प्रदूषित हवा में सांस ले रहे कोटा के लोग

राजस्थान में तीसरे स्थान पर पहुंची स्मार्ट सिटी

प्रदूषित हवा में सांस ले रहे कोटा के लोग

दिसंबर 2022 में कोटा शहर का वायु प्रदूषण 150 एक्यूआई पर बना हुआ था। 31 दिसंबर को शहर में आतिशबाजी का दौर चला था। इससे वायु प्रदूषण का ग्राफ तेजी से बढ़ता चला गया। 1 जनवरी को वायु प्रदूषण में भारी उछाल आया और एक्यूआई 205 पर पहुंच गया था। बाद में हवा के स्तर में सुधार आने पर शहर के हवा की सेहत सुधरने लगी। वर्तमान में शहर का एक्यूआई 156 पर पहुंच चुका है।

कोटा। सर्दी का असर बढ़ने के कारण प्रदेश के कई शहर वायु प्रदूषण की चपेट में हैं। इनमें कोटा शहर भी शामिल है। राजस्थान में भिवाड़ी शहर वायु प्रदूषण के मामले में पहले पायदान पर बना हुआ है। यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 175 पर बना हुआ है। वहीं कोटा शहर इस श्रेणी में 156 एक्यूआई के साथ तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। इस तरह से पूरे प्रदेश में कोटा तीसरा सबसे प्रदूषित शहर है। 

वायु प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर जारी
सर्दी का असर बढ़ने और तापमान में लगातार गिरावट होने के बावजूद राजस्थान के कई शहर अभी भी वायु प्रदूषण की चपेट में हैं। इनमें कोटा भी शामिल है। दिसंबर 2022 में कोटा शहर का वायु प्रदूषण 150 एक्यूआई पर बना हुआ था। 31 दिसंबर को शहर में आतिशबाजी का दौर चला था। इससे वायु प्रदूषण का ग्राफ तेजी से बढ़ता चला गया। 1 जनवरी को वायु प्रदूषण में भारी उछाल आया और एक्यूआई 205 पर पहुंच गया था। बाद में हवा के स्तर में सुधार आने पर शहर के हवा की सेहत सुधरने लगी। वर्तमान में शहर का एक्यूआई 156 पर पहुंच चुका है।  

प्रदूषण बढ़ा तो आई थीएक करोड़ की वैन
प्रदेश के विभिन्न शहरों में प्रदूषण का ग्राफ तेजी से बढ़ने के कारण प्रदूषण नियंत्रण मण्डल मुख्यालय से आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित वैन को भेजा गया था। कोटा शहर में भी करीब दो माह तक विभिन्न स्थानों पर वैन के माध्यम से प्रदूषण का स्तर जांचा गया था। जिसमें पाया गया था कि निर्माण सामग्री व वाहनों के धुएं के कारण शहर में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। दो माह के आंकड़े एकत्र करने के बाद वैन को मुख्यालय भेज दिया गया था।

प्रदूषण से दिल के दौरे का खतरा
चिकित्सकों के अनुसार वायु प्रदूषण की वजह से फेफड़े से संबंधित कई बीमारियां हो जाती है। लगातार वायु प्रदूषण में रहने के कारण फेफड़ों की क्षमता कम हो जाती है। इससे श्वास सम्बंधी परेशानी होने लगती है। सबसे ज्यादा असर अस्थमा रोगियों को होता है। जिसमें रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है। वायु प्रदूषण से दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। जहरीली हवा के महीन कण पीएम 2.5 खून में प्रवेश कर जाते हैं। इससे धमनियों में सूजन आने लगती है और फिर दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है।

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यह होता है एक्यूआई
एक्यूआई में पार्टिकुलेट मेटर यानि धूल के कणों का मापन होता है। धूल कण 10 माइक्रोन और 2.5 माइक्रोन तक मापे जाते हैं। इसके अलावा हवा में नाइट्रोजन डाई आॅक्साइड, सल्फर डाई आॅक्साइड, कार्बन  मोनोक्साइड व ओजोन मापी जाती है। इसकी इकाई माइकोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होती है। एक्यूआई के माध्यम से ही यह पता चलता है कि हवा में प्रदूषण का स्तर कहां तक पहुंच चुका है और इसके प्रमुख कारण क्या हैं। 

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भिवाड़ी पहले तो कोटा तीसरे स्थान पर  
राजस्थान की बात करें तो भिवाड़ी की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित हैं। यहां का एक्यूआई 175 पर पहुंच चुका है। इस हवा में सांस लेना भी दुश्वार हो रहा है। इसके बाद 166 एक्यूआई के साथ जोधपुर दूसरे स्थान पर हैं। तीसरे स्थान पर 156 एक्यूआई के साथ कोटा, चौथे स्थान पर 155 एक्यूआई के साथ उदयपुर, पांचवें स्थान पर 121 एक्यूआई के साथ जयपुर, छठे स्थान पर 104 एक्यूआई के साथ पाली और सातवें स्थान पर 80 एक्यूआई के साथ अलवर शहर बना हुआ है। 

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पारे में गिरावट से ठिठुरा वातावरण
शहर में पिछले दो दिन से तापमान में लगातार गिरावट हो रही है। इस कारण वायु प्रदूषण का स्तर ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार तापमान में कमी के कारण मिट्टी के कण और प्रदूषण को बढ़ाने वाली गैसें ऊपरी मौसम में घुल नहीं पा रहे हैं। क्योकि पारे में गिरावट के कारण वातावरण में ठहराव आ जाता है। जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता जाता है। वहीं शहर में इस समय चारों तरफ निर्माण कार्य चल रहे हैं। 
 
प्रदेश कें प्रमुख शहर व एक्यूआई स्तर
कोटा -      156
उदयपुर -    155
जयपुर -     121
भिवाड़ी -    175
जोधपुर -    166
पाली -      104
अलवर -     80

सर्दी के मौसम में यदि वायु प्रदूषण अधिक हो तो फेफड़ोें के लिए काफी हानिकारक होता है। अस्थमा और ह्रदय रोगियों के मरीजों और बुजुर्गो को बहुत ही अधिक सावचेत रहने की जरूरत है। सर्दी व पॉल्यूशन का अटैक लोगों को बीमार कर सकता है। वायु प्रदूषण के असर बचने के लिए मास्क का उपयोग करना चाहिए। 
-डॉ. अनिल जाटव, वरिष्ठ फिजिशियन

मिट्टी के कण और प्रदूषण को बढ़ाने वाली गैसें ऊपरी मौसम में घुल नहीं पा रहे हैं। क्योकि पारे में गिरावट के कारण वातावरण में ठहराव आ जाता है। जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता जाता है। कुछ माह पहले वैन के माध्यम से शहर में प्रदूषण का स्तर जांचा गया था। जिसमें कई कारण सामने आए थे। अभी वायु प्रदूषण में कुछ कमी आई है। 
-अमित सोनी, रीजनल आॅफिसर, प्रदूषण नियंत्रण मंडल कोटा

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