मेवाड़ के प्रसिद्ध लक्खी मेले में उमड़े हजारों श्रृद्धालु
जिधर देखो उधर श्रद्धालु नजर आए
श्रृद्धालुओं ने जगह-जगह प्रभु के बेवाण पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। शोभायात्रा के सबसे आगे गजराज, उसके पीछे ऊंट पर नंगारखाना का संचालन, घोड़े नाचते हुए चल रहे थे।
राजसमंद/चारभुजा। मेवाड़ के चारधाम के प्रमुख पीठ श्रीचारभुजानाथ के द्वार भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी पर मंगलवार को भगवान चारभुजा गढ़बोर में जलझुलनी एकादशी पर लगने वाले तीन दिवसीय लक्खी मेले के अंतिम दिन प्रभु के बाल स्वरूप को सोने की पालकी में विराजित कर दुधतलाई ले जाया गया, जहां पर हजारों सेवकों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति में शाही स्नान कराया गया। हजारों श्रृद्धालुओं ने प्रभु के विगृह स्नान के अलोकिक दृश्य को अपलक निगाहों से निहारा। प्रभु की 11:30 बजे भोग आरती के बाद भगवान की बाल प्रतिमा की शोभायात्रा भगवान के गर्भगृह से सोने की पालकी मे विराजमान होकर निकली। ठीक 12:05 बजे सोने की पालकी निज मंदिर से स्वर्ग सी आभा में मृंदग, शहनाई, बैंण्ड बाजों की मधुर ध्वनि के साथ गणी खम्मा के जयकारों के साथ मंदिर प्रांगण में आई।
जिधर देखो उधर ही श्रद्धालु नजर आ रहे थे। इस दौरान भक्तजनो व श्रृद्धालुओं ने खूब अबिर गुलाल उडाया। साथ में श्रृद्धालुओं ने जगह-जगह प्रभु के बेवाण पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। शोभायात्रा के सबसे आगे गजराज, उसके पीछे ऊंट पर नंगारखाना का संचालन, घोड़े नाचते हुए चल रहे थे। मेले में राजस्थान समेत मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य कई राज्यों से हजारों दर्शनार्थी दर्शन करने पैदल, साइकिलों, मोटरसाइकिलों एवं चौपहिया वाहन लेकर आते है।
शाही स्नानयात्रा ठीक 2 बजे दूध तलाई पहुंची, जहां तलाई में खड़े श्रद्धालुओं ने अपने हाथ से तलाई के पानी की बौछार की तो इससे पहले टैंकर से पानी के फव्वारों से भी प्रभु के विग्रह को स्नान कराया। इसके बाद दूध तलाई के दूसरे किनारे पर ठाकुरजी को अल्पविश्राम के दौरान अफीम (अमल) का भोग धराने की रस्म निभाई गई।
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