ऑस्ट्रेलिया से व्यापार समझौता बड़ी उपलब्धि

अगले पांच-छह वर्षों में व्यापार 45 से 50 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद

ऑस्ट्रेलिया से व्यापार समझौता बड़ी उपलब्धि

करार के बाद उम्मीद की जा रही है कि भारत में इससे करीब दस लाख नई नौकरियों के अवसर मिलेंगे। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में भी रोजगार के अवसर बनेंगे। विदेशी मुद्रा में इजाफा होगा। करीब एक लाख छात्रों को ऑस्ट्रेलिया में अध्ययन के लिए आसान वीजा सुविधा उपलब्ध होगी। अब भारतीय रसोइयों और योग प्रशिक्षकों को भी आसानी से वीजा मिल सकेंगे।

बीते सप्ताह ऑस्ट्रेलियाई संसद ने अंतत: भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच  मुक्त व्यापार समझौते को अपनी मंजूरी दे दी है। जो न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि दुनिया में बढ़ते भारत के कद की भी परिचायक है। इस समझौते की आधारशिला विगत अप्रैल माह में रखी गई थी, जिसके अब अगले साल जनवरी माह से लागू होने की उम्मीद है। मॉरिशस और संयुक्त अरब अमीरात के बाद ऑस्ट्रेलिया, ऐसा तीसरा देश होगा जिससे भारत का मुक्त व्यापार करार हुआ है।  यह व्यापारिक करार, क्वाड संगठन के बाद भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में एक मील का पत्थर साबित होगा। दोनों देशों के बीच परस्पर सहयोग को बढ़ावा देने के साथ आर्थिक विकास और रणनीतिक साझेदारी को विस्तार देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका भी रहेगी। ब्रिटेन के साथ होने वाले बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते से पहले, इस करार का होना किसी उपलब्धि से कम नहीं है। अब आशा यह की जा रही है कि ब्रिटेन से मुक्त व्यापार का करार अब दिसंबर में हो जाए। जो कि हमारे देश के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता की श्रेणी में आता है। यहां बता दें कि वर्ष 2011 में जापान के साथ हुए ऐसे करार के बाद किसी विकसित देश के साथ भारत का आॅस्ट्रेलिया से  करार हुआ है।

ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए इस करार के बाद अब अगले पांच-छह वर्षों में व्यापार 45 से 50 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। जो अभी फिलहाल 31 अरब डॉलर का ही रहा है। पिछले सालों की तुलना में अब इसके डेढ़ गुना अधिक होने की उम्मीद है। इस करार की खासियत यह है कि दोनों देशों का इसका सीधा लाभ मिलेगा। रोजगार के अवसर बनेंगे, छात्रों को वीजा देने की प्रक्रिया आसान होगी, तो कारोबारियों को भी लाभ मिलेगा। 

करार के बाद उम्मीद की जा रही है कि भारत में इससे करीब दस लाख नई नौकरियों के अवसर मिलेंगे। इसी तरह ऑस्ट्रेलिया में भी रोजगार के अवसर बनेंगे। विदेशी मुद्रा में इजाफा होगा। करीब एक लाख छात्रों को ऑस्ट्रेलिया में अध्ययन के लिए आसान वीजा सुविधा उपलब्ध होगी। अब भारतीय रसोइयों और योग प्रशिक्षकों को भी आसानी से वीजा मिल सकेंगे। स्टेम स्रातक, डॉक्टरेट को ऑस्ट्रेलिया में चार साल का वर्क वीजा और स्रातकोत्तर शिक्षा के लिए छात्रों को तीन साल का वर्क वीजा मिलेगा।  इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलियाई बाजार में कपड़ा, फर्नीचर, आभूषण और मशीनरी आदि से जुड़े छह हजार से अधिक उत्पादों को शुल्क मुक्ति मिलेगी। यहां बता दें कि समझौते के लागू होने से ऑस्ट्रेलिया 96 Þ4 फीसदी निर्यात के लिए भारत को शून्य सीमा शुक्ल पहुंच की पेशकश करेगा। इससे कई उत्पाद ऐसे हैं जिन पर अब तक 4 से 5 फीसदी सीमा शुल्क ऑस्ट्रेलिया वसूल करता था। यही नहीं, आॅस्ट्रेलिया, अपने बाजार में घरेलू सूचना प्रौद्योगिक कंपनियों की वजह से दोहरे कराधान का सामना कर रही भारतीय आईटी कंपनियों के मुद्दे हल करने पर भी सहमत हो गया है। इसके अलावा ऑस्ट्रेलियाई नियामक भारतीय दवाओं के इस्तेमाल को मंजूरी देंगे। यह भारत की फार्मास्यूटिकल्स और विनिर्माण सुविधाओं के मूल्यांकन प्रक्रिया में कनाड़ा-यूरोपीय संघ के साथ शामिल रहेगा। जहां तक सवाल उठता है ऑस्ट्रेलिया को इस समझौते से लाभ पहुंचने का, तो वह अपनी 85 फीसदी से अधिक टैरिफ लाइनों के लिए शून्य शुल्क पहुंच की पेशकश करेगा। इनमें कोयला, भेड़ का मांस, ऊन, एलएनजी, एल्यूमिनियम, धातु अयस्क, मैगनीज, तांबा, निकल, टाइटेनियम और जिस्कोनियम जैसे उत्पाद शामिल होंगे। भारत, ऑस्ट्रेलियाई शराब पर शुल्क घटाने पर सहमत है। 5 डॉलर प्रति बोतल के न्यूनतम आयात मूल्य वाले शिपमेंट पर शुल्क 150 फीसदी से घटाकर सौ फीसदी करेगा। वहीं, 15 डॉलर की लागत वाली बोतलों पर शुल्क 75 फीसदी तक घटाया जा रहा है।कामयाबी तो इस बात की रही कि भारत, अपने डेयरी क्षेत्र को इस समझौते से बचाने में पूरी तरह कामयाब रहा, उस पर किसी तरह के शुल्क में कोई कमी नहीं की जाएगी। इसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया हमारे डेयरी बाजार पर कब्जा नहीं कर पाएगा। छोले, अखरोट, पिस्ता नट्स, गेहूं, चावल, बाजरा, सेब, सूरजमुखी के बीज का तेल, चीनी, तेल केक, सोना, चांदी, प्लेटिनम, आभूषण, लौह अयस्क और अधिकांश चिकित्सा उपकरण भी इससे  बाहर रखे गए हैं। कहने का मतलब स्पष्ट है कि इन पर शुल्क में कोई रियायत नहीं दी जाएगी। दूसरी ओर कारोबारियों को लाभ की दृष्टि से देखें तो भारत में ऑस्ट्रेलिया से निवेश बढ़ेगा। इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा और मेडिकल डिवाइस के क्षेत्र में उच्च मूल्य वाले उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा। भारत के कई उद्योगों को सस्ता कच्चा माल मिलेगा, जिससे स्टील, एल्यूमीनियम और गारमेंट क्षेत्र को फायदा मिलना निश्चित है। दोनों देशों के बीच चल रहे टैक्स विवाद हल हो जाएंगे। इससे दो सौ मिलियन डॉलर की बचत होगी। टैक्सटाइल, कपड़ा उद्योग, कृषि, मछली उत्पादन, चमड़ा, चप्पल और फर्नीचर, इंजीनियरिंग उत्पाद, ज्वैलरी, फार्मा और मेडिकल उत्पाद, फर्नीचर और खेलकूद के सामान को सीधा लाभ मिलेगा।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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