इन्सान की जगह पुतलों को अंतरिक्ष में भेजेगा अमेरिका
इंसानों का चांद पर उतरने के खतरों की होगी जांच
पुतले बिल्कुल इंसानों की तरह हैं। इन्हें इंसानों के शरीर के टिश्यूज जैसे प्लास्टिक से बनाया गया है। इनमें भी ह्यूमन की तरह हड्डियां, खाल और फेफड़े होंगे
वाशिंगटन। अंतरिक्ष में ओजोन परत नहीं होता। अत: अल्ट्रावायलट किरणों ले बचाव की कोई सूरत भी नहीं होती। लिहाजा रेडिएशन का खतरा बहुत ज्यादा होता है। ज्यादातर मामलों में कैंसर भी हो जाता है। इसलिए अमेरिका अब विशेष रूप से निर्मित मैनिकिंस को चांद पर भेजने की कोशिश में है। अमूमन ये मैनिकिंस कपड़ों की दुकान पर फैशन की नुमाइश के लिए रखे जाते हैं। जिससे कपड़ों के ब्रांडों का विज्ञापन होताी है। ये प्लास्टिक के पुतले होते हैं। इसीलिए अमेरिका अपने आर्टेमिस 1 मिशन में इंसानों के बजाय पुतलों को भेज रहा है। विशेष रूप से बनाए गए इन मैनिकिंस का वैज्ञानिक शोध के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इन पुतलों या मैनिकिंस को जर्मनी के ऐरोस्पेस सेंटर ने बनाया है।
इंसानों का चांद पर उतरने के खतरों की होगी जांच
तीसरा पुतला मैनिकिंस कैंपोस को यह जांचने के लिए भेजा जा रहा है कि आने वाले समय में इंसानों का चांद पर जाना कितना मुश्किल होगा। ये अंतरिक्ष के बारे में समझ बढ़ाने के लिए किए जाने वाले वैज्ञानिक प्रयोगों में से एक है। मूनिकिन कैंपोस रॉकेट की कमांडर सीट पर रहेगा। हजारों सेंसर्स रिकॉर्ड करेंगे रेडिएशन का असर पुतलों के शरीर के उन हिस्सों पर सेंसर्स लगाए गए हैं, जहां इंसानों के शरीर में रेडिएशन का असर सबसे ज्यादा होता है।
लॉन्च से लेकर धरती पर वापस आने तक इनके हजारों सेंसर्स अंतरिक्ष में इंसानों के शरीर पर रेडिएशन के होने वाले संभावित असर को रिकॉर्ड करेंगे। फेफड़े, पेट, यूट्रस और बोन मैरो जैसे हिस्सों पर रेडिएशन का असर देखने के लिए सेंसर्स लगाए गए हैं। जोहर को रेडिएशन से बचने वाली जैकेट पहनाई जाएगी। इस जैकेट को एस्ट्रोरेड नाम दिया गया है। वहीं दूसरे पुतले हेल्गा को बिना जैकेट के भेजा जाएगा। यह खास जैकेट एस्ट्रोरेड पॉलीइथिलीन से बनी हैए जो जोहर को हानिकारक प्रोटोन्स से बचाएगी। यह उसके ऊपरी शरीर और यूट्रस को कवर करेगी। इस मिशन के जरिए हेल्गा और जोहर पर पड़ने वाले रेडिएशन की तुलना की जाएगी। इससे वैज्ञानिक पता लगाएंगे कि भविष्य में अंतरिक्ष जाने वाले इंसानों को कैसे बेहतर सुरक्षा दी जा सकती है।
इंसानों की तरह पुतले
ये पुतले बिल्कुल इंसानों की तरह हैं। इन्हें इंसानों के शरीर के टिश्यूज जैसे प्लास्टिक से बनाया गया है। इनमें भी ह्यूमन की तरह हड्डियां, खाल और फेफड़े होंगे। एक पुतले का नाम होगा हेल्गा और दूसरे का जोहर । उन पुतलों का इस्तेमाल कैंसर के इलाज में रेडिएशन की सही डोज जांचने के लिए भी किया जाएगा। हेल्गा और जोहर महिलाओं के शरीर जैसे पुतले हैं। इन्हें अंतरिक्ष में महिलाओं के शरीर पर होने वाले रेडिएशन का असर जांचने के लिए भेजा जा रहा है।
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