हंसमुख स्वभाव के धनी कप्तान साहब
कप्तान साहब का जीवन अत्यन्त सादा और संयमित
हंसमुख स्वभाव के धनी
हंसमुख स्वभाव के धनी कप्तान साहब को निराशा और तनाव छू तक न गया था। समय कठिनाई से भरा हो अथवा किसी उद्देश्य में नाकामयाबी का, उनके चेहरे पर हमेशा एक मंद मुस्कान खेलती रहती थी। हिम्मत इतनी थी कि जब 1977 के चुनावों में कांग्रेस को भारी पराजय का सामना करना पड़ा तो कांग्रेस और कांग्रेसजनों की सुध लेने वालों की संख्या नगण्य रह गई थी। ऐसी दुविधा की स्थिति में श्री कप्तान साहब ने इन्दिराजी को अपने समाचार पत्र ‘‘दैनिक नवज्योति’’ के कार्यालय में आमंत्रित कर साहसी होने के साथ-साथ अपने एक निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ता होने का परिचय दिया। विधानसभा और लोकसभा के लिए कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अनेक बार उनका नाम चला, कई बार तय भी हुआ, किन्तु अंतिम समय पर उनका नाम काट दिया गया। इस हताशा और वेदना भरे अवसरों पर भी कप्तान साहब संयमित और तनाव रहित दिखे, यह महान व्यक्तियों के ही वश की बात होती है।
उनकी आकृति मोरारजी देसाई से बहुत मिलती थी। वे जब भी विदेश गए लोग उन्हें अक्सर मोरारजी समझने की भूल कर बैठते और हर पल को जीने वाले जिन्दादिल कप्तान साहब ऐसे अवसरों का आनन्द उठाने में पीछे नहीं रहते।
जीवन अत्यन्त सादा और संयमित
कप्तान साहब की यह आदत में शुमार था कि वे अपने से संबंधित हर व्यक्ति के व्यक्तिगत मामलों को जानें, समझें और जहां तक संभव बन पड़े, मदद करें। उनका जीवन अत्यन्त सादा और संयमित था। शायद उनके स्वस्थ और दीर्घ जीवन का सही रहस्य था। वृद्धावस्था के दिनों में भी वे शराब बंदी और भ्रष्टाचार उन्मूलन जैसे समाजहित के कार्यों के लिए गांव-गांव घूमते रहे। कप्तान साहब में छोटे-बड़ों के बीच जल्दी ही घुल मिल जाने की कला, मिलनसारिता और सहज ही अपना बना लेने के निराले गुण थे जो उनके सरल मृदु व्यवहार की याद पल में ताजा कर जाते हैं। अपने लम्बे और अति महत्व के राजनैतिक, पत्रकारिता सामाजिक जीवन में कप्तान साहब के द्वारा किए गए कार्य इन क्षेत्रों में आने वाले हर युवा किशोर को आदर्श बन प्रेरणा देते रहेंगे।
अभिवादन ग्रंथ स्वतंत्रता संग्राम एवं पत्रकारिता के कीर्ति पुरुष, कप्तान दुर्गाप्रसाद चौधरी से साभार
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