घटता विदेशी विनिमय एवं निर्यात प्रोत्साहन

बढ़ा देता है ब्याज दर अमेरिकी फेडरल बैंक

घटता विदेशी विनिमय एवं निर्यात प्रोत्साहन

भारतीय रिजर्व बैंक ने गत एक माह में 8 बिलियन डॉलर खरीदे हैं तथा 67 हजार करोड़ रुपए की तरलता दीपावली के बाद पैदा की है ताकि विश्वसनीयता बनी रहे। भारत की विदेशी व्यापार की दिशा में भी परिवर्तन आ रहा है।

दुनिया के अनेक देशों जैसे चीन, जापान, एशियाई देश आदि की अर्थव्यवस्था निर्यात प्रधान अर्थव्यवस्था मानी जाती है, जो कि सर्वाधिक निर्यात प्रदान करती है तथा जीडीपी एवं रोजगार को पैदा करती है। लेकिन भारत की गणना निर्यात प्रधान अर्थव्यवस्था में नहीं की जाती है, आज भी भारत कृषि प्रधान देश ही माना जाता है न कि औद्योगिक एवं निर्यात प्रधान। भारतीय अर्थव्यवस्था के निर्यात प्रधान बनने की संभावनाएं तो अधिक है, लेकिन निर्यात प्रोत्साहन के प्रयासों में कहीं ना कहीं कमी है। भारत का व्यापारिक निर्यात अक्टूबर 2021 की तुलना में अक्टूबर 2022 में 16.7 प्रतिशत कम हुआ है। लगभग 1 वर्ष पूर्व 35.7 बिलियन डॉलर था जो कि 29.8 बिलियन डॉलर रह गया है। आयात का बढ़ना व निर्यात का उस गति से नहीं बढ़ना या घटना व्यापारिक असंतुलन पैदा करता है, जो भी हम आयात करते हैं उसका भुगतान सामान्यत: यूएस डॉलर में ही करना होता है। जिसकी पूर्ति निर्यात बढ़ाकर ही की जा सकती है। व्यापारिक असंतुलन भी विदेशी मुद्रा कोष पर दबाव पैदा करता है।

विभाजन पूर्व भारत का व्यापार संतुलित था, आयात कम निर्यात अधिक होते थे तथा विश्व व्यापार में भी भारत की हिस्सेदारी अधिक थी, लेकिन आज विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी अमेरिका, रूस, चीन, जापान, जर्मनी आदि देशों की तुलना में कम है, जब तक विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी नहीं बढ़ेगी, भारत कैसे विश्व की महान आर्थिक शक्ति व विकसित राष्ट्र बन सकता है, यह एक विचारणीय प्रश्न है। गत 3 वर्षों में भारतीय व्यापार शेष, निर्यात व आयात रुझानों पर नजर डाली जाए तो यह स्पष्ट होता है कि कोरोना काल एवं वर्तमान में अमेरिका की आर्थिक प्रतिबंधात्मक नीति, चीन में कोरोनावायरस व यूक्रेन रूस युद्ध ने भारत के विदेशी व्यापार को प्रभावित किया है। सांख्यिकी आंकड़े यह दर्शाते हैं कि वर्ष 1960 में भारत का व्यापार घाटा 0.88 बिलियन डॉलर था जो भी वर्ष 2018 में 101.67 बिलियन डॉलर हो गया, जो कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 3.76 प्रतिशत था। भारत का निर्यात व्यापार अप्रैल जनवरी 2019 में 264.13बिलियन डॉलर था जो कि वर्ष 2021-22 में 335.44 बिलियन डॉलर था, लेकिन आयात निर्यात की तुलना में अधिक रहे हैं, जो कि 1920-21 में 405.33 बिलियन डॉलर थे जो कि बढ़कर 2021-22 में 495.83 बिलियन डॉलर हो गए। बढ़ते व्यापारिक घाटे की पूर्ति के लिए विदेशी विनिमय कोष बढ़ने चाहिए, लेकिन गत 1 वर्ष भारत में विदेशी निवेश में लगभग 100 बिलियन डॉलर की कमी हो गई है। 8 सितंबर, 2021 को विदेशी मुद्रा भंडार 642.45 बिलियन डॉलर थे, जो कि घटकर 11 नवंबर 2022 को 544.72 बिलियन डॉलर हो गए। यह विदेशी मुद्रा कोष के घटने का कारण व्यापारिक घाटे के साथ-साथ भारतीय रुपए का यूएस डॉलर में मूल्य है। दुनिया में डॉलर का मूल्य बढ़ रहा है तथा देशों की मुद्रा का मूल्य घट रहा है। जनवरी 2022 से लेकर डॉलर का मूल्य भारतीय रुपए की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक हो गया है, आशय है कि अंतरराष्टय स्तर पर डॉलर के संदर्भ में भारतीय रुपया कमजोर हुआ है। कारण है विनिमय दर का, जिसमें डॉलर को ऊंचाई प्रदान की है।

