आसान नहीं है एमबीएस में डॉक्टर्स तक पहुंचना

रजिस्ट्रेशन पर्ची से लेकर दवा लेने तक मरीजों को घंटों करना पड़ता है इंतजार

आसान नहीं है एमबीएस में डॉक्टर्स तक पहुंचना

अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधारने के लिए अस्पताल ने कई कदम भी उठाए लेकिन उसके बावजूद हालात सुधारने का नाम नहीं ले रहे है।

कोटा। संभाग के सबसे बड़े एमबीएस अस्पताल में सरकार की नि:शुल्क उपचार और जांच का फायदा लेना आम आदमी के बस की बात नहीं है। एक ही दिन में डॉक्टर से मिलना, जांच करना और दवा लेकर उसी दिन इलाज शुरू होना मुश्किल हो रहा है। पर्ची बनाकर डॉक्टर को दिखाने में ही अस्पताल बंद होने का समय हो जाता है। मरीज एक ही दिन में अस्पताल में जांच और इलाज करा ले तो अपने को धन्य मानता है।

अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधारने के लिए अस्पताल ने कई कदम भी उठाए लेकिन उसके बावजूद हालात सुधारने का नाम नहीं ले रहे है। पहले मरीजों को डॉक्टर को दिखाने के लिए घंटो रजिस्ट्रेशन की मशक्कत करनी पड़ती है। उसके बाद जांच के लिए पर्ची बनाने और सेंपल देने के लिए घंटों लाइन में खड़ा होना होता है। उसके बाद आता है दवा का नंबर। मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा घर से पर्चे में लिखी दवा लेना किसी युद्ध जीतने से कम नहीं होता है।

कहने को अस्पताल में मुख्यमंत्री दवा योजना के 10 से अधिक काउंटर है लेकिन इन काउंटरों के खुलने का समय और बंद होने का समय अलग होने से मरीजों को घंटो लाइन में खड़ा होना मजबूरी बनता जा रहा है। कई दवा काउंटर तो अस्पताल के बंद होने से पहले ही बंद हो जाते है। ऐसे में खुले हुए दवा काउंटरों पर मरीजों की तादाद बढ़ जाती है जिससे मरीजों को दवा लेने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दवाओं की सुविधा तो कर दी लेकिन मरीजों को वहां दवा उपलब्ध ही नहीं हो रही है। एमबीएस में एक ही काउंटर पर दवा दी जा रही है। वहां भी आधी दवाओं के लिए एनओसी जारी की जा रही है। जिसके लिए मरीजों और तीमारदारों को इधर से उधर चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

लंबी कतार में घंटों खड़े रहने का दर्द किसी को नहीं दिखता
ऐसे ही कई मामले गुरुवार को एमबीएस अस्पताल में देखने को मिले। गुरुवार को बड़ी संख्या में मरीज उपचार के लिए अस्पताल पहुंचे। पहले पर्ची बनवाने की कतार में इंतजार व मशक्कत, उसके बाद आउटडोर में डॉक्टर को दिखाने की कतार में जैसे-तैसे नम्बर आ गया। डॉक्टर ने जांच लिख दी तो फिर एक बार लाइन में लगकर पहले जांच की पर्ची बनाओ। उसके बाद सेंपल के लिए कतार में खड़े रहो। कुछ मरीज भाग्यशाली होते है उनके लक्षण के आधार पर डॉक्टर दवा लिख देते है तो दवाघर के यहां घंटो लाइन में फिर खड़े होने का दर्द शुरू हो जाता है। एमबीएस अस्पताल के दवाघर में जब मरीज व तीमारदार दवा काउंटर जाता है तो उसे दवा पूरी नहीं मिलने पर उन्हें 13 नम्बर काउंटर पर भेज दिया जाता है। वहां जाने पर आधी ही दवा उपलब्ध होती है। जबकि आधी दवा के लिए उन्हें एनओसी जारी की जा रही है। लेकिन एनओसी के लिए पहले उसी डॉक्टर से हस्ताक्षर कराने, उप अधीक्षक के हस्ताक्षर कराने और फिर उस पर्ची की दो जेरोक्स कराकर लाने की मशक्कत करनी पड़ती है। इन सारी खानापूर्ति में मरीजों व तीमारदारों का इतना अधिक समय लग जाता है कि तब तक अस्पताल बंद हो जाता है। मरीज नि:शुल्क दवा लेने से तो अच्छा बाजार से दवा लेना पसंद कर रहा है। लेकिन हालत यह है कि सरकारी पर्चे पर लिखी दवाई बाहर से भी नहीं ले सकते। 

