कश्मीर में आतंकी
कश्मीर घाटी में पिछले कुछ दिनों से बढ़ते आतंकवादियों के हमलों से जाहिर होता है कि राज्य में आतंकियों का नेटवर्क कमजोर नहीं पड़ा बल्कि ज्यादा मजबूत नजर आ रहा है।
कश्मीर घाटी में पिछले कुछ दिनों से बढ़ते आतंकवादियों के हमलों से जाहिर होता है कि राज्य में आतंकियों का नेटवर्क कमजोर नहीं पड़ा बल्कि ज्यादा मजबूत नजर आ रहा है। गौरतलब है कि पिछले तीन महीनों में ये हमले ज्यादा बढ़े हैं। आतंकी आए दिन सुरक्षा बलों और नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। सुरक्षा बल पिछले एक हफ्ते से आतंकियों का पीछा कर रहे हैं और सप्ताह के अंत में सुरक्षा बलों ने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग और कुलगाम जिले में हुई दो मुठभेड़ों में छह आतंकियों को मार गिराया। इनमें कश्मीर टाइगर्स फोर्स (केटीएफ) का स्वयंभू कमाण्डर और दो पाकिस्तानी आतंकी भी थे। इसमें हैरान करने वाली इस बात का भी पता चला कि इन आतंकियों के पास से जो हथियार मिले वे अमेरिका में बने हैं। इससे यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान न केवल आतंकियों की भारत में घुसपैठ करवाता है, बल्कि उन्हें हथियार भी उपलब्ध करवाता है। घाटी में ड्रोन के जरिए हथियार पहुंचाने के मामले सामने आते ही रहते हैं। इसमें गौर करने वाली बात यह भी है कि अफगानिस्तान से लौटते वक्त अमेरिकी सेना अपने ज्यादातर हथियार वहीं छोड़ गई थी। फिर ये हथियार पाकिस्तान के बाजारों में बिकने लगे और संभव है आतंकियों को भी हथियार दिए गए होंगे। 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से धारा 370 को हटा लेने के बाद दावा किया जाता रहा है कि इससे आतंकी घटनाओं पर लगाम लगी है। घाटी में आतंकवादियों के खिलाफ सेना ने बड़ा अभियान भी चला रखा है, लेकिन आतंकी हमलों में कमी नहीं आई है। इसका बड़ा कारण स्थानीय लोगों की मदद को भी माना जा रहा है। घाटी में लश्करे-तैयबा और जैश-ए- मोहम्मद के लिए काम कर रहे आतंकियों ने अब स्थानीय स्तर पर अपने गुट बना लिए हैं और इनमें से ही एक कश्मीर टाइगर्स फोर्स है। इसी गुट ने दिसंबर में पुलिस की बस पर हमला किया था, जिसमें तीन जवान शहीद हो गए थे। हालात बता रहे हैं कि घाटी में आतंकियों का नेटवर्क तोड़ना आसान नहीं रह गया है। सेना व सरकार को नई रणनीति पर काम करना होगा।
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