देश की खातिर खुद को कुर्बान करने वाला ये मजनूं इश्क में जीकर भी देशभक्त ही रहता है

मिशन मजनूं सच्ची घटना पर आधारित पकिस्तान में हुए भारत के रॉ मिशन के बारे में है

देश की खातिर खुद को कुर्बान करने वाला ये मजनूं इश्क में जीकर भी देशभक्त ही रहता है

रश्मिका ऐसी लड़की के किरदार में हैं जो देख नहीं सकती, वे काफी प्यारी लगी हैं और एक्टिंग भी सधी हुई की है। दोनों के बीच की केमिस्ट्री जमती है, जो इस फिल्म का स्ट्रॉन्ग प्वाइंट भी है।

खुद से पहले परिवार, परिवार से पहले देश, देश से बड़ा कुछ नहीं, यही जज्बा लिए निकलता है ये मजनूं जिसके पिता पर देशद्रोह का आरोप लगा और बेटा देश के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार है। ये मिशन मजनूं सच्ची घटना पर आधारित पकिस्तान में हुए भारत के रॉ मिशन के बारे में है। कहानी उस वक्त की है जब दो मुल्कों की सियासत में बड़ा परिवर्तन आ रहा था। इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े करवा पाक को हाशिये पर ला दिया था और फौज के मुखिया जिया उल हक ने पाकिस्तान को संभाला। इधर भारत में इंदिरा गांधी हारी और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने और उन्होंने रॉ के पाकिस्तान में चल रहे मिशन को बंद करने का निर्देश दिया। रॉ के पहले निदेशक आरएन काव थे, जिनके नजरिये से ही ये फिल्म शुरू होती है। काव ने ही रॉ एजेंट तारिक उर्फ अमनदीप को पाकिस्तान भेजा था ताकि वहां की सूचनाएं भारत सरकार तक पहुंचे। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की खुफिया जानकारी और परमाणु हथियार बनाने में उसकी भागीदारी के बारे में जांच का ये मिशन ही मिशन मजनूं है, जिसके लिए तारिक पाकिस्तान में दर्जी का काम करता है और पाकिस्तान फौज की वर्दियां सिलने के बहाने उनके बीच रास्ता बनाने की कोशिश करता है। इस दौरान अपने मिशन को कामयाब करने के लिए तारिक (सिद्धार्थ) नसरीन से मिलता और पहली मुलाकात में उसे नसरीन (रश्मिका मंदाना) से प्यार हो जाता है जो अंधी होती है और फिर ये प्रेम कहानी विवाह से होते हुए नसरीन के मां बनने तक आगे बढ़ती है। अब अमनदीप सिंहा अपना व्यक्तिगत जीवन संतुलित करते हुए पाकिस्तान की न्यूक्लिर शक्ति का पता लगाता है। क्या अमनदीप सिंहा अपने इस मिशन को पूरा कर पाएगा या फिर पकड़ा जाएगा या कोई नया ट्विस्ट कहानी में आएगा। क्या देशद्रोही का ये बेटा देशभक्त बन देश के काम आएगा। क्या होगा मिशन मजनूं की प्रेम कहानी का अंजाम। यही है मिशन मजनूं। कथा पटकथा सच्ची कहानी से प्रेरित है, जिसे देशभक्ति के ताने बाने से बुना गया है और रोचक बनाने के लिए जिसने प्रेम कहानी से गूंथा गया है लेकिन फिल्म में इसका तालमेल गड़बड़ा गया है इस वजह से फिल्म भटक जाती है। संवाद अच्छे हैं। निर्देशक शांतुन बागची का अच्छा है। फिल्म तेजी से मुद्दे पर आती है, लेकिन कहीं-कहीं अपनी ग्रिप खो देती है। एक्शन उम्दा हैं। केतन सोढा का संगीत दिल छूता है। पार्श्व संगीत अपनी छाप छोड़ता है। अभिनय में एक दर्जी और एजेंट के रोल में सिद्धार्थ बिल्कुल फिट हैं। कॉमेडी से लेकर एक्शन और इमोशन तक में सिद्धार्थ अच्छे लगते हंै। रश्मिका ऐसी लड़की के किरदार में हैं जो देख नहीं सकती, वे काफी प्यारी लगी हैं और एक्टिंग भी सधी हुई की है। दोनों के बीच की केमिस्ट्री जमती है, जो इस फिल्म का स्ट्रॉन्ग प्वाइंट भी है। कुमुद मिश्रा भी एजेंट के किरदार में हैं और उनकी एक्टिंग भी जबरदस्त है। शारिब हाशमी ने भी शानदार एक्टिंग की है। ओवरलाल नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम ये फिल्म आपका मनोरंजन के साथ देश के प्रति प्यार और समर्पण की भावना भी जगाती है। आगे दर्शक तय करेंगे ये मिशन मजनंू कितना उनका दिल जीतने में कामयाब होती है। 
-दानिश राही

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