हिंदू बनाम हिंदुत्व के मर्म को समझने की जरूरत, कार्यकर्ता देश के हालातों पर चिंतन करें: गहलोत

हिंदू बनाम हिंदुत्व के मर्म को समझने की जरूरत, कार्यकर्ता देश के हालातों पर चिंतन करें: गहलोत

प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर कांग्रेस के 137 वें स्थापना दिवस समारोह की धूम

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नए मंगलवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर कांग्रेस के 137 वें स्थापना दिवस समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर गहलोत ने कांग्रेस के इतिहास और नेताओं के बलिदान को बताते हुए हिंदू बनाम हिंदुत्व का राग फिर छेड़ा। भाजपा नेताओं पर भी निशाना साधते हुए गहलोत ने कहां के देश गलत दिशा में जा रहा है। गहलोत ने कहा कि कांग्रेस के स्थापना दिवस पर पूरे देश के अंदर कार्यकर्ताओं में एक संकल्प लेने का वक्त है कि जो चुनौतियां हमारे सामने हैं, कांग्रेस का त्याग-कुर्बानी- बलिदान कोई भूल नहीं सकते। चाहे कितनी ताकतें कितना ही जोर लगा लें,कांग्रेस मुक्त भारत की बात कर लें, ऐसी बात करने वाले खुद मुक्त हो जाएंगे।


कांग्रेस तो हर दिल के अंदर है:

गहलोत ने कहा कि कांग्रेस तो हर घर में, हर दिल के अंदर है,देश के अंदर है, क्योंकि सबको मालूम है कि जो आजादी की जंग लड़ी गई थी, उसमें कितने लोग शहीद हुए थे, कितने लोग फांसी के फंदे पर चढ़े थे, कितने लोगों ने लाठियां-गोलियां खाईं और कितने लोग जेलों में बंद रहे। गांधी, पंडित नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद सब लोगों ने जिस रूप में जेलों में रहकर देशवासियों को एक संदेश दिया। उसका परिणाम रहा कि आखिर में अंग्रेजों को यंहा से जाना पड़ा।


भाजपा की लफाबाजी को लोग समझते हैं:

संविधान अंबेडकर साहब के सानिध्य में बना। आज दुःख होता है कि देश के अंदर उस संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। लोकतंत्र खतरे के अंदर है, संविधान खतरे के अंदर है, सारी संस्थाएं बर्बाद हो रही हैं, पूरा देश चिंतित है, आज के वक्त में हमें एक नया संकल्प लेना है कि किस रूप में हम अपनी पार्टी की नीतियां, कांग्रेस के कार्यक्रम और कांग्रेस के सिद्धांत, जिसने 70 साल में इस देश को कहां से कहां पहुंचा दिया, जब आजादी मिली हमें तो क्या थे हम लोग, न पानी, न बिजली, न शिक्षा, न स्वास्थ्य, न सड़कें, न नौकरियां थीं, आज सबकुछ देश के अंदर है, फिर भी सुनना पड़ता है हम लोगों को कि 70 साल में कांग्रेस ने क्या किया? तो ये जो लफ्बाजी होती रहती है, लोग इन बातों को सब समझते हैं।


देश का भविष्य कार्यकर्ताओं पर निर्भर:,
आज प्रतिवर्ष की भांति हम कांग्रेस स्थापना दिवस मना रहे हैं। इस मौके पर मैं कहना चाहूंगा कार्यकर्ताओं को भी कि कल का भविष्य देश का आप पर निर्भऱ है। हम चाहेंगे कि आप लोग मजबूती के साथ में आज जो हालात देश में हैं, उसका चिंतन करें, मनन करें, एकजुट रहें और मजबूती के साथ में आम जनता का साथ दें, उनकी समस्याएं, उनकी पीड़ाएं, उनके सुख-दुःख में भागीदार बनें और जो मुद्दे हैं देश के सामने, चाहे महंगाई का हो, चाहे बेरोजगारी का हो, चाहे सांप्रदायिकता का हो, उसका मुकाबला करने के लिए भी एकजुट रहें, ये देश हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, जैन सबका है और सबने मिलकर आजादी की जंग लड़ी थी। अब जो ये धर्म के नाम पर जो ये बंटवारा करने का प्रयास कर रहे हैं, मैं समझता हूं कि इनकी पोल खुलती जा रही है।

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हिंदू बनाम हिंदुत्व के मर्म को समझने की जरूरत:
अभी राहुल गांधी ने जो बहस छेड़ी है हिंदू वर्सेज हिंदुत्व की, उसके मर्म को समझने की आवश्यकता है, उनका मर्म यही था कि एक तरफ तो हिंदू है, जिसके महान संस्कार-संस्कृति-परंपराएं सदियों से हैं, जिसके भाव ऐसे हैं कि प्रेम का, भाईचारे का, मोहब्बत का है और वो ताकतें जो हिंदुत्व के नाम पर राजनीति कर रही हैं, उनका हिंदू बनना भी स्यूडो है, जिस प्रकार से अभी साधु-संतों ने जो भाषा काम में ली है हरिद्वार में और रायपुर के अंदर, वो शर्मनाक भाषा है। साधु-संतों का हम सब सम्मान करते हैं, उनका जो भगवा वस्त्र है वो अपने आपमें त्याग का, संस्कार का संदेश देता है। उन साधु-संतों में से कुछ लोगों ने जो कुछ वाणी निकाली है, वो शर्मनाक थी, निंदनीय थी, जितनी निंदा करें, उतनी कम है उनकी और मैं समझता हूं कि एक साधु-संत ने तो खड़े होकर श्यामसुंदर दास ने तो वहीं पर कह दिया कि मैं इस धर्म संसद से अलग होता हूं, उसके मायने क्या हुए? तो आप समझ सकते हैं कि देश बड़े अजीब दौर से गुजर रहा है, ऐसे वक्त में कांग्रेस संगठन की, उसकी विचारधारा की, उसकी नीतियों की, उसके कार्यक्रमों की और ज्यादा जरूरत है देश को, ये मेरा मानना है।

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 महात्मा गांधी के लिए बोले शब्द निंदनीय:
धर्म संसद में महात्मा गांधी के लिए बोले शब्दों की निंदा करते हुए गहलोत ने कहा कि जितनी निंदा करें उतनी कम है। महात्मा गांधी जिनको अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस उनके जन्मदिवस को लेकर मना रही है, पूरी दुनिया मना रही है। उस महापुरुष के लिए साधु संतों ने जिस प्रकार के लफ्ज़ काम में लिए, निंदनीय है। ये देश को किस दिशा में ले जाना चाह रहे हैं। जो माहौल देश में है, उस माहौल के अनुरूप ये लोग अपनी वाणी को सामने ला रहे है। देश किस दिशा में जा रहा है, उसको हमें समझना पड़ेगा।

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