पॉलिथीन में ही सामान देगा हर ठेला, डस्ट फ्री नहीं रह पाएगा मेला

अभी भी बाजारों में खुलेआम हो रहा पॉलिथीन का उपयोग

पॉलिथीन में ही सामान देगा हर ठेला, डस्ट फ्री नहीं रह पाएगा मेला

मेला समिति की बैठक में जब इस पर चर्चा हुई तो पता चला कि विजयश्री रंगमंच के दोनों तरफ और आस-पास की भूमि पर इंटर लोकिंग करवाने में करीब 3 .80 करोड़ रुपए का खर्चा होगा।

कोटा । 129वें राष्ट्रीय दशहरा मेले को डस्ट फ्री व पॉलिथीन मुक्त करने में इंटरलोकिंग  नहीं होना व पॉलिथीन का उपयोग  पूरी तरह से बंद नहीं होना बड़े रोड़े हैं। अभी भी बाजारों में खुलेआम पॉलिथीन का उपयोग हो रहा है। मेला शुरू होने से काफी समय पहले से ही नगर निगम द्वारा दावा किया जा रहा था कि इस बार मेले को डस्टफ्री व पॉलिथीन मुक्त बनाएंगे। मेला परिसर में इस तरह की व्यवस्था की जाएगी जिससे वहां धूल नहीं उड़ सके और लोगों को श्वांस लेने में परेशानी नहीं हो। लाखों लोगों की मौजूदगी के बाद भी परिसर में धूल उड़ती हुई नहीं दिखाई देगी।  इसके लिए निगम अधिकारियों व मेला समिति सदस्यों ने दशहरा मैदान के कच्चे हिस्से को पक्का कर इंटर लॉकिंग करने पर विचार किया। जिसके लिए शुरुआत में बजट व एस्टीमेट भी तैयार कराया गया। मेला समिति की बैठक में जब इस पर चर्चा हुई तो पता चला कि विजयश्री रंगमंच के दोनों तरफ और आस-पास की भूमि पर इंटर लोकिंग करवाने में करीब 3 .80 करोड़ रुपए का खर्चा होगा। जिसके बाद उस काम को करने न करने पर असमंजस की स्थिति रही। हालांकि शुरुआत की बैठक में ही मुख्य अभियंता प्रे शंकर शर्मा ने इस पर आपत्ती जता दी थी। जिसमें कहा था कि कोटा दक्षिण के हिस्से में मेले का कुल बजट ही 4 करोड़ रुपए है। ऐसे में 3.80 करोड़ रुपए सिर्फ इंटर लोकिंग पर खर्च करना संभव नहीं है। उसके बाद यह बात आई गई हो गई। 

 दावा खोखला साबित
नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण के संयुक्त तत्वावधान में मेले की शुरुआत तो हो गई है। लेकिन मेला परिसर में विजयश्री रंगमंच के सामने की कच्ची जगह पर इंटर लोकिंग नहीं हुई है। जिससे वहां अभी भी भूमि कच्ची ही है। उस कच्ची भूमि पर दुकानें लगने व हजारों लोगों के एक साथ चलने पर धूल उड़ने की पूरी संभावना है। ऐसे में निगम का डस्टफ्री मेला करवाने का दावा खोखला साबित हो रहा है।  वहीं मेले को पॉलिथीन मुक्त रखने का भी निर्णय किया गया था। सरकार द्वारा सिंगल यूज पलास्टिक को प्रतिबंधित कर दिया गया। जिसके बाद भी यदि कोई पॉलिथीन बेचता व उपयोग करता पाया जाए तो उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए निगम के दोनों सीएफओ को अधिकारी व टीम बनाई गई। टीम ने शुरुआत में कार्रवाई भी की। लेकिन उसके बाद उन्हें बाढ़ व मेला समेत कई ऐसे काम दिए गए जिससे वे उस मूल काम को अंजाम ही नहीं दे पा रहे। जिसका परिणाम है कि अभी की सब्जी मंडी से लेकर किराने की दुकान और खाद्य पदार्थों की दुकानों पर पॉलिथीन का धडल्ले से उपयोग हो रहा है। ऐसे में दशहरा मेले में भी पॉलिथीन का उपयोग पूरी तरह से नहीं होना  संभव नहीं है।  

खर्चा अधिक होने से प्रोजेक्ट निरस्त
नगर निगम के मुख्य अभियंता प्रेम शंकर शर्मा ने बताया कि मेला समिति की बैठक में दशहरा मैदान में इटर लोकिंग करवाने की चर्चा हुई थी।  उसका बजट तैयार करवाया तो खर्चा काफी अधिक था। ऐसे में उस प्रोजेक्ट को कैंसिल कर दिया था। वैसे मैदान में जो हिस्सा कच्चा है वहां घास फगी हुई है। बरसात में वह घास बड़ी हो गई थी। जिसे हाल ही में कटवाया है। ऐसे में कच्चेी जगह पर भी धूल नहीं उड़ेगी। वहीं निगम अधिकारियों का कहना है कि मेले में कम से कम पॉलिथीन का उपयोग हो इसके लिए कपड़े के थैले बटवाने की व्यवस्था की जाएगी। 

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