जिम्मेदार पाबंद कर भूले, मेले में जमकर हो रहा बाल श्रम

निगम के दावों की पोल खोलता दशहरा मेला, दुकानों में साफ-सफाई सहित कई अन्य काम कर रहे बाल श्रमिक

जिम्मेदार पाबंद कर भूले, मेले में जमकर हो रहा बाल श्रम

खाने-पीने की दुकानों पर ग्राहकों को बुलाने का काम हो या दुकानों में साफ सफाई से लेकर बरतन साफ करने का। मेले में लगी दुकानों में से अधिकतर में छोटे-छोटे बच्चों को काम करते हुए देखा जा सकता है।

कोटा । दृश्य-1 राष्ट्रूीय दशहरा मेला जहां रोजाना हजारों लोग मेले में घूमने आ रहे हैं। जहां सैकड़ों छोटी-बड़ी दुकानें लगी हुई हैं। वहां विजयश्री रंगमंंच के सामने कच्ची भूमि पर घुड़सवारी का आनंद भी दिलाया जा रहा है। लेकिन जो घोड़े घुमा रहे हैं उनमें अधिकतर नाबालिग बच्चे हैं। 

दृश्य- 2 दशहरा मेले में मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही श्रीराम रंगमंच के पास से लेकर विजयश्री रंगमंच के सामने और गेट नम्बर 7 के आस-पास समेत करीब आधा दर्जन जगहों पर छोटे-छोटे बच्चे रस्सी पर खड़े होकर बैलेंस का खेल दिखा रहे हैं। उनके परिजन व अन्य लोग दूर खड़े होकर तमाशा देख रहे हैं। 

दृश्य- 3 राष्ट्रीय स्तर के दशहरा मेले में जहां देशभर की दुकानें लगी हुई हैं। जिनमें सोफ्टी से लेकर खिलौने व गुलदस्ते तक की दुकानें शामिल हैं। हालत यह है कि इस तरह की अधिकतर दुकानों में नाबालिगों से काम लिया जा रहा है। जिनकी उम्र 14 साल से कम है। 

 ये तो उदाहरण मात्र हैं। दशहरा मेले में इस तरह की कई दुकानें हैं जहां जमकर बालश्रम हो रहा है। खाने-पीने की दुकानों पर ग्राहकों को बुलाने का काम हो या दुकानों में साफ सफाई से लेकर बरतन साफ करने का। मेले में लगी दुकानों में से अधिकतर में छोटे-छोटे बच्चों को काम करते हुए देखा जा सकता है। वह भी उस स्थिति में जब मेले में मेला समिति की अध्यक्ष, सदस्य, मेले से जुड़े अधिकारी, निगम अधिकारी, पुलिस अधिकारी व जवान और बाल कल्याण समिति व चाइल्ड लाइन के सदस्य व पदाधिकारी तक मौजूद रहते हैं। 

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बालश्रम मुक्त मेला भरवाने का किया था दावा
कोरोना काल के दो साल बाद आयोजित हो रहे 129 वें राष्ट्रीय दशहरा मेले को जिस तरह से निगम अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों ने भव्य बनाने के दावे किए थे। उसी तरह से मेले को बालश्रम मुक्त बनाने का भी दावा किया था। लेकिन हालत यह है कि मेले में जमकर बालश्रम हो रहा है। जिम्मेदार देखकर भी अनदेखी कर रहे हैं। दशहरा मेले का शहर वासियों के साथ ही स्थानीय व देशभर के व्यापारियों को बेसब्री से इंतजार था। जैसे ही इसके आयोजन की तैयारियां शुरू हुई वैसे ही इसे भव्य बनाने के दावे किए गए। उसी समय मेले में लगने वाली दुकानों  पर बालश्रम नहीं होने देने के दावे निगम अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के साथ ही बाल कल्याण समिति व चाइल्ड लाइन के सदस्यों ने किए थे। इसके लिए बाल कल्याण समिति व चाइल्ड लाइन के सदस्यों को मेले में ड्यूटी पर लगाया भी था।  मेले में बालश्रम होने और मेला समाप्ति के नजदीक होने के बाद अभी तक भी किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की है। 

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दो दिन में समाप्त हो जाएगा मेला
दशहरा मेला नवरात्र स्थापना पर 26 सितम्बर को शुरू हो गया था। लेकिन मेला पूरी तरह से दशहरा के दिन 5 अक्टूबर से परवान पर चढ़ा है। हालांकि दो दिन तक बरसात ने मेले पर पानी फेर दिया था। उसके बाद मौसम सामान्य होते ही मेले में रंगत लौट आई है। हर दुकान पर जमकर ग्राहकी हो रही है। दिन के समय तो दुकानों पर बाल श्रमिक नजर नहीं आते। जबकि रात के समय भीड़भाड़ अधिक होने पर नाबालिगों को काम करते हुए देखा जा सकता है। काम करने वाले इन नाबालिगों की उम्र 14 साल से भी कम है। जिनमें घुड़ सवारी करवाने जैसा खतरनाक काम भीे है। जिसमें घोड़ा कभी भी बिदक सकता है। उन घोड़ों को नाबालिग हैंडल कर रहे हैं वह भी भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में। 
 
निरीक्षण में मिले थे बाल श्रमिक
दशहरा मेले में गत दिनों बाल कल्याण समिति के सदस्य, चाइल्ड लाइन सदस्यों  व स्काउट गाइड के पदाधिकारियों ने मेले की दुकानों का निरीक्षण किया था। उस दौरान कई जगह पर उन्हें भी बाल श्रमिक काम करते हुए मिले थे। लेकिन उस समय निरीक्षण करने वालों ने दुकानदारों को बाल श्रम नहीं करवाने के लिए पाबंद किया था। उसके साथ ही दोबारा बालश्रमिक मिलने पर कार्रवाई की चेतावनी दी थी। लेकिन हालत यह है कि मेले में दुकानदारों पर उसका कोई असर दिखाई नहीं दिया। वहीं समिति के सदस्यों ने भी  दोबारा जाकर देखने का प्रयास तक नहीं किया। नतीजा अभी भी मेले में बालश्रम हो रहा है। 

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इनका कहना है
मेले में बालश्रम नहीं हो इसके लिए पहले ही दुकानदारों को पाबंद किया था। गत दिनों निरीक्षण के समय भी जहां बाल श्रमिक मिले थे उन्हें भविष्य में ऐसा नहीं करने के लिए पाबंद किया था। एक दिन पहले हुई शांति समिति की बैठक में जिला कलक्टर से मेले में रस्सी पर बच्चों द्वारा बिना सुरक्षा के करतब दिखाने की शिकायत की थी। इस पर जिला कलक्टर ने उसे तुरंत प्रभाव से रोकने के निर्देश दिए थे। मेले में यदि अभी भी बालश्रम हो रहा है तो फिर से जांच की जाएगी। 
- विमल जैन, सदस्य, बाल कल्याण समिति  

मेले में कई दुकानदार व व्यापारी परिवार समेत आए हुए हैं। उनके परिवार के बच्चे साथ में बैठे हुए हो सकते हैं। लेकिन मेले में बालश्रम होने की जानकारी नहीं है। यदि ऐसा हो रहा है तो उसे दिखवाया जाएगा। 
- मंजू मेहरा, अध्यक्ष, मेला समिति व महापौर

 

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