विश्व में मुद्रा प्रसार को नियंत्रित करने की नीति को अपनाया जा रहा है तथा अमेरिकी फेडरल बैंक ब्याज दर बढ़ा देता है, जो कि विश्व में डालर के विनियोग गमन को प्रभावित करता है तथा भारतीय रिजर्व बैंक को भी अपनी ब्याज दर में 1.9 प्रति. की वृद्धि करनी पड़ी। भारत में विदेशी मुद्रा भंडार को घटने से बचाने तथा भारतीय रुपए के डॉलर की तुलना में मूल्य बढ़ाने में भारतीय रिजर्व बैंक की अत्यधिक भूमिका है। भारतीय रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा कोष को ओर नहीं घटने देने तथा देश में तरलता बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। यद्यपि यह रुझान बदलने लगा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने गत एक माह में 8 बिलियन डॉलर खरीदे हैं तथा 67 हजार करोड़ रुपए की तरलता दीपावली के बाद पैदा की है ताकि विश्वसनीयता बनी रहे। भारत की विदेशी व्यापार की दिशा में भी परिवर्तन आ रहा है। भारत का रूस से व्यापार बढ़ रहा है जो कि आज पांचवें स्थान पर आ गया है। जो कि लगभग 1 वर्ष पूर्व 25वें स्थान पर था। अप्रैल-सितंबर 2021 में भारत का व्यापार 5.8 बिलियन डॉलर था जो कि बढ़कर वर्ष 2022 में 22.6 बिलियन डॉलर हो गया है, जो कि 289.7 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है, लेकिन रूस से भारत का आयात बढ़ा है, इसका कारण है भारत की कच्चे तेल की बढ़ती निर्भरता है। भारत के विदेशी व्यापार के वर्तमान परिदृश्य में भारत को निर्यात बढ़ाने एवं प्रोत्साहन के भागीरथी प्रयास करने होंगे। भारत का इंजीनियरिंग, फॉर्मसिटकल, पेट्रोलियम उत्पाद, टेक्सटाइल का व्यापार नहीं बढ़ पा रहा है। भारत के विदेशी व्यापार को संतुलित करने में सेवा क्षेत्र अत्यधिक योगदान है, जो कि गत दशकों में अत्यधिक मददगार रह रहा है। लेकिन वैश्विक मंदी की चुनौतियां एवं संभावनाएं  चीन पर आर्थिक व्यापारिक प्रतिबंध, रूस-यूक्रेन युद्ध से यूरोपीय बाजार में में अमेरिका की आयात कटौती नीति भारत के निर्यात क्षमताओं को प्रभावित कर रही है।          

-डॉ.सुभाष गंगवाल
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

Read More भारत दुनिया का तीसरा सबसे प्रदूषित देश

Post Comment

Comment List

Latest News

सिद्दारमैया ने आरक्षण नीतियों में मोदी के दावों का किया खंडन, ज्ञान की कमी का लगाया आरोप सिद्दारमैया ने आरक्षण नीतियों में मोदी के दावों का किया खंडन, ज्ञान की कमी का लगाया आरोप
कांग्रेस ने आरक्षण कोटा पिछड़े वर्गों और दलितों से मुसलमानों को स्थानांतरित कर दिया है, एक झूठ है। उन्होंने प्रधानमंत्री...
लोकसभा चुनाव की राजस्थान में भजनलाल शर्मा ने संभाली कमान, किए धुआंधार दौरे 
रोड़वेज अधिकारियों को अब समय से पहुंचना होगा कार्यालय, लगाई बायोमेट्रिक मशीन
अखिलेश ने कन्नौज से भरा पर्चा, चुनावी जंग हुई दिलचस्प
एक समाज के प्रत्याशियों वाली सीटों पर अन्य बाहुल्य जातियों के भरोसे मिलेगी जीत
बाल वाहिनी अब होंगी और अधिक सुरक्षित
पुलिया का काम सात माह से अटका पड़ा, बढ़ी दिक्कतें