सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सीईसी ऐसा हो जो एक पीएम के खिलाफ भी कर सके कार्यवाई

सुप्रीम कोर्ट ने टी एन शेषन को किया याद

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सीईसी ऐसा हो जो एक पीएम के खिलाफ भी कर सके कार्यवाई

कोर्ट ने दिवंगत पूर्व चुनाव आयुक्त टी एन शेषन को याद करते हुए कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ऐसा होना चाहिए जो खुद पर बुलडोजर नहीं चलने देता।

नई दिल्ली। संवैधानिक बेंच ने चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार की सिफारिश करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। यह जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच थी। कोर्ट ने दिवंगत पूर्व चुनाव आयुक्त टी एन शेषन को याद करते हुए कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ऐसा होना चाहिए जो खुद पर बुलडोजर नहीं चलने देता। पीठ ने कहा कि कई सीईसी रहे लेकिन टी एन शेषन कभी- कभार होता है।

जस्टिस केएम जोसेफ, अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सी टी रविकुमार की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि संविधान ने सीईसी और चुनाव आयुक्त के कंधों पर विशाल शक्तियां डाल रखी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 साल का होता है, लेकिन किसी भी मुख्य चुनाव आयुक्त ने 2004 के बाद से अपना कार्यकाल पुरा नहीं किया है। 

जस्टिस के.एम. जोसेफ ने कहा, हमें एक ऐसे सीईसी की जरूरत है, जो एक पीएम के खिलाफ भी कार्रवाई कर सके। उन्होंने कहा कि योग्यता के अलावा, महत्वपूर्ण यह है कि आपको चरित्र वाले किसी व्यक्ति की आवश्यकता है, कोई ऐसा व्यक्ति जो खुद पर बुलडोजर न चलने दे। ऐसे में सवाल यह है, कि इस व्यक्ति की नियुक्ति कौन करेगा? नियुक्ति समिति में मुख्य न्यायाधीश की उपस्थिति होने पर कम से कम दखल देने वाली व्यवस्था होगी? हमें सबसे अच्छा आदमी चाहिए और इस पर कोई मतभेद नहीं होना चाहिए।

भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि इस मुद्दे पर संविधान में कोई रिक्तता नहीं है। वर्तमान में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति मंत्रिपरिषद की सलाह पर राष्ट्रपति करते हैं। उन्होंने कहा कि अदालत को इस मुद्दे को इस दृष्टिकोण से देखना चाहिए।

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