सर्दी हाड़ ही नहीं कंपा रही, हड्डियां भी तोड़ रही

कूल्हे के फ्रेक्चर के मामले 20 से 25 फीसदी बढ़े

सर्दी हाड़ ही नहीं कंपा रही, हड्डियां भी तोड़ रही

सर्दियों में नसों के सिकुड़ने से मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह घट जाता है। जिससे मांसपेशियां कठोर हो जाती है। जिससे उठने-बैठने के दौरान एकाएक बैलेंस नहीं बन पाता और जमीन पर गिरने से कूल्हें की हडिडयां फ्रेक्चर हो जाती है।

कोटा। शहर में इस बार पड़ रही तेज सर्दी हाड़ ही नहीं कंपा रही बल्कि हड्डियां भी तोड़ रही है। शहर के अस्पतालों में कूल्हे की हडिडयों में फ्रेक्चर के मामले अधिक आ रहे हैं। जिनमें बुजुर्गों की संख्या अधिक हैं। साथ ही जोड़ों में दर्द के मामलों में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। इनदिनों में एमबीएस अस्पताल की आॅथोपेडिक ओपीडी में प्रतिदिन 200 से 250 मरीज आ रहे हैं। वहीं, रामपुरा जिला अस्पताल में करीब 100 और मेडिकल कॉलेज में करीब 300 मरीज फ्रेक्चर, जोड़ों में दर्द, जकड़न, सर्वाइकल के मामले आ रहे हैं। इनमें अधिक मामले गलत तरीके से उठने-बैठने के दौरान बुजुर्गों में फ्रेक्चर के मामले अधिक हैं, क्योंकि वृद्धावस्था में हडिडयां कमजोर हो जाती हैं। दरअसल, सर्दियों में नसों के सिकुड़ने से मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह घट जाता है। जिससे मांसपेशियां कठोर हो जाती है। जिससे उठने-बैठने के दौरान एकाएक बैलेंस नहीं बन पाता और जमीन पर गिरने से कूल्हें की हडिडयां फ्रेक्चर हो जाती है। 

जोड़ों में दर्द के भी बढ़ रहे मरीज
चिकित्सकों का कहना है, सर्दी में जोड़ों के दर्द, जकड़न, गर्दन-कंधे तथा मांसपेशियों में दर्द की शिकायत लेकर मरीज आ रहे हैं। अधिक समय तक एक जगह बैठे रहने, लगातार कई घंटों तक सफर करने या बढ़ती उम्र से हड्डियां अकड़ जाती हैं। इसे जॉइंट पेन कहते हैं। यह दर्द घुटने, कंधे, कोहनी, गर्दन, बाजू और कूल्हे में हो सकता है। वहीं, सर्दियों में मांसपेशियां जकड़ जाती है, जिससे भी दर्द की शिकायत बढ़ जाती है। 

20 फीसदी बढ़े कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर के मामले
एमबीएस अस्पताल में वरिष्ठ अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश गोयल ने बताया कि सर्दी की वजह से होने वाले कूल्हे के फ्रैक्चर के मामले करीब 20 से 25 फीसदी तक बढ़ गए हैं। इनमें वृद्धों की संख्या अधिक है। इससे बचने के लिए दिनभर चलते-फिरते रहें, सक्रिय रहना चाहिए। इन दिनों सभी फै्रक्चर जमीन पर गिरने से नहीं हुए हैं, बल्कि अधिकांश मामलों में गलत तरीके से उठने-बैठने से भी हडडी टूट जाती है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां आॅस्टियोपोरोसिस की बीमारी सामान्यत: काफी पाई जाती है। जिससे हडिडयां कमजोर रहती है। इसलिए सर्दी में कूल्हे के जोड़ों के फ्रैक्चर के मामले बढ़ जाते हैं। इसके लिए बेहतर है कि बुजुर्ग अधिक से अधिक समय धूप में व्यतीत करें। क्योंकि, धूप से कैल्शियम और विटामिन डी प्रचूर मात्रा में मिलता है।

