निगम ग्रेटर और हेरिटेज आयुक्त पेश होकर सफाई व्यवस्था की दें जानकारी : हाईकोर्ट

अदालत ने अधिकारियों से पूछा शहर में पुख्ता सफाई व्यवस्था के लिए क्या किया

निगम ग्रेटर और हेरिटेज आयुक्त पेश होकर सफाई व्यवस्था की दें जानकारी : हाईकोर्ट

शहर में आठ हजार दौ सौ सफाई कर्मचारी बताए जा रहे हैं, लेकिन अधिकतर कार्यालयों में दूसरे काम कर रहे हैं। ऐसे में कमेटी का अध्यक्ष होने के नाते मुख्य सचिव को बुलाना चाहिए। इस पर अदालत ने ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगमों के आयुक्तों को 21 सितंबर को पेश होने के आदेश दिए हैं।

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने शहर में सफाई व्यवस्था को लेकर ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम के आयुक्तों को पेश होने के आदेश दिए हैं। अदालत ने दोनों अधिकारियों से पूछा है कि शहर में पुख्ता सफाई व्यवस्था के लिए क्या किया जा रहा है। जस्टिस प्रकाश गुप्ता और जस्टिस अनूप ढंड की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि शहर में बेहतरीन सफाई व्यवस्था है। डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण व्यवस्था चलाई जा रही है। वहीं कचरा संग्रहण वाहनों की जीपीएस के जरिए ट्रेकिंग की जा रही है। बाजारों से रात और घरों से सुबह के समय कचरा एकत्रित किया जाता है। शहर के कचरा डिपो हटाए गए हैं और अब तीन हजार के बजाए करीब 200 कचरा डिपो ही रह गए हैं। वहीं न्यायमित्र विमल चौधरी ने कहा कि मामले में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। कमेटी आदेश दे देती है, लेकिन उनकी पालना नहीं की जाती।

सुनवाई के दौरान अदालत ने न्यायमित्र से पूछा कि इंदौर में सफाई का पुख्ता इंतेजाम किस तरह किया जाता है। इस पर न्यायमित्र ने कहा कि वहां सफाई पर सालाना सिर्फ तीन सौ करोड़ रुपए ही खर्च होता है। जबकि शहर में 17 सौ करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं, लेकिन फिर भी यहां सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। न्यायमित्र ने आरोप लगाया कि इंदौर में ईमानदारी से काम होता है और यहां भ्रष्टाचार व्याप्त है। शहर में आठ हजार दौ सौ सफाई कर्मचारी बताए जा रहे हैं, लेकिन अधिकतर कार्यालयों में दूसरे काम कर रहे हैं। ऐसे में कमेटी का अध्यक्ष होने के नाते मुख्य सचिव को बुलाना चाहिए। इस पर अदालत ने ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगमों के आयुक्तों को 21 सितंबर को पेश होने के आदेश दिए हैं।

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