लापरवाही: यूरिया की कमी, धरतीपुत्र भुगत रहे खामियाजा
भूखे प्यासे दिनभर कतारों में खड़े रहने के बाद भी नहीं मिल रहा यूरिया, डिमांड अधिक, लेकिन सप्लाई कम हो रही, वितरण की अव्यवस्थाओं से किसान भी बेबस
हाड़ौती संभाग में कोटा जिले में ही नहीं बूंदी, बारां, झालावाड़ा में यूरिया के लिए किसानों की लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही है। धरतीपुत्र अपनी फसलों के लिए यूरिया के लिए मारे-मारे फिर रहे है। लेकिन लाख कोशिश के बाद भी दिनभर घंटों खड़ा रहने के बाद भी किसानों को अपने हिस्से का यूरिया नसीब नहीं हो पा रहा है।
अरनेठा। हाड़ौती संभाग में यूरिया की किल्लत से काश्तकारों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासनिक लापरवाही का खामियाजा काश्तकारों को भुगतना पड़ रहा है। यूरिया की खपत के हिसाब से आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इसके चलते यूरिया के लिए किसान भटकने को मजबूर है। किसान और उसका परिवार सहकारी केंद्र पर दिनभर भूखे प्यासे खड़े रहते है। लेकिन फिर भी किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ता है। यूरिया के लिए किसानों के बीच कई धक्का मुक्की की नौबत आ जाती है। ऐसे में पुलिस बल को स्थिति को काबू करने पड़ रहा है। पहले मौसम की मार और अब यूरिया की कालाबाजारी और यूरिया के वितरण प्रशासनिक व्यवस्था की खामियों का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। किसानों के अरमानों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। हाड़ौती संभाग में कोटा जिले में ही नहीं बूंदी, बारां, झालावाड़ा में यूरिया के लिए किसानों की लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही है। धरतीपुत्र अपनी फसलों के लिए यूरिया के लिए मारे-मारे फिर रहे है। लेकिन लाख कोशिश के बाद भी दिनभर घंटों खड़ा रहने के बाद भी किसानों को अपने हिस्से का यूरिया नसीब नहीं हो पा रहा है।
डिमांड अधिक, आपूर्ति कम
किसानों के लिए वर्तमान समय में यूरिया की महत्ती आवश्यकता है। हर किसान अपने खेतों में फसल की अच्छी पैदावार के लिए यूरिया के लिए दौड़ भाग कर रहे है। यूरिया के लिए पूरे संभाग में खूब डिमांड है। लेकिन डिमांड की अपेक्षा यूरिया की बहुत कम आपूर्ति हो पा रही है। किसानों को डिमांड के अनुरूप यूरिया नहीं मिल पा रहा है। यूरिया की आपूर्ति कम होने से किसानों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
यूरिया की कालाबाजारी
हाड़ौती संभाग में ऐसे कई मामले सामने आए है कि निजी फर्मों द्वारा यूरिया की कालाबाजारी की जा रही है। कई फर्म तो ऐसी है कि कि मनमाने दाम वसूल रहे है। यूरिया की निर्धारित दर से दोगुना दाम वसूल रहे है। ऐसे में किसान अधिक दाम देकर यूरिया खरीदने को मजबूर हो रहे है।
किसानों की मांग के अनुरूप नहीं हो रही यूरिया की सप्लाई
अरनेठा कस्बा सहित क्षेत्र के किसानों ने अपनी मांग के अनुरूप यूरिया की सप्लाई नही होने और अब 2 बैग की व्यवस्था को समाप्त कर 5 बैग करने की मांग की हैं ।
मौसम की मार से पहले से आहत है धरतीपुत्र
इस बार बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण किसानों की खरीफ की फसलें पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं। लेकिन मौसम की मार सहन कर जैसे-तैसे रबी की फसलों की तैयारी में लग गया। लेकिन सरकारी अव्यवस्था और प्रशासनिक अंसेदनशीलता के कारण किसानों को रबी की फसलें भी चौपट होती नजर आ रही हैं। खरीफ के बाद किसानों ने रबी की फसलों को लेकर जो अरमान संजोए थे वो सरकारी व्यवस्था से टूटते नजर आ रहे है। इस बार रबी की फसलों की बुवाई के समय से ही पहले डीएपी की खद की कमी ने परेशान किया। अब यूरिया खाद के लिए तो किसानों को भूखे प्यासे कतारों में लगकर एक-दो कट्टों का इंतजाम करने का मजबूर होना पड़ रहा है। यूरिया की कमी के कारण किसान सरसों की फसल में पानी नहीं दे पा रहे है। जिससे फसलें खराब होने लगी है। पहले मौसम की मार और अब यूरिया की कालाबाजारी और यूरिया के वितरण व्यवस्था में खामियों का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
