बीमार एवं वृद्ध कैदियों की होगी समय पूर्व रिहाई
मुख्यमंत्री ने दी समय से पहले रिहा करने के प्रस्ताव को मंजूरी
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश की जेलों में लम्बे समय से सजा भुगत रहे ऐसे बंदियों जिन्होंने सदाचार पूर्वक अपनी अधिकांश सजा भुगत ली है अथवा गंभीर बीमारियों से ग्रसित एवं वृद्ध हैं, उन्हें समय से पहले रिहा करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री की इस पहल से ऐसे परिवारों को खुशियां मिलेंगी, जिनके परिजन आजीवन कारावास की सजा का अधिकांश हिस्सा भुगत चुके हैं।
प्रस्ताव के अनुसार, आजीवन कारावास से भिन्न अवधि के कारावास की सजा से दण्डित वृद्ध एवं गंभीर बीमारियों से ग्रसित ऐसे कैदियों को समय पूर्व रिहा किया जा सकेगा, जो कैंसर, एड्स, कुष्ठ एवं अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित हैं अथवा दृष्टिहीन या विकलांग हैं और अपने दैनिक क्रियाकलापों के लिए दूसरों पर निर्भर हैं। साथ ही, ऐसे वृद्ध पुरूष, जिनकी आयु 70 वर्ष तथा महिलाएं, जिनकी आयु 65 वर्ष या इससे अधिक है और सजा का एक तिहाई भाग भुगत चुके हैं, उन्हें समय पूर्व रिहाई मिल सकेगी।
इन श्रेणियों के अपराधियों को नहीं मिलेगी राहत
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम-1946 या दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 से भिन्न किसी केन्द्रीय अधिनियम के तहत सजायाफ्ता बंदी, अभ्यस्त अपराधी, साधारण कारावास से दण्डित, जमानत नहीं देने या जुर्माने का भुगतान नहीं करने के कारण कारावास भुगत रहे बंदी, बलात्कार, ऑनर किलिंग, मॉब लिंचिंग, पॉक्सो एक्ट, तेजाब हमले से संबंधित अपराध, आर्म्स एक्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, एनडीपीएस एक्ट, आबकारी अधिनियम, पीसीपीएनडीटी एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, गौवंश अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम इत्यादि के तहत सजा भुगत रहे बंदियों सहित 28 विभिन्न श्रेणियों के जघन्य अपराधों में लिप्त अपराधियों को कोई राहत नहीं मिलेगी।
सजा का अधिकांश हिस्सा भुगत चुके बंदियों को भी राहत
आजीवन कारावास से दण्डित ऐसे बंदी जिन्होंने 14 वर्ष की सजा भुगत ली है एवं ढाई वर्ष का परिहार प्राप्त कर लिया है। साथ ही, विगत दो वर्षों में जेल में उनका आचरण संतोषप्रद रहा है और किसी जेल दण्ड से दण्डित नहीं किया गया है। ऐसे बंदियों को भी रिहा किया जा सकेगा। इसके अलावा आजीवन कारावास से भिन्न अवधि की सजा भुगत रहे ऐसे बंदी जिनकी सजा का दो तिहाई भाग पूरा हो गया है और विगत दो वर्ष से आचरण संतोषप्रद रहा है, उन्हें भी समय पूर्व रिहा किया जा सकेगा। साथ ही, ऐसे बंदी जिन्हें न्यायालयों से तीन माह या इससे कम अवधि की सजा से दण्डित किया गया है, उन्हें भी रिहा किया जा सकेगा।
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