प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना: चार माह से खातों में नहीं आ रहा ऑनलाइन भुगतान

ऑनलाइन भी देरी से चढ़ रहे लाभार्थियों के फार्म, प्रक्रिया लम्बी होने से रह जाते है वंचित

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना: चार माह से खातों में नहीं आ रहा ऑनलाइन भुगतान

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत गर्भवती महिलाओं के सीधे खाते में राशि आती है। इस योजना में महिलाओं को तीन किस्तों में 5000 हजार रुपए का भुगतान किया जाता है। शेष 1 हजार रुपए जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रसव के बाद दिया जाता है। औसतन एक महिला के खाते 5000 रुपए आते हैं।

कोटा। गर्भवती व स्तनपान करानी वाली महिलाओं के कल्याण के लिए चलाई गई प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का कोटा में कोई घणी-घोरी नहीं है। चार माह से बजट नहीं आने से गर्भवती महिलाओं के खातों में ऑनलाइन भुगतान अटका हुआ है। वहीं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से महिला एवं बाल विकास विभाग के उपनिदेशक कार्यालय दो से तीन माह में एक साथ लिए जा रहे है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि आॅनलाइन फार्म चढ़ने के बाद भी महिलाओं के खातों में भुगतान नहीं आ रहा है। गर्भवती महिलाएं केंद्र पर चक्कर लगाती है। उल्लेखनीय है कि गर्भवती व स्तनपान करानी वाली महिलाओं के कल्याण के लिए 2017 में देशभर में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की शुरूआत की गई थी। राज्य में भाजपा सरकार थी तब तक तो केंद्र की इस महत्वाकांक्षी योजना अच्छे से क्रियान्वित होती रही। लेकिन योजना की गति धीमी पड़ चुकी है। आलम यह है कि चार माह से भुगतान तक अटके पड़े है। केंद्र प्रायोजित इस योजना को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं के सीधे खाते में राशि आती है। इस योजना में महिलाओं को तीन किस्तों में 5000 हजार रुपए का भुगतान किया जाता है। शेष 1 हजार रुपए जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रसव के बाद दिया जाता है। औसतन एक महिला के खाते 5000 रुपए आते हैं। योजना शुरू होने से लेकर 3 जुलाई 2020 तक 9 करोड़ 8 लाख 69 हजार रुपए का भुगतान किया जा चुका है। जहां कोविड काल में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में जुलाई 2020 तक 24 हजार 108 गर्भवती व स्तनपान करानी वाली महिलाएं लाभान्वित हो चुकी थी वहीं इस वर्ष अप्रैल से 9 सितंबर 2022 तक 1274 प्रसूताओं 40 हजार 768 फार्म ए वाली महिलाए लांभावित हो चुकी है। 

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना ये है उद्देश्य
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का मुख्य उद्देश्य काम करने वाली महिलाओं की मजदूरी के नुकसान की भरपाई करने के लिए मुआवजा देना और उनके उचित आराम और पोषण को सुनिश्चित करना। गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य में सुधार और नकदी प्रोत्साहन के माध्यम से अधीन-पोषण के प्रभाव को कम करना।

 इन श्रेणी की गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को नहीं मिलता लाभ
- जो केंद्रीय या राज्य सरकार या किसी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के साथ नियमित रोजगार में हैं।
- जो किसी अन्य योजना या कानून के तहत समान लाभ प्राप्तकर्ता हैं। सीडीपीओ नोमिनेशन ऑर्डर के अनुसार फार्म 1 ए, फार्म 1 बी, फार्म 1 सी के आधार पर भुगतान किया जाएगा। 

योजना में ये मिलते लाभ 
इस योजना से गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले जीवित बच्चे के जन्म के दौरान फायदा होगा। योजना की लाभ राशि ऑनलाइन के माध्यम से लाभार्थी के बैंक खाते में सीधे भेज दी जाएगी। किश्तों में राशि का भुगतान करेगी। पहली किस्त 1000 रुपए गर्भावस्था के पंजीकरण के समय, दूसरी किस्त: 2000 रुपए,यदि लाभार्थी छह महीने की गर्भावस्था के बाद कम से कम एक प्रसवपूर्व जांच कर लेते हैं । तीसरी किस्त: 2000 रुपए, जब बच्चे का जन्म पंजीकृत हो जाता है और बच्चे को बीसीजी, ओपीवी, डीपीटी और हेपेटाइटिस-ई सहित पहले टीके का चक्र शुरू होता है।

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इनका कहना है
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के लाभार्थियों के फार्म दो से तीन माह से विभाग वाले नहीं ले रहे है। जिससे कई लाभार्थियों की आवेदन की तिथियां निकलने से योजना का लाभ नहीं मिल सका। वहीं महिलाओं के फार्म जमा होने बाद भी दो से तीन माह से अभी तक भुगतान नहीं हुआ है। जिससे गर्भवती महिलाओं को योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। इस योजना का कोई धणी धोरी नहीं है। 
- शाहिदा खान, प्रदेशाध्यक्ष राजस्थान आंगनबाड़ी महिला कर्मचारी  संघ

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कोटा जिले प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में अप्रैल से 9 सितंबर तक लांभावितप्रधानमंत्री मातृ वंदना की प्रभावी मॉनीटरिंग की जा रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व आशा सहयोगी से फार्म मासिक बैठक में एक साथ लिए जाते है। मातृ वंदना की लाभार्थी गर्भवती व स्तनपान करने  महिलाओं के फार्म नियमित भरे जा रहे है। उनके खातों में भुगतान भी आ रहा है। किसी महिला का आधार या अन्य दस्तावेज अपडेट नहीं होने पर ही भुगतान देरी से होता है।
- आलोक शर्मा, उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास विभाग कोटा 

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