चिप का संकट नए साल के अंत तक दूर होने के आसार, राजस्थान के ऑटो मार्केट को 800 करोड़ का झटका
सरकार को 250 करोड़ जीएसटी और 80-100 करोड़ के रोड़ टैक्स की हानि
जयपुर। सेमिकंडक्टर (चिप) की कमी से जूझते कार डीलर्स को दिवाली से अब तक करीब 800 करोड़ के कारोबार का नुकसान हुआ। करीब आठ हजार यूनिट बिकती, जो कि कार खरीदारों को नहीं मिल सकी। अब भी एक साल से अधिक का बुकिंग पीरियड चल रहा है। ऑटो डीलर्स के कारोबार के नुकसान के साथ राजस्थान सरकार को रोड टैक्स 80 से 100 करोड़ और 250 करोड़ के जीएसटी से वंचित रहना पड़ा। ऑटो एक्सपर्ट की माने तो यह समस्या नए साल 2022 के अंत तक दूर होगी। इस समस्या से शोरूमों में जॉब कट लगातार हो रहा है। राजस्थान में करीब दो हजार शोरूम है, जिसमें जयपुर के तीन सौ शोरूम शामिल है।
कमी का मुख्य कारण लॉकडाउन
वैश्विक महामारी कोरोना की रोकथाम के लिए लॉकडाउन लगाया। प्लांट बंद हो गए। अब प्लांट फिर से शुरू हो गए। लेकिन उत्पादन की क्षमता से अधिक मांग बनी हुई है। मांग और पूर्ति की दूरी में कमी नए प्लांट में उत्पादन बढ़ने से ही दूर होगी। कोरिया, चीन और ताइवान मुख्य उत्पादक देश है। अमेरिका में भी निर्माण होगा है। दुनिया की पचास फीसदी मांग ताइवान सेमिकंडक्टर मैन्युफैक्चिरिंग कंपनी करती है।
पसंदीदा कार खरीदने के लिए लंबा इंतजार
दुनिया भर में इन दिनों सेमीकंडक्टर की किल्लत चल रही है जिस वजह से पैसेंजर व्हीकल के प्रोडक्शन पर काफी असर पड़ा है। फैडरेशन ऑफ ऑटो मोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष साईं गिरधर ने बताया कि यह स्थिति जल्द सुधरने की कोई उम्मीद नहीं है। बाजार में पैसेंजर कार और एसयूवी की मांग आगामी फेस्टिव सीजन में बढ़ने वाली है और इस वजह से कार बनाने वाली कंपनियां अब वैकल्पिक रास्ता तलाशने में जुट गई हैं।
कनेक्टेड कार मतलब ज्यादा चिप
ऑटो बनाने वाली कंपनियां अब अपने प्रोडक्शन लाइन को चलाते रहने के लिए अपने वाहनों में माइक्रोचिप का इस्तेमाल कम करने में जुट गई है। कार बनाने वाली कंपनियां के हायर वैरिएंट मॉडल में एडिशनल फीचर के लिए अधिक चिप की जरूरत होती है। इसमें टच स्क्रीन, पावर मिरर और कनेक्टेड कार सिस्टम आदि शामिल हैं।
कार कंपनियों के मुनाफे पर असर
ऑटो कंपनियों की कुल बिक्री में हाई एंड मॉडल की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। इस वजह से कार बनाने वाली कंपनियों को मुनाफा भी अधिक हो रहा है। देश में इस समय चार लाख से अधिक ग्राहक अपनी नई कार का इंतजार कर रहे हैं। कार निर्माता कंपनियों को चिप की किल्लत से निपटने का कोई तरीका नजर नहीं आ रहा है। इस वजह से कार बनाने वाली कंपनियों ने अब अपनी रणनीति बदल ली है।
कनेक्टेड कार की जगह सिंपल सिस्टम
टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और हुंडई मोटर इंडिया जैसी कंपनियों ने अब अपने टॉप सेलिंग व्हीकल के बिना इन्फोटेनमेंट सिस्टम वाले वेरिएंट लॉन्च कर दिए हैं। इन्फोटेनमेंट सिस्टम में सबसे ज्यादा माइक्रोचिप का इस्तेमाल होता है। कार बनाने वाली कंपनियों ने अब कनेक्टेड कार की जगह सिंपल सिस्टम पेश करना शुरू कर दिया है। टाटा मोटर्स अपने ग्राहकों को सिर्फ एक रिमोट की देती है। कंपनी का कहना है कि कार खरीदारी के समय एक रिमोट की मिलेगा जबकि दूसरा रिमोट की बाद में दिया जा सकता है।
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