अब पंजाब व हरियाणा के भरोसे राजस्थान के किसान

कंबाइन हार्वेस्टर से खरीफ फसलों की होने लगी कटाई

अब पंजाब व हरियाणा के भरोसे राजस्थान के किसान

किसानों ने बताया कि गांवों में मजदूरों की कमी हुई है। वहीं मजदूरी अधिक होने से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। मौसम खराब होने पर कम समय में कंबाइन हार्वेस्टर से फसल की कटाई हो जाती है। इस कारण अधिकांश किसान इस मशीन से फसल की कटाई करवा रहे हैं।

कोटा। जिले में पिछले 15 दिनों से पंजाब व हरियाणा से कंबाइन हार्वेस्टर मशीनों  ने गांवों में डेरा डाल रखा है। गांवों में इन मशीनों से सोयाबीन, उड़द व अन्य फसलों की कटाई करवाई जा रही है। हाड़ौती के किसान इन दोनों राज्यों से  आने वाली कंबाइन हार्वेस्टर मशीनों के भरोसे हैं। इस बार मौसम की लगातार सक्रियता के चलते ज्यादातर किसान इन मशीनों से ही कटाई करवा रहे हैं। जानकारी के अनुसार खरीफ की फसलें खेतों में पकने के साथ ही पंजाब एवं हरियाणा के कंबाइन हार्वेस्टर मशीन चालकों ने खेतों में मोर्चा संभाल लिया है। कोटा के साथ प्रदेशभर में फसलों की कटाई, दलहन व अनाज निकालने के लिए कंबाइन हार्वेस्टर व थ्रेसर मशीनों का उपयोग तेजी से बढ़ गया है।

यह है प्रमुख वजह
मौसम के अचानक बदलाव के चलते बारिश होने से पूर्व पकी फसलों को निकालने के लिए मैन्युअल से जल्दी कंबाइन हार्वेस्टर व थ्रेसर से अनाज व दलहन निकाला जा सकता है। इससे मौसम खराब होने व बादल छाए होने पर भी कटाई के साथ अनाज व दलहन भी निकल जाता है। किसानों ने बताया कि गांवों में मजदूरों की कमी हुई है। वहीं मजदूरी अधिक होने से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। मौसम खराब होने पर कम समय में कंबाइन हार्वेस्टर से फसल की कटाई हो जाती है। इस कारण अधिकांश किसान इस मशीन से फसल की कटाई करवा रहे हैं।

बारिश के दौर ने बढ़ाया उपयोग
राजस्थान में इस बार मानसून सितंबर माह में भी सक्रिय बना हुआ है। आए दिन बारिश का दौर चल रहा है। इस समय खेतों में खरीफ की अधिकांश फसलें तैयार हो चुकी है। कई गांवों में तो कटाई भी शुरू हो गई है। कोटा जिले में अभी भी बारिश की संभावना बनी हुई है। यदि बारिश होती है तो खेतों में कटी पड़ी फसल को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए किसान कंबाइन हार्वेस्टर मशीन को ज्यादा तव्वजों दे रहे हैं।

आर्थिक रूप से इसलिए फायदेमंद

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एक बीघा में मूंग की कटाई में तीन मजदूर एक दिन में लगते हैं। इस पर करीब 900 रुपए खर्च हो जाते हैं, वहीं 600 रुपए प्रति घंटे से थ्रेसर से मूंग आदि निकालने के लिए खर्च होता है। जबकि कंबाइन हार्वेस्टर से एक बीघा में मूंग की कटाई व मूंग निकालने पर मात्र 500 से 800 रुपए ही खर्च होते हैं। इसलिए यह किसानों के लिए फायदेमंद है।

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कोटा जिले में बुवाई की स्थिति

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55 हजार 528 हैक्टेयर में उड़द
15 हजार हैक्टेयर में मूंग
1.74 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन

इनका कहना है
 फसल कटाई के समय मजदूरी दर की अधिकता एवं मौसम की अनिश्चितता से कोटा जिले के किसान भी कंबाइन हार्वेस्टर से फसल की कटाई करवा रहे हैं। इससे कम लागत और कम समय में फसलों की कटाई संभव हो पाती है। 
-रमाकांत कुमार, कृषि पर्यवेक्षक

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