अस्पताल बंद होने से पहले ही सात दवा काउंटर हो जाते हैं बंद
अस्पताल में बने दवा काउंटर के खुलने और बंद होने के समय अलग अलग होने से मरीजों को परेशानी का समाना करना पड़ रहा है। सुबह अस्पताल खुलने के साथ ही सभी दवा काउंटर खुल जाते है लेकिन 1 बजे तक एक से लेकर सात काउंटर एक-एक कर बंद होने लगते है। दो बजे तक एनओसी व एक दवा काउंटर से चलता है। ऐसे में दवा लेने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। 

सोनोग्राफी, सीटी स्कैन और एमआरआई में चल रही लम्बी वेटिंग
सरकार की ओर से नि:शुल्क जांच योजना में मंहगी जांच और दवा का दायरा बढ़ाने के साथ ही सोनोग्राफी, सीटी स्कैन और एमआरआई में पहले से ज्यादा मरीज आने लगे जिससे वेटिंग बढ़ गई। अस्पताल में पहले इमरजेंसी मरीजों का सीटी स्कैन और सोनोग्राफी की जाती है। रोग गंभीर नहीं होने पर सीटी स्कैन और सोनोग्राफी के लिए एक दो दिन की तारीख देना तो आम बात है। एक ही दिन मरीजों को सारी जांचे अस्पताल में कराना नामुकिन है। डॉक्टर ने एक्सरे, और खून की जांच और सोनोग्राफी लिख दी तो इन जांचों में ही मरीज का पूरा समय निकल जाएगा। जांच अगले दिन मिलेगी ऐसे में मरीज को जांच दिखाने के लिए अगले दिन का इंतजार करना पड़ेगा।

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इंडोर मरीजों के लिए 13 नंबर काउंटर बना परेशानी का सबब
एमबीएस अस्पताल में भर्ती मरीजों को दवा नहीं मिलने पर 13 नंबर काउंटर पर दवा की सुविधा दे रखी है। यहां दवाईयां नहीं मिलने पर बाहर से दवा लाने के लिए एनओसी जारी होती है। लेकिन विडंबना ये है कि इस काउंटर पर कोई फार्मास्टिट ही नहीं लगा रखा। काउंटर कम्प्यूटर ऑपरेटरों के भरोसे चल रहा है। ऐसे में यहां दो बजे बाद मरीजों की दवा और एनओसी लेने के लिए लंबी कतारें लगी रहना आम बात है।

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इनका कहना है
इनडोर में भर्ती मरीजों को भी उनके वार्ड के काउंटर पर ही दवाई मिल रही है। आउटडोर में आने वाले मरीजों को दवा के लिए काउंडर पर जाना पड़ रहा है। जो दवाई उपलब्ध नहीं है उसके लिए एनओसी जारी की जाती है। अस्पताल समय तक सभी दवा काउंटर खुले रहते हैं। उसके बाद एक से दो दवा काउंटर चालू रहते हैं। वार्डो में मरीजों के बेड तक दवाएं पहुंचाई जा रही है। फिर भी मरीजों को परेशानी हो रही तो इसकी जांच कराई जाएगी। 
- डॉ. समीर टंडन, उप अधीक्षक, एमबीएस अस्पताल

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