सख्त हो जाती हैं मांसपेशियां
डॉ. गोयल ने बताया कि सर्दियों में शरीर में मांसपेशियों में खून का सकुर्लेशन घट जाता है। जिससे मांसपेशियां कठोर हो जाती है। हम पानी भी कम पीते हैं जिसका असर खून के दौरे पर पड़ता है। ऐसे में जब कोई बुजुर्ग झटके से एक स्थान से उठे तो मांसपेशियां एक दम से सक्रिय नहीं हो पाती और सारा दबाव हड्डियों पर आ जाता है, जिससे कूल्हे की हड्डियां टूट जाती हैं। इन दिनों ऐसे कई मामले आ रहे हैं, जिसमें बुजुर्गों के कहीं गिरे अथवा टकराए बिना ही फै्रक्चर हो रहा है। 

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स्मोकिंग व एल्कोहल से कमजोर होती हड्डियां
चिकित्सकों के  अनुसार स्मोकिंग व एल्कोहल के सेवन से हड्डियां कमजोर होती है। वहीं, तम्बाकू उत्पादों के सेवन से शरीर में कैल्शियम का एब्जार्बेशन प्रभावित होता है। नशे की लत भी शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी के जिम्मेदार है। 

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महिलाओं में फ्रैक्चर का खतरा तीन गुना 
महिलाओं में 50 की उम्र के बाद फ्रेक्चर का खतरा तीन गुणा अधिक बढ़ जाता है। मेनोपॉज के बाद आॅस्टियोपोरोसिस की समस्या बढ़ जाती है। इसके बाद शरीर में कुछ हार्मोन बनना बंद हो जाता है। ये हार्मोन बॉडी में कैल्शियम का संतुलन बनाए रखने के लिए रेस्पोंसिबल होते हैं। इनकी कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती है। ऐसे में जरा सा झटका लगते ही हड्डी टूट जाती है। वहीं, पुरूषों में 55 से 60 साल के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती है। 

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सलाह : तिल-अखरोट व मखाने खाएं
चिकित्सकों ने बुजुर्गों को एहतियात बरतने की सलाह दी है। बिस्तर से एकदम उठने की कोशिश नहीं करें  खानपान में कैल्शियम व विटामिन-के लिए  तिल, गजक, अखरोट, मखाने, साबूदाना, दूध, पनीर  शामिल करें। इसके अलावा धूप में नियमित रूप से जरूर बैठें।  

हड्डियों पर दबाव बढ़ने से फ्रैक्चर का खतरा अधिक 
ंसर्दियों में जोड़ों में दर्द और फ्रेक्चर के मामले 25 फीसदी बढ़ गए हैं। एमबीएस के आॅथोपेडिक ओपीडी प्रतिदिन 200 के करीब रहती है।  तेज सर्दी के कारण नसें सिकुड़ने लगती हैं और मांसपेशियों में खून नहीं पहुंचने से जकड़न की समस्या होती है। उठने-बैठने के दौरान मांसपेशियां सक्रिय नहीं हो पाने से सारा दबाव हड्डियों पर आने से व्यक्ति गिर जाता है, जिससे कूल्हे की हड्डियां टूटने का खतरा बढ़ जाता है। 
-डॉ. राजेश गोयल, वरिष्ठ अस्थिरोग विशेषज्ञ एमबीएस अस्पताल

जोड़ों में दर्द के 80 फीसदी बढ़े रोगी 
सर्दी में रक्त का प्रवाह धीमा हो जाता है, जिसकी वजह से मांसपेशियों तक खून नहीं पहुंच पाता। नतीजन, मांसपेशियों में कठोरता बढ़ती है, जो जोड़ों का दर्द, सूजन, अकड़न और फ्रेक्चर का कारण बनता है। वर्तमान में इस तरह के 80 फीसदी मामले आ रहे हैं। वृद्धावस्था में हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती है कि जरा सा झटका लगते ही व्यक्ति गिर जाता है और कूल्हे की हड्डि फ्रेक्चर हो जाती है। 60 से 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में इस तरह की परेशानियां अधिक होती है। जिन्हें मॉर्निंगवॉक की आदत है, वे धूप निकलने के बाद ही घर से बाहर निकले। यदि, धूप नहीं निकले तो घर में ही योगा, प्राणायाम व टहल सकते हैं। खानपान में वो सामग्री शामिल करें जिससे शरीर को गर्मी मिले। उबला अंडा ज्यादा मुफीद है। मक्का, ज्वार की रोटी खाएं। तिल, अखरोट, मखाने, दूध का इस्तेमाल करें। सर्दी में जो लोग घूम फिर नहीं सकते, उन्हें भोजन को नियंत्रित करना चाहिए। 
- डॉ. इकबाल अस्थि रोग विशेषज्ञ

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