हवा में प्रदूषण का कहर, कोटा तीसरे पायदान पर
हवा की गति कम होने से बढ़ रहा प्रदूषण का ग्राफ, राजस्थान के तीन शहरों की वायु अधिक प्रदूषित
शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 131 पर बना हुआ है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है। यानि अब यहां की हवा प्रदूषित हो चुकी है। हवा की गति मंद होने के कारण शहर में वायु प्रदूषण का ग्राफ कम नहीं हो पा रहा है।
कोटा। सर्दी का असर बढ़ने और तापमान में लगातार गिरावट होने के बावजूद राजस्थान के कई शहर अभी भी वायु प्रदूषण की चपेट में हैं। उनमें कोटा भी शामिल है। राजस्थान में वायु प्रदूषण के हिसाब से कोटा शहर तीसरे पायदान पर चल रहा है। प्रदेश में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर जोधपुर हैं। कोटा शहर के वासियों को अब सर्दी में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 131 पर बना हुआ है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है। यानि अब यहां की हवा प्रदूषित हो चुकी है। हवा की गति मंद होने के कारण शहर में वायु प्रदूषण का ग्राफ कम नहीं हो पा रहा है।
प्रदेश के प्रमुख शहर व एक्यूआई स्तर
कोटा - 131
जयपुर -102
अजमेर - 78
भिवाड़ी - 176
जोधपुर - 219
पाली -114
अलवर - 80
एक्यूआई यह देता है संकेत
- अच्छा यानि कोई दिक्कत नहीं 0-50
- संतोषजनक हवा 51-100
- बाहर जाने से बचें 101-200
- श्वसन के मरीजों को तकलीफ 201-300
- लम्बे बीमार रोगियों को दिक्कत 301-400
- बाहर बिलकुल नहीं निकलें 401-500
यहां लगातार 125 से अधिक
दीपावली के दौरान शहर में जमकर आतिशबाजी का दौर चला था। लगातार आतिशबाजी के कारण उस समय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 250 पर पहुंच गया था। इस श्रेणी को काफी खतरनाक माना जाता है। इस स्थिति में दमा रोगियों को काफी खतरा उत्पन्न हो जाता है। इसके बाद वायु प्रदूषण का ग्राफ ज्यादा कम नहीं हो पाया। यहां पर दीपावली के बाद से एक्यूआई 125 से अधिक बना हुआ था। वर्तमान में शहर का एक्यूआई 131 पर पहुंच गया है। सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण के ग्राफ में गिरावट होने चाहिए थी, लेकिन अभी तक शहर की वायु स्वच्छ नहीं हो पाई है।
इसलिए भी बढ़ रहा प्रदूषण
शहर में इस समय चारों तरफ निर्माण कार्य चल रहे हैं। रोजाना सैंकड़ों वाहनों से निर्माण सामग्री का परिवहन किया जा रहा है। वहीं विभिन्न स्थानों पर निर्माण सामग्री के ढेर पड़े हुए, जो हवा के स्तर को प्रदूषित कर रहे हैं। निर्माण स्थलों पर कार्य के दौरान सामग्री के कण उड़कर हवा में मिलते रहते हैं। इससे अब हवा में सांस लेना भी घातक साबित हो रहा है। वर्तमान में धूल व अन्य निर्माण सामग्री के कण हवा में घुल गए हैं। इससे वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है।
यह होता है एक्यूआई
एक्यूआई में पार्टिकुलेट मेटर यानि धूल के कणों का मापन होता है। धूल कण 10 माइक्रोन और 2.5 माइक्रोन तक मापे जाते हैं। इसके अलावा हवा में नाइट्रोजन डाई आॅक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड व ओजोन मापी जाती है। इसकी इकाई माइकोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होती है। एक्यूआई के माध्यम से ही यह पता चलता है कि हवा में प्रदूषण का स्तर कहां तक पहुंच चुका है और इसके प्रमुख कारण क्या हैं।
प्रदूषण में जोधपुर अव्वल, कोटा तीसरे पर
देश में दिल्ली सहित पूरे एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण काफी खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। इसके चलते वहां पर कई पाबंदियां लगा दी गई है। राजस्थान की बात करें तो जोधपुर की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं। यहां का एक्यूआई 219 पर पहुंच चुका है। इस हवा में सांस लेना भी दुश्वार हो रहा है। इसके बाद 176 एक्यूआई के साथ भिवाड़ी दूसरे स्थान पर है। वहीं कोटा शहर तीसरे स्थान पर 131 एक्यूआई के साथ प्रदूषित बना हुआ है।
वर्तमान में हवा की गति मंद हो गई। इस कारण हवा में प्रदूषक संवाहक ज्यादा फैल रहे है। तेज हवा चलने पर प्रदूषण में कमी होती हैं, लेकिन इस समय का मौसम वायु प्रदूषण के लिए अनुकूल बना हुआ है। इस कारण वायु प्रदूषण में कमी नहीं हो पा रही है।
- एसडी मीना, मौसम वैज्ञानिक कोटा
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