गहलोत मंत्रिमण्डल की बैठक में हुए कई फैसले : ग्रामीण विकास राज्य सेवा की कनिष्ठ श्रृंखला में सीधी भर्ती और पदोन्नति का 50-50 होगा अनुपात

गहलोत मंत्रिमण्डल की बैठक में हुए कई फैसले : ग्रामीण विकास राज्य सेवा की कनिष्ठ श्रृंखला में सीधी भर्ती और पदोन्नति का 50-50 होगा अनुपात

मंत्रिमण्डल ने राजस्थान ग्रामीण विकास राज्य सेवा नियम 2007 में संशोधन को स्वीकृति दी है।

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई केबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय किए गए।

मंत्रिमण्डल ने राजस्थान ग्रामीण विकास राज्य सेवा नियम 2007 में संशोधन को स्वीकृति दी है। राजस्थान ग्रामीण विकास राज्य सेवा की कनिष्ठ वेतन श्रृंखला के पदों के कुल 75 प्रतिशत पद वर्तमान में सीधी भर्ती से भरे जाने का प्रावधान है, जिसे केबिनेट के इस निर्णय से संशोधित किया जाकर सीधी भर्ती एवं पदोन्नति का अनुपात 50-50 किया जा सकेगा। इससे राजस्थान ग्रामीण विकास राज्य सेवा की कनिष्ठ वेतन श्रृंखला के 50 प्रतिशत पदों को अतिरिक्त विकास अधिकारियों की पदोन्नति के माध्यम से भरा जा सकेगा। केबिनेट के इस निर्णय से सहायक एवं अतिरिक्त विकास अधिकारियों की पदोन्नति के लिए अधिक संख्या में पद उपलब्ध होंगे तथा विभाग में विकास अधिकारी के रिक्त पदों को पदोन्नति द्वारा शीघ्रता से भरा जा सकेगा। साथ ही, लंबे समय से विकास अधिकारियों के पदों के रिक्त रहने की समस्या दूर होगी अतिरिक्त विकास अधिकारियों को विकास अधिकारी के पद पर पदोन्नति देने से ग्राम विकास अधिकारियों के मनोबल एवं कार्यकुशलता में भी वृद्धि होगी। कैबिनेट ने सीधी भर्ती से नियुक्त होने वाले कार्मिकों के पदोन्नति पर एक वर्ष के प्रोबेशन पर रखे जाने का प्रावधान हटाने के लिए विविध सेवा नियमों में संशोधन को मंजूरी दी है। इससे कार्मिक विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में पदोन्नति द्वारा नियुक्त होने पर एक वर्ष की अवधि के लिए प्रोबेशन पर रखे जाने का प्रावधान हटा दिए जाने के बावजूद विविध सेवा नियमों में यथावत रह गए इस प्रावधान को समाप्त किया जा सकेगा। इससे सभी सेवा नियमों में एकरूपता आएगी।

मंत्रिमण्डल ने दण्ड प्रक्रिया संहिता ( राजस्थान संशोधन) विधेयक-2021 को विधानसभा के विचारार्थ प्रस्तुत करने की मंजूरी दी है। इस प्रस्तावित विधेयक द्वारा केन्द्र सरकार के समान राज्य सरकार को भी अन्य सरकारी वैज्ञानिक विशेषज्ञों को अधिसूचित करने की शक्तियां प्राप्त हो सकेंगी। इससे आपराधिक प्रकरणों के अनुसंधान एवं विचारण में गतिशीलता आ सकेगी।

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