लंपी का कहर : 190 करोड़, 76 लाख रुपए मूल्य से अधिक के गौवंश की मौत
मिठाइयों के बढ़े भाव
एक गाय की औसत कीमत 26 हजार रुपए, 1850 रुपए दवा और 1075 रुपए अतिंम संस्कार पर खर्च-इस तरह एक गाय पर कुल खर्चा 28 हजार, 925 रुपए।
जयपुर। राज्य में लंपी के कहर से अब तक मोटे तौर पर एक अरब, 90 करोड़, 76 लाख, 61 हजार, छह सौ रुपए के गौवंश की मौत हो गई। पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार आज तक 65 हजार, 952 पशुओं की मौत हुई है। यदि मरने वाली एक गाय की औसत कीमत 26 हजार रुपए, दवाईयों का औसत खर्चा 1850 और 1075 रुपए अंतिम संस्कार के जोड़े जाए तो एक गाय की औसत कीमत 28 हजार, 925 रुपए आती है। इसके अलावा चारा, पानी और परिवार की ओर से देखभाल का खर्चा खर्चा अलग है। प्रदेश में खेती के साथ ही पशुपालन भी आय का प्रमुख जरिया है, लेकिन पशुओं की हो रही अकाल मौत से पशुपालकों की आय काफी हद तक प्रभावित हुई है। पश्चिमी राजस्थान के बाद पूर्वी राजस्थान में हो रही गायों की मौत से ग्रामीण अर्थव्यवस्था काफी हद तक प्रभावित हुई है। दूध और दूध से बनने वाली मिठाईयों के भावों में काफी इजाफा दर्ज हुआ है। गाय के दूध से बनने वाले रसगुल्ले और बंगाली मिठाइयों के दामों में काफी वृद्धि दर्ज की गई है।
मिठाइयों के बढ़े भाव
गाय में लंपी के कहर से गायों की मौत हो रही हैं और 14 लाख से अधिक गाय बीमार हैं। इस कारण गाय का दूध नहीं आने से दूध के भावों में वृद्धि हुई है। इसी तरह गाय के दूध से बनने वाले रसगुल्ले और बंगाली मिठाइयों के भाव भी काफी बढ़ें हैं।
पशुपालन भारतीय अर्थव्यवस्था का मूल आधार है। गायों की मौत होने से ग्रामीण अंचल आर्थिक रूप से प्रभावित हुआ है। गोवंश को रोकथाम के प्रयास होने चाहिए।
-रामपाल जाट, राष्ट्रीय संयोजक, किसान महापंचायत,जयपुर
राज्य सरकार गाय को बचाने के लिए अधिक गम्भीर नहीं हैं। गाय की रक्षा के लिए सरकार को गम्भीर प्रयास करने चाहिए।
-करण सिंह, प्रदेश कार्यालय प्रमुख, भारतीय किसान संघ,जयपुर
हजारों की संख्या में गाय की मौत हो गई। पशुपालकों को गाय की मौत पर मुआवजा मिलना चाहिए। गाय की मौत के बाद उसके अंतिम संस्कार के लिए भी पशुपालकों को काफी धन खर्च करना पड़ रहा है।
-पुरूषोतम शर्मा, किसान एवं पशुपालक,बस्सी
गाय के लंपी से ग्रसित होने के बाद दामों में तेजी से इजाफा हुआ है। दूध से बनी मिठाइयों के भाव तेजी से बढ़े हैं। आगे नवरात्र और दीवाली पर भाव अधिक रहने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
-सुनील खुटेटा, खण्डेलवाल स्वीट्स,जयपुर
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