रियासत कालीन पुलिया का मामला: आधे से अधिक ऊपरी हिस्सा पानी में बहा

वाहन ही नहीं पैदल तक निकलना हुआ मुश्किल

रियासत कालीन पुलिया का मामला: आधे से अधिक ऊपरी हिस्सा पानी में बहा

पानी बढ़ते-बढ़ते चम्बल नदी की रियासतकालीन पुलिया को पार करते हुए बस्तियों तक जा पहुंचा। लेकिन तीन दिन बाद जैसे ही पानी कम हुआ तो बस्तियों के घरों की हालत तो खराब हुई ही, उससे अधिक तबाही रियासतकालीन पुलिया की हुई है।

कोटा । नयापुरा स्थित रियासतकालीन पुलिया कोटा बैराज से छोड़े गए करीब 5 लाख क्यूसेक से अधिक पानी से आई बाढ़ की तबाही का मंजर बयां कर रही है। बाढ़ में पुलिया का ऊपरी हिस्सा आधे से अधिक पानी में बह गया है। जिससे उस पर से वाहन निकलना तो दूर पैदल तक चलना संभव नहीं है। चम्बल नदी पर बनी इस रियासतकालीन पुलिया से नयापुरा से नदी पार जाने का रास्ता है। जिससे कुछ दिन पहले तक छोटे-बड़े हजारों वाहन रोजाना निकल रहे थे। बरसात के कारण चम्बल की दोनों बड़ी पुलियाओं पर गड्ढ़े होने से वहां चलना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में रियासतकालीन पुलिया ही लोगों के लिए बेहतर रास्ता था। लेकिन गांधी सागर से पानी की आवक अधिक होने के बाद जैसे ही कोटा बैराज के 18 गेट खोलकर 5.20 लाख क्यूसेक पानी की निकासी की गई तो पानी काफी तेजी से नदी में बढ़ा।

पानी बढ़ते-बढ़ते चम्बल नदी की रियासतकालीन पुलिया को पार करते हुए बस्तियों तक जा पहुंचा। लेकिन तीन दिन बाद जैसे ही पानी कम हुआ तो बस्तियों के घरों की हालत तो खराब हुई ही, उससे अधिक तबाही रियासतकालीन पुलिया की हुई है। अधिक बरसात होने और हर बार बाढ़ आने पर इस पुलिया की दुर्दशा होती रही है। बरसात के बाद उसकी मरम्मत पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। लेकिन इस बार फिर से उसकी हालत इतनी अधिक खराब हो गई कि उसे देखकर लग ही नहीं रहा कि यह वही पुलिया है जिससे रोजाना सैकड़ों वाहन निकलते हैं। पानी कम होने के बाद जब पुलिया की हालत देखी तो पहले तो उस तक जाना ही किसी चुनौती से कम नहीं रहा। बस स्टैंड से पुलिया के ढलान पर ही इतना अधिक कीचड़ हो रहा है कि वहां से पैदल निकलने में ही फिसलने का खतरा बना हुआ है। लेकिन पुलिया के नजदीक जाने पर तो मंजर और भी अधिक खतरनाक दिखा। पुलिया के ऊपर की आधी से अधिक सड़क ही नजर नहीं आई। सड़क के बड़े-बड़े हिस्से पानी में बह गए। कई हिस्से तो आधे पानी में और आधे ऊपर नजर आ रहे हैं। पुलिया की सड़क पर गड्ढ़े भी इतने बड़े और गहरे हो गए कि उस पर से वाहन निकलना तो दूर पैदल तक नहीं चला जा सकता।

इस पुलिया की हालत किसी ग्रामीण क्षेत्र कीे पुलिया से भी बदतर हो गई है। पुलिया के निर्माण की दास्तां उसके किनारे पर लगे पाइपों को सहारा देने वाले लोहे के एंगल तक नजर आने लगे हैं। जबकि वे सीमेंट और सड़क के नीचे दबे हुए रहते हैं। ऐसे में पुलिया को दोनों तरफ से आवागमन के लिए बंद किया गया है। जिससे नयापुरा से नदी पार जाने और नदी पार से नयापुरा की तरफ आने का रास्ता पुलिया से पूरी तरह से कट चुका है।

हर साल बलि लेती पुलिया
हालत यह है कि रियासतकालीन पुलिया हर साल एक-दो लोगों की बलि बरसात के समय लेती है। हालांकि इस बार बरसात में एक व्यक्ति पुलिया से बहा था लेकिन उसे सुरक्षित निकाल लिया था। जबकि बरसात से पहले ही इस पुलिया से रात के समय निकल रही बारात की एक कार नदी में डूब गई थी। जिससे उसमें दूल्हे समेत 7 लोगों की मौत हो गई थी। बाढ़ से हुए नुकसान का सर्वे कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। सार्वजनिक सम्पत्ति और निजी सम्पत्ति के हुए नुकसान की रिपोर्ट आने के बाद आपदा राहत कमेटी की बैठक की जाएगी। उसके आधार पर फैलसा कर संबंधित विभागों द्वारा सार्वजनिक सम्पत्ति की मरम्मत कराई जाएगी। चम्बल की रियासतकालीन पुलिया को भी संबंधित विभाग द्वारा ही सही कराया जाएगा।- बृजमोहन बैरवा, एडीएम सिटी

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