चार करोड़ का नुकसान, मेला पानी-पानी

व्यापारियों की खुशियों पर लगा ग्रहण

चार करोड़ का नुकसान, मेला पानी-पानी

कोरोना काल के दो साल बाद कोटा में राष्ट्रीय दशहरा मेला लगने की सूचना से ही स्थानीय के साथ ही देशभर के व्यापारियों में जो खुशी व जोश भर गया था लेकिन अब बरसात रूला रही है। हालात यह है कि दो दिन से लगातार हो रही बरसात ने मेले में पानी फेर दिया।

कोटा। पिछले दो दिन से हो रही लगातार बरसात ने मेले की रौनक तो फीकी कर ही दी। साथ ही आर्थिक नुकसान भी काफी हुआ है। बरसात के कारण मेले में लोगों के नहीं पहुंचने से अधिकतर दुकानदार खाली बैठे रहे। मेले में रोजाना करीब एक लाख से अधिक लोगों का अनुमान रहता है। जिससे सभी क्षेत्र के बाजारों से करीब दो से तीन करोड़ रुपए रोजाना का कारोबार होने का अनुमान रहता है। लेकिन शुक्रवार व शनिवार को दो दिन में हुई बरसात से एक चौथाई लोग भी मेले में नहीं पहुंच सके। जिससे व्यापारियों की कमाई ही नहीं हुई। व्यापारियों के अनुसार दो दिन में करीब 4 करोड़ रुपए से अधिक के नुकसान का अनुमान है। 

तैयारी धरी रह गई
शनिवार व रविवार को अवकाश होने से इन दो दिन में ही सबसे अधिक भीड़ उमड़ती है। लेकिन शनिवार को तो मेला शुरू होने से पहले ही शाम 4 बजे से 7 बजे तक बरसात हुई। वह भी मूसलाधार। जिससे मेला शुरू ही नहीं हो सका। दुकानदार तैयारी ही कर रहे थे। झूले वाले तैयार हो रहे थे। मेले में लाइटें भी नहीं जली थी कि बरसात के कारण लोग ही नहीं पहुंच सके। हालांकि बरसात थमने के बाद लोग मेला घूमने गए लेकिन उनकी संख्या बहुत कम रही। परिवार के साथ तो लोग जाने में डरने लगे कि मौसम विभाग की चेतावनी के अनुसार कभी भी बरसात हो सकती है। जिससे मेले में जाना बेकार हो जाएगा।

दो साल बाद जगी उम्मीद पर फिरा पानी
कोरोना काल के दो साल बाद कोटा में राष्ट्रीय दशहरा मेला लगने की सूचना से ही स्थानीय के साथ ही देशभर के व्यापारियों में जो खुशी व जोश भर गया था। वह मेला शुरू होने के साथ ही दशहरा मैदान में दिखाई भी दिया। लेकिन दो साल तक जहां कोरोना काल ने व्यापारियों को रूलाया वहीं अब बरसात रूला रही है। हालत यह है कि दो दिन से लगातार हो रही बरसात ने मेले में पानी फेर दिया। मेला परिसर में बरसात से पानी ही पानी हो गया। बरसात के कारण मेले में लोगों की संख्या कम हो गई। जिससे व्यापारियों व दुकानदारों की कमाई मारी गई।

तिरपाल से ढका पूरा मेला
लगातार दो दिन से बरसात होने से मेले में लगी छोटी-बड़ी सभी दुकानों पर तिरपाल ही तिरपाल नजर आने लगे हैं। हर दुकान तिरपाल से ढकी हुई है। बड़ी-बड़ी दुकानों के साथ ही चाटपकौड़ी से लेकर फेरी का सामान बेचने वाले तक तिरपाल का सहारा लेना पड़ रहा है। सबसे अधिक फुटपाथ पर व खुले में सामान बेचने वाले दुकानदारों पर अधिक मार पड़ रही है। फुटपाथ पर दुकान लगाने वालों का कहना है कि फर्श बराबर जगह के ढाई हजार रुपए की रसीद कटवाई है। कमाई होना तो दूर बरसात के कारण समय से पहले दी दुकानें बढ़ानी पड़ रही है। ऐसे में खर्चा भी नहीं निकल रहा है। 

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पक्की जगह पर भरा पानी, कच्ची में हुआ कीचड़
बरसात के कारण मेला परिसर में पक्की जगह पर तो जगह-जगह पानी भर गया। वहीं कच्ची जमीन पर कीचड़ हो गया। दुकानों के आगे कीचड़ होने से वहां तक ग्राहक ही नहीं पहुंच पा रहे हैं। जिससे उनकी कमाई तो मारी गई। वहीं कुछ लोग वहां तक जा भी रहे हैं तो कीचड़ से होकर गुजरना पड़ रहा है। जिससे उसमें फिसलन हो गई। 

