बढ़ते सड़क हादसे
सड़कों की खराब डिजाइन के कारण भी हादसे होते है
रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल 2021 में सड़क हादसों में मौतों का आंकड़ा 1.5 लाख से अधिक हो गया।
देश में सड़क हादसों को लेकर राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की रिपोर्ट चिंतित और निराश करने वाली है। इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल 2021 में सड़क हादसों में मौतों का आंकड़ा 1.5 लाख से अधिक हो गया। इसका मतलब है कि सड़क सुरक्षा सप्ताह आयोजनों और मार्ग हादसों को रोकने के अन्य तभी प्रयास असफल सिद्ध हो रहे हैं, क्योंकि कुछ सालों पहले तक यह आंकड़ा सालाना एक लाख मौतों के करीब था। सड़क हादसों में मरने वालों की संख्या बढ़ना इसलिए गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि कई ऐसे देशों के मुकाबले भारत में वाहनों की संख्या उतनी नहीं है, जहां कहीं कम सड़क हादसे होते हैं। ब्यूरो के अनुसार करीब 60 प्रतिशत हादसे वाहनों की तेज गति के कारण होते हैं। इस कारण के मूल में जाने की जरूरत है, क्योंकि यातायात नियमों की अनदेखी, गलत और कई बार तो उलटी दिशा में वाहन चलाने, अतिक्रमण एवं सड़कों की खराब डिजाइन के कारण भी हादसे होते है।
इसके अलावा खतरनाक तरीके से वाहन चलाने और ओवर टेकिंग की वजह से भी हादसे होते हैं। हजारों लोग मौसम की खराबी की वजह से भी मारे जाते हैं। विडंबना है कि एक साल में आतंकवाद, आपराधिक हत्या और नक्सलवाद आदि सभी कारणों से जितने लोगों की मौतें होती हैं, उससे कहीं अधिक अकेले सड़क हादसों के चलते लोगों की असमय मौतें हो जाती हैं। एक तरफ देश में राष्ट्रीय राजमार्गों का जाल बिछाया जा रहा है तो दूसरी तरफ सड़क हादसों की संख्या बढ़ रही हैं। 4 लेन, 6 लेन और 8 लेन के राजमार्ग बन रहे हैं, जिन पर कम से कम अवरोधक है।, इसके चलते लोग ऐसी सड़कों पर वाहन तेज गति से चलाते हैं। इससे सड़क हादसों में वृद्धि हो रही है। केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके अलावा राज्य सरकारों द्वारा निर्मित राज्य राजमार्ग टू लेन और फोर लेन तो बन गए हैं, लेकिन उनका रख-रखाव काफी खराब है। मार्गों पर जल्द ही सड़कें उखड़ जाती हैं, जिसकी वजह से भी हादसे होते हैं। सड़क हादसों को रोकने के लिए सरकारों को यातायात नियमों की पालना करवानी चाहिए। गति पर नियंत्रण पाने के उपाय करने चाहिए।
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