पर्याप्त मात्र में खाद नही मिल रहा हैं । गेहूं की बुवाई शुरू हो गई हैं। सहकारी समिति आते हैं 2 बैग लेकर जाते हैं । कम जमीन वाले किसानों के तो पूर्ति हो जाती हैं लेकिन 10 बीघा से उपर वाले किसानों के लिए नई व्यवस्था सिरदर्द बनी हुई हैं । हमारा पूरा दिन भी खराब हो जाता हैं और काम भी पूरा नहीं हो रहा हैं। अब विभाग को थोड़ा गंभीर होकर इस पर चिंतन कर 2 बैग को हटाकर 5 बैग कर देना चाहिए। साथ ही पंचायत समिति में कृषि पर्वेक्षक , सहायक अधिकारी एवम कृषि अधिकारियों की कमी को पूरी करनी चाहिए ताकि किसानों को वर्तमान समस्याओं से छुटकारा मिले।
- हेमंत धाभाई, किसान
15 बीघा गेहूं हैं अभी 6 बैग यूरिया मिला हैं । अभी 9 बैग की और आवश्यकता हैं ।
- बृजमोहन मालव,किसान
मुझे 20 बैग यूरिया की आवश्यकता हैं यूरिया लेने सहकारी समिति आया 5 बैग पहले ले लिए 15 की और आवश्यकता हैं लेकिन यूरिया खत्म हो गया हैं ।
- रतनलाल माली, किसान
10 बीघा गेहूं किए हैं।10 बैग लेने आया था 2 बैग मिले हैं। यूरिया लेने गया लेकिन पूरा दिन भी बिगड़ गया हालांकि गेहूं की उराई के लिए हमारा काम हो गया अब पिलाई हेतु 20 दिन बाद की यूरिया की आवश्यकता हैं।
- हरिप्रसाद प्रजापत, किसान
इनका कहना है
खाद को ज्यादा से ज्यादा लाने का हमारा प्रयास जारी हैं । वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए 150 टन खाद की आवश्यकता हैं। हम खाद के लिए प्रयासरत हैं हमारी मुख्य फसल गेहूं और सरसों हैं। खाद की वर्तमान 2 बैग के नियम में अब ढील देने की आवश्यकता हैं ।
- बृजमोहन शर्मा, अध्यक्ष, अरनेठा ग्राम सेवा सहकारी समिति
केशवरायपाटन ब्लॉक में 14 हजार 870 हैक्टेयर गेहूं और 6 हजार हैक्टेयर सरसों की बुवाई हुई हैं। पंचायत समिति क्षेत्र में 5 हजार मैट्रिक टन खाद की आवश्यकता हैं जिसमे बुवाई से लेकर 2 पानी पिलाई तक की डिमांड आ गई हैं। वर्तमान समय में हमे गेहूं एवम सरसों के लिए केवल 1 हजार मैट्रिक टन यूरिया की आवश्यकता हैं जिसमे तत्काल की समस्या हल हो जाएगी । बाकी शेष यूरिया की आवश्यकता 2 माह बाद पड़ेगी ।
- महावीर मीणा, सहायक कृषि अधिकारी, केशवराय पाटन
एक्सपर्ट व्यू
अक्टूबर में बारिश होने के कारण इस बार बूंदी जिले में सरसों की थोड़ी बुवाई लेट हो गई लेकिन गेहूं की बुवाई के लिए नमी पर्याप्त हो गई जिसमे किसानों को पलेवा करने की आवश्यकता नही थी। एक पानी बचाने के लिए गेहूं की बुवाई जल्दी हो गई इसलिए ये यूरिया की समस्या बन गई हैं। 77 हजार मैटिक टन यूरिया की हमारी मांग थी। 35 हजार टन यूरिया मिल चुका हैं। इस मांग के तहत महीनेवार यूरिया का वितरण होना है। जिसके तहत अक्टूबर माह में 12 हजार मैटिक टन, नवंबर में 20 हजार मैटिक टन ,दिसंबर में 20 हजार मैटिक टन, जनवरी में 20 हजार मैटिक टन यूरिया का वितरण होना निर्धारित है। असिंचित क्षेत्र में थोड़ा बुवाई जल्दी होती हैं । इसलिए थोड़ा उधर फोकस कर रहे हैं। इस सप्ताह में असंचित क्षेत्र 75 प्रतिशत कंप्लीट हो जाएगा । सिंचित क्षेत्र में बुवाई शुरू हो गई हैं। गेहूं की बुवाई अभी चल रही हैं। 1.50 लाख हेक्टेयर में जिले में बुवाई होती हैं 70 हजार हेक्टयर में गेहूं की बुवाई अभी बाकी हैं । 65 हजार हेक्टयर में जिले में सरसो की बुवाई हुई हैं 42 हजार हेक्टयर में चने की बुवाई हैं ।
- रतन लाल मीणा, डिप्टी डारेक्टर कृषि विभाग बूंदी
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