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इनका कहना है
मेले में इस बार व्यापारियों को अच्छी कमाई होने का अनुमान था। इसी उम्मीद से व्यापारी मेले में आया था। लेकिन मौसम ने उनकी उम्मीद पर पानी फेर दिया। हालत यह है कि दो दिन से  हो रही बरसात के कारण मेले में लोग ही नहीं आ पा रहे। सिर्ल फूड कोर्ट तक लोग आ रहे हैं लेकिन वह भी बहुत कम संख्या में। जिससे कमाई होना तो दूर खर्चा भी नहीं निकल रहा। भट्टी नहीं चलने से कारीगारों के लिए खाना तक नहीं बन पा रहा है। मेले में आने वाले लोगों के अनुमान के हिसाब से रोजाना करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। 
-सुनील वैष्णव, दुकानदार

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मेले में सबसे अधिक शनिवार व रविवार को ही भीड़ रहती है। व्यापारियों को भी सामान्य दिनों की तुलना में इन दो दिन में कमाई की उम्मीद रहती है। लेकिन दो दिन से हो रही बरसात से ग्राहक ही नहीं आ रहे हैं। ऐसे में जितनी उम्मीद थी उसके हिसाब से कुछ भी कमाई नहीं हुई है। बरसात ने मेले की रौनक व कमाई फीकी कर दी। रोजाना करीब डेढ़ से दो करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है।
-प्रमोद लोधा, दुकानदकार

दशहरा मेले का दो साल से इंतजार था। मेला शुरू होने पर देशभर से झूला संचालक यहां आए हैं। नीलामी में महंगे दामों पर जगह किराए पर लेकर झूले लगाए वह भी इस उम्मीद में कि इस बार अच्छी कमाई होगी। लेकिन मेला शुरू होने के साथ ही मौसम की मार ने झूला संचालकों की कमर ही तोड़ दी है। दो दिन से बिल्कुल ही कमाई नहीं हुई है। 
-जाकिर हुसैन, झूला संचालक

कोटा के दशहरा मेले का दो साल से इंतजार था। जैसे ही मेला शुरू होने की जानकारी मिली वैसे ही मेले में आए। यहां आकर दुकान लगाई थी लेकिन बरसात की मार ऐसी पड़ी कि सारी उम्मीद पर पानी फिर गया। बाहर से आकर दुकान तो लगा ली लेकिन अभी तक तो कमाई ही नहीं हुई है सिर्फ खर्चा ही खर्चा हो रहा है। 
-नानक सिंह, दुकानदार आगरा

मेले में रेडीमेड गारमेंट की दुकान लगाई है। यही सोचकर लगाई कि इस बार कमाई अच्छी होगी। लेकिन बरसात ने पूरी उम्मीद पर पानी फेर दिया। दुकानों में पानी भर गया। सारा माल गीला हो गया। जिससे काफी अधिक नुकसान हो गया। ग्राहक भी नहीं आ रहे हैं। 
-सोहेल खान, दुकानदार

देशभर में मेले में ही दुकानें लगाने के लिए घूमते रहते हैं। कोटा के दशहरे मेले का काफी नाम है। ऐसे में इस बार दो साल बाद मेला भरने से ग्राहकी अधिक होने की उम्मीद थी। उसी उम्मीद में इतनी दूर से यहां आए। लेकिन बरसात के कारण ग्राहक ही नहीं आने से कमाई होना तो दूर रहने, दुकान का किराया और खाने-पीने का खर्चा भी जेब से ही वहन करना पड़ रहा है। 
-जितेन्द्र सिंह, हरियाणा

नगर निगम व मेला समिति की ओर से दशहरा मेले को बेहतर ढंग से आयोजित करने के हर संभव प्रयस किए गए। दुकानों व झूलों का आवंटन भी समय पर कर दिया गया। मेला सही ढंग से शुरू भी हो गा। लेकिन प्रकृति पर किसी का जोर नहीं है। बरसात होने से मेले में लोगों की संख्या  अपेक्षाकृत कम रही है। जिससे व्यापारियों का नुकसान तो हुआ ही है। हालाकि बरसात तो सिर्फ  दो दिन और बताई जा रही है। अभी तो मेला 21 अक्टूबर तक चलेगा। मेले में लोग भी आएंगे और व्यापार भी अच्छा होगा।
-मंजू मेहरा, अध्यक्ष मेला समिति

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