पेपर लीक के आरोपियों को तुरंत सलाखों के पीछे भेजा: सीएम गहलोत

आरयू में सीएम ने किया हाईटेक डिजिटल लाइब्रेरी का उद्घाटन

पेपर लीक के आरोपियों को तुरंत सलाखों के पीछे भेजा: सीएम गहलोत

कार्यक्रम के बाद जब मुख्यमंत्री गहलोत मंच से उतरे और सीधे विद्यार्थियों के बीच पहुंच गए। मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर छात्र काफी खुश नजर आए। सीएम गहलोत ने सभी छात्रों से हाथ भी मिलाया और 5 मिनट तक बात की। 

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान विश्वविद्यालय में बुधवार को 12 करोड़ रुपए की लागत से तैयार नवनिर्मित बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर पुस्तकालय भवन एवं 23.32 लाख रुपए से बने तीरंदाजी खेल मैदान का लोकार्पण किया। परिसर में 13.22 लाख रुपए से स्थापित डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा का अनावरण भी किया। सभा में उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि भविष्य निर्माण के लिए सपने देखें। सकारात्मक सोच के साथ संकल्पित होकर पूरा करने में जुट जाएं, तभी सफलता मिलेगी। उन्होंने वनरक्षक भर्ती परीक्षा पर कहा कि पेपर लीक करने वाले आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेजा गया है। पेपर लीक गैंग कई प्रदेशों में फैली हुई है, पहले भी कई पेपर लीक हुए हैं उसमें सरकार की ओर से तुरंत कार्रवाई की गई है। राजस्थान देश में एकमात्र ऐसा राज्य जहां का पेपर लीक गैंग के सदस्यों को गिरफ्तार करके जेल भेजा जा रहा है। 

गहलोत ने दो बार तीर चलाई
यूनिवर्सिटी में तीरंदाजी खेल मैदान का उद्घाटन मुख्यमंत्री ने किया। इस दौरान गहलोत ने तीरंदाजी में अपने हाथ आजमाते हुए दो बार तीर चलाए, तो वहीं तीर चलाने में मुख्यमंत्री के सारथी बने तीरंदाजी के गौरव रजत चौहान। पहले निशाना जहां मुख्यमंत्री का चूका तो वहीं दूसरे निशाने में मुख्यमंत्री ने परफेक्ट 10 का स्कोर करते हुए बुल आई शॉट मारा। गहलोत ने तीरंदाजी में लगाए हुए निशाने पर चुटकी लेते हुए कहा कि यहां पर मेरा तीर निशाने पर लगा है। इसका मतलब है कि मेरे तीर निशाने पर लग रहे हैं। 

सीएम पहुंचे छात्रों के बीच 
कार्यक्रम के बाद जब मुख्यमंत्री गहलोत मंच से उतरे और सीधे विद्यार्थियों के बीच पहुंच गए। मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर छात्र काफी खुश नजर आए। सीएम गहलोत ने सभी छात्रों से हाथ भी मिलाया और 5 मिनट तक बात की। 

अंग्रेजी की वजह से मैंने चप्पल खाई
गहलोत ने कहा कि बचपन से ही मैं अंग्रेजी के खिलाफ था। स्कूल टाइम पर सोचते थे कि अंग्रेजी और संस्कृत हमारे क्या काम आएगी और चप्पल खाते थे। उस वक्त दक्षिण के अलावा सभी हिंदी राज्यों में अंग्रेजी का विरोध था। 40 सालों में मैं समझ गया हूं कि अंग्रेजी इंटरनेशनल भाषा है। इसीलिए हिंदी के साथ इंग्लिश सीखना भी जरूरी है। 

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