अतिवृष्टि की मार- सरकारी प्रक्रिया में उलझी मदद की उम्मीद
सोयाबीन, उड़द व मक्का में हुआ था नुकसान, मुआवजे की बाट जोह रहे आपदा पीड़ित किसान
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार कोटा सम्भाग में 11 लाख 75 हजार 703 हैक्टेयर में खरीफ की बुवाई की गई थी। प्रारम्भिक सर्वे के मुताबिक अतिवृष्टि से करीब 1.95 लाख हैक्टेयर से ज्यादा में सोयाबीन, उड़द व मक्का की फसलों में खराबा माना गया था।
कोटा। सम्भाग भर में गत दिनों हुई भारी बारिश ने काफी तबाही मचाई थी। खेतों में लहलहाती फसलें तबाह हो गई। इसके बावजूद अभी तक पीड़ित किसानों को मुआवजा नहीं मिला है। मदद की उम्मीद अभी तक सरकारी प्रक्रिया में उलझी हुई है। इसके चलते किसानों को काफी परेशानी हो रही है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार कोटा सम्भाग में 11 लाख 75 हजार 703 हैक्टेयर में खरीफ की बुवाई की गई थी। प्रारम्भिक सर्वे के मुताबिक अतिवृष्टि से करीब 1.95 लाख हैक्टेयर से ज्यादा में सोयाबीन, उड़द व मक्का की फसलों में खराबा माना गया था। इसके चलते अतिवृष्टि से सम्भाग में 1800 सौ करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान है।
सर्वे हो चुका पूरा, रिपोर्ट का इंतजार
कोटा जिले में लाडपुरा, सांगोद, रामगंजमंडी, इटावा, कनवास व दीगोद क्षेत्र में अतिवृष्टि के चलते फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था। नुकसान का आकलन करने के लिए बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि, कृषि पर्यवेक्षक व पटवारी की टीमें सर्वे करने में लग गई थी। इन टीमों ने अपने प्रारम्भिक सर्वे में सोयाबीन, उड़द व मक्का में नुकसान होने का अनुमान जताया था। अब सभी जगह पर सर्वे पूरा हो चुका है, लेकिन सर्वे रिपोर्ट अभी तक कृषि विभाग के अधिकारियों को नहीं मिली है। ऐसे में किसानों का मुआवजे का इंतजार लम्बा हो रहा है।
फसल | बुवाई | खराबा |
मक्का | 4050 | 611.1 |
सोयाबीन | 182689 | 45923 |
उड़द | 29095 | 7707 |
आधे किसान सुरक्षा चक्र से बाहर
कोटा जिले में करीब 2 लाख 56 हजार हैक्टेयर में खरीफ फसल की बुवाई की गई थी। इनमें से करीब 1 लाख 14 हजार हैक्टेयर की फसल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा के दायरे में है। यानि जिले के आधे किसान इस सुरक्षा चक्र के दायरे में नहीं आते हैं। अतिवृष्टि के बाद बीमा योजना वाले किसानों से 72 घंटे के अंदर नुकसान की जानकारी ऑनलाइन मांगी गई थी। इसके बाद कृषि विभाग और बीमा कम्पनी की टीम सर्वे में जुट गई थी। सर्वे की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन अभी तक मुआवजे के सम्बंध में कोई घोषणा नहीं हो पाई है।
मुआवजे की प्रक्रिया भी अलग-अलग
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के कारण जिले के किसान दो श्रेणियों में बंटे हुए हैं। ऐसे में अतिवृष्टि से फसलों में हुए नुकसान के मुआवजे की प्रक्रिया भी अलग-अलग है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दायरे में आने वाली जमीन का सर्वे का बीमा कम्पनी के प्रतिनिधि व पटवारी के माध्यम से होता है। इसके बाद फसल खराबे की मुआवजा राशि केन्द्र सरकार द्वारा जारी की जाती है। वहीं बिना बीमा वाली फसल का सर्वे पटवारी व कृषि पर्यवेक्षक की टीम द्वारा किया जाता है। इसका मुआवजा राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है। दोनों ही प्रक्रियाओं में फसल के नुकसान के स्तर पर मुआवजा राशि जारी की जाती है। सरकारी प्रक्रिया लम्बी होने के चलते किसान अभी तक मुआवजे की बाट जोह रहे हैं।
अतिवृष्टि के बाद फसलों में नुकसान का सर्वे शुरू करवा दिया था। प्रारम्भिक रिपोट में उड़द व सोयाबीन में नुकसान होना सामने आया था। फिलहाल नुकसान के सर्वे की फाइनल रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट मिलने के बाद मुआवजे की प्रक्रिया शुरू होगी। सर्वे करने और रिपोर्ट तैयार होने में समय तो लगता है।
- खेमराज शर्मा, उपनिदेशक कृषि विभाग
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