वर्ष 2019 में आए उफान को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों ने समय रहते बेहतर तैयारी की। इसके परिणाम स्वरूप इस बार आपदा ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाई। कोटा के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बेहतर प्लानिंग, सूझबूझ का परिचय दिया और कोटा को बेहद बुरे हालातों से बचा लिया। उस दिन की गई तैयारियों को जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों ने कुछ इस तरह साझा किया।

 मध्यप्रदेश में चंबल के कैचमेंट में 22 अगस्त की शाम को पूरी रात तूफानी बारिश ने सिर्फ 12 घंटे में ही चंबल के बांधों को क्षमता से अधिक लबालब कर दिया। शाम 4 बजे से राणाप्रताप से 4 लाख 76 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था। वहीं गांधीसागर से 4 लाख 48 हजार क्यूसेक पानी आ रहा था। उस समय स्थिति सामान्य थी। अचानक से गांधीसागर में 8 लाख 13 हजार क्यूसेक पानी की आवक होने लगी, जो कुछ ही देर में 9 लाख 60 हजार क्यूसेक पहुंच गई। भारी मात्रा में पानी की आवक होने से 23 अगस्त की सुबह गांधीसागर के सभी 19 गेट खोल दिए गए। इतनी मात्रा में पानी आने से निकासी क्षमता चंबल के किसी भी बांध में नहीं थी। इस आपदा में हमने चुनौती के रूप में लिया और निकासी की तैयारी शुरू कर दी। महज दो साल पहले गांधी सागर में 16 लाख क्यूसेक पानी की आवक होने से बांध अपनी पूर्ण भराव क्षमता से 4 फीट ऊपर बहने लगा था। ऐसे में इस बार सावधानी रखी गई और पहले से ही गेट खोलकर पानी की निकासी शुरू कर दी। इस दौरान दो गेटों के केबल में फाल्ट भी आ गया, लेकिन हमने त्वरित कदम उठाकर आधे घंटे में ही फाल्ट को ठीक कर दिया। इससे कोई व्यवधान नहीं आया और लाखों क्यूसेक पानी डिस्चार्ज कर दिया।
-रविन्द्र कटारा, अधिशासी अभियंता ,राणाप्रताप सागर

 21 अगस्त की रात तक गांधीसागर से 1.71 लाख क्यूसेक पानी की निकासी हो रही थी। गांधीसागर के कैचमेंट में अधिक वर्षा नहीं थी, परंतु राणा प्रताप सागर बांध व जवाहर सागर बांध के कैचमेंट में अत्यधिक वर्षा के कारण 4 लाख क्यूसेक पानी की आवक की संभावना थी। इस पर गांधी सागर बांध के अधिकारियों से आग्रह किया गया कि उनके डैम में मार्जिन है तो वे प्राप्त इन फ्लो को गांधी सागर बांध में रोककर संतुलित डिस्चार्ज ही करें।  क्योंकि उस समय कैचमेंट क्षेत्र में बारिश से दो लाख पानी की आवक बनी हुई थी। ऐसे में बैराज को निकासी का समय लेना था। गांधी सागर बांध ने कुछ समय तक पानी को रात को रोके रखा। 22 अगस्त को बैराज में धीरे-धीरे आवक बढ़ाते हुए 4 लाख 26 हजार क्यूसेक डिस्चार्ज कर दिया। गांधी सागर में इन फ्लो तीन लाख से बढ़कर सुबह 9 बजे तक 9 लाख 60 हजार तक पहुंच गया। गांधी सागर बांध से सभी बांधों से फुल कैपेसिटी से पानी छोड़ने की सूचना प्राप्त होते ही कोटा बैराज की समस्त टीम को मुस्तैद कर दिया। 23 अगस्त को शाम 4 बजे तक 5 लाख 20 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इस दौरान गांधी सागर का लेवल 1310 को पार कर चुका था। इस पर वहां से अधिकारियों से आग्रह किया कि बांध का लेवल करने के लिए 4.30 लाख के बजाय 2 से 3 लाख क्यूसेक पानी की डिस्चार्ज करें ताकि कोटा में कोई परेशानी नहीं आए। गांधीसागर से 4.30 के स्थान पर 2 लाख 60 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा। इससे कोटा में बाद में भी जलभराव की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई। पूर्व तैयारी व बेहतर समन्वय के यह कार्य सफलतापूर्वक हो पाया।
-भारत गौड़, अधिशासी अभियंता, कोटा बैराज

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