वोटर कार्ड से आधार नंबर को जोड़ने वाले बिल को लोकसभा की मंजूरी
कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने किया विरोध
नई दिल्ली। विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद वोटर आईडी कार्ड से आधार नंबर को जोड़ने के प्रस्ताव वाले विधेयक को लोकसभा से मंजूरी मिल गई है। चुनाव सुधार बिल पर विपक्षी दलों ने लोकसभा में भारी हंगामा किया। कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों ने इसकी जरूरत पर सवाल उठाए। वहीं सरकार ने दलील दी कि विधेयक के जरिए फर्जी वोटिंग पर रोक लगाई जा सकेगी।
लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि आधार और वोटर कार्ड को लिंक करने से फर्जी मतदाताओं पर लगाम लगेगी। सदस्यों ने इसका विरोध करने को लेकर जो तर्क दिए हैं, वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत तरीके से पेश करने का प्रयास है। यह शीर्ष अदालत के फैसले के अनुरूप ही है। बता दें कि इस बिल को पेश किए जाने का तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस, बसपा और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने विरोध किया।
ओवैसी ने किया बिल का विरोध : एआईएमआईएम चीफ ओवैसी ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि सरकार इस बिल का अपने हितों के लिए इस्तेमाल कर सकती है इसलिए मैं चाहता हूं इस बिल को संसद में रखने जाने को लेकर डिविजन हो। उन्होंने बार-बार डिविजन की बात दोहराई और हंगामा जारी रहा।
बांग्लादेशी-नेपाली भारत के सांसद नहीं बनेंगे : लोकसभा में विधेयक पर चर्चा करते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ संस्थानों को बर्बाद करती है, चुनाव आयोग जैसी संस्था को इसने गिरवी रख दिया। उन्होंने कहा कि आपको याद होगा एमएस गिल जो चीफ इलेक्शन कमिश्नर हुआ करते थे, वह कांग्रेस के सांसद बने और कांग्रेस ने उन्हें मंत्री बनाया। इसीलिए वह चुनाव आयोग को बंधक बनाकर रखना चाहती है। हमारी सरकार जो एक बिल लेकर आई है एक सीरियस रिफॉर्म लेकर आई है, उसको यह बर्बाद करना चाहती है। कांग्रेस हमेशा दावा करती है कि आधार हम लेकर आए। अगर आज हम आधार को चुनावी सुधार से जोड़ रहे हैं कौन सा अन्याय कर रहे हैं। क्योंकि इनको बांग्लादेशियों को वोटर बनाना है।
कांग्रेस ने की स्टैंडिंग कमेटी में भेजने की मांग
कांग्रेस ने कहा कि इस विधेयक को स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। लोकसभा में बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि आधार एक 12 अंकीय विशिष्ट पहचान संख्या हैं, जिसमें नागरिकों की बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय जानकारी शामिल है। आधार केवल निवास का प्रमाण होना चाहिए, यह नागरिकता का प्रमाण नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर आप वोटर्स से आधार मांग रहे हैं तो आपको केवल एक दस्तावेज मिलेगा, जो नागरिकता नहीं बल्कि उसका निवास बताता है। ऐसा करके आप संभावित रूप से गैर-नागरिकों को भी मतदान का अधिकार दे रहे हैं।
रुकेगा मतदाता सूचि में दोहराव
इस विधेयक के माध्यम से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव किया गया है। विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए वोटर कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा। कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए विधेयक के मुताबिक, चुनाव संबंधी कानून को सैन्य मतदाताओं के लिए लैंगिक निरपेक्ष बनाया जाएगा। वर्तमान चुनावी कानून के प्रावधानों के तहत, किसी भी सैन्यकर्मी की पत्नी को सैन्य मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की पात्रता है, लेकिन महिला सैन्यकर्मी का पति इसका पात्र नहीं है, प्रस्तावित विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने पर स्थितियां बदल जाएंगी। निर्वाचन आयोग ने विधि मंत्रालय से जनप्रतिनिधित्व कानून में सैन्य मतदाताओं से संबंधित प्रावधानों में ‘पत्नी’ शब्द को बदलकर ‘स्पाउस’ (जीवनसाथी) करने को कहा था। बिल के तहत एक अन्य प्रावधान में युवाओं को मतदाता के रूप में प्रत्येक वर्ष चार तिथियों के हिसाब से पंजीकरण कराने की अनुमति देने की बात है।
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