पीएम केयर्स फंड से मिले वेंटिलेटर्स की ऑडिट करवाने निर्णय सही, कंपनियों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई: गहलोत
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री की ओर से पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटर्स की ऑडिट करवाने का निर्णय सही दिशा में उठाया गया कदम है। इस बात की पूरी जांच होनी चाहिए कि किस प्रकार राज्यों को डिफेक्टिव वेंटिलेटर सप्लाई किए गए। ग
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री की ओर से पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटर्स की ऑडिट करवाने का निर्णय सही दिशा में उठाया गया कदम है। इस बात की पूरी जांच होनी चाहिए कि किस प्रकार राज्यों को डिफेक्टिव वेंटिलेटर सप्लाई किए गए। गहलोत ने सोशल मीडिया के जरिए कहा कि मीडिया रिपोर्ट से पता लगा है कि भारत सरकार की कम्पनी एचएलएल लाइफ केयर लिमिटेड के माध्यम से लगभग 10 कंपनियों से 59,000 वेंटिलेटर खरीदे गए, उसमें कई ऐसी कम्पनियां भी हैं जिन्हें वेंटिलेटर बनाने का किसी प्रकार का अनुभव ही नहीं था। इसलिए कई राज्यों को डिफेक्टिव वेंटिलेटर वितरित हो गए। इस कारण डॉक्टर्स की ओर से मरीजों के जीवन के रिस्क की कीमत पर अधिकांश जगह इन वेंटिलेटर्स का उपयोग नहीं किया गया। मुझे उम्मीद है कि भारत सरकार निष्पक्ष जांच करवाकर इस प्रकार के डिफेक्टिव वेंटिलेटर सप्लाई करने वाली कम्पनियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करेगी।
गहलोत ने उठाया था यह मुद्दा
मुख्यमंत्री ने मामला उठाते हुए हाल ही कहा था कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जांच करवानी चाहिए कि ऐसे डिफेक्टिव वेंटिलेटर्स की खरीद कैसे हुई। भारत सरकार ने प्रदेश को पीएम केयर फंड से 1900 वेंटिलेटर उपलब्ध करवाए थे। इन वेंटिलेटरों के इंस्टॉलेशन और मेंटिनेंस की जिम्मेदारी भारत सरकार की थी। डॉक्टरों के मुताबिक इनमें से कई वेंटिलेटरों में तकनीकी कमियां हैं, जिनके कारण इन्हें इस्तेमाल करना रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। डॉक्टरों ने बताया कि इन वेंटिलेटरों में प्रेशर ड्रॉप की समस्या है। 1-2 घंटे लगातार काम करने के बाद ये वेंटिलेटर बन्द हो जाते हैं। इनमें पीआईओ 2 में अचानक कमी, ऑक्सीजन सेन्सर एवं कम्प्रेशर के फेल होने की परेशानी है।
अन्य राज्यों ने भी वेंटिलेटरों में हैं समस्याएं
पांच अप्रैल को ओपन वीसी से हुई कोविड समीक्षा बैठक में मेडिकल कॉलेज, उदयपुर के प्रिंसिपल डॉ. लखन पोसवाल ने भी इन वेंटिलेटरों की समस्या को उठाया था। राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र एवं गुजरात में भी इन वेंटिलेटरों में अलग-अलग समस्याएं मीडिया में रिपोर्ट की गई हैं। इन वेंटिलेटरों की समस्या से अवगत करवाने एवं इनको जल्द से जल्द ठीक करवाने के लिए राजस्थान सरकार की ओर से दो पत्र सचिव स्तर पर एवं एक पत्र मंत्री स्तर पर भारत सरकार को लिखे गए, जिससे इन्हें ठीक करवाया जा सके। राजस्थान में सभी वेंटिलेटर्स की मेंटिनेंस के लिए भारत सरकार द्वारा नियुक्त कंपनी ने 11 सदस्य भेजने की बात कही थी, लेकिन यहां सिर्फ 6 लोग ही कार्य कर रहे हैं। ये शिकायत पर वेंटिलेटर्स को ठीक करने गए, लेकिन अनुभव की कमी के कारण ये ठीक नहीं कर कर पा रहे हैं जिससे डॉक्टर संतुष्ट नहीं हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जांच करवानी चाहिए कि ऐसे डिफेक्टिव वेंटिलेटर्स की खरीद कैसे हुई, इनसे रोगियों की जान को खतरा हो सकता है।
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