कोरोना से मुकाबला

कोरोना से मुकाबला

तीसरी लहर के दौरान देश में कोरोना के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यों को व्यावहारिक उपायों पर गौर करने की सलाह दी है।

तीसरी लहर के दौरान देश में कोरोना के बढ़ते मामलों से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यों को व्यावहारिक उपायों पर गौर करने की सलाह दी है। गुरुवार को मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में मोदी ने मुख्यमंत्रियों से कहा कि जो भी उपाय करें, उनमें इस बात का विशेष ध्यान रखें कि लोगों के रोजगार पर कोई असर न पड़े। पहली लहर से निपटने और महामारी से लोगों को बचाने के लिए केन्द्र सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया था। ऐसा कठोर कदम इसलिए उठाया कि उस दौर में हालात काफी खराब और बेकाबू थे। केन्द्र व राज्यों के पास इलाज संबंधी पूरे बंदोबस्त नहीं थे। कोरोना से जंग की कमान केन्द्र ने संभाल रखी थी और राज्य सरकारें केन्द्र के निर्देशों के अनुसार ही कोरोना से जंग में जुटी हुई थी। लॉकडाउन की वजह से देश की आर्थिक दशा काफी खराब हो गई और करोड़ों लोगों के रोजगार छिन गए और लोगों के सामने रोटी-रोजी का संकट गहरा गया। दूसरी लहर में भी हालात लगभग ऐसे ही बने हुए थे, लेकिन अब तीसरी लहर में हालात अलग बने हुए हैं। अब पूरी तरह और लंबा लॉकडाउन व्यावहारिक कतई नहीं माना जा सकता। अब राज्यों को अपने स्तर ही कोरोना से जंग को लड़ना होगा। उनकी मुख्य जिम्मेदारी यह होनी चाहिए कि संक्रमण का प्रसार न हो और मरीजों के इलाज में कोई कमी नहीं रहे। जिन-जिन राज्यों में संक्रमण का तेजी से प्रसार हो रहा है, उनमें कुछ प्रतिबंधों को लागू किया जा रहा है। हालांकि कुछ राज्यों में इससे लोगों को परेशानी हो रही है, लेकिन ऐसे उपाय भी जरूरी है। सरकारों को संक्रमण का प्रसार रोकने के मामले में पहली प्राथमिकता तो बाजारों में बढ़ती भीड़ पर नियंत्रण पाने की होनी चाहिए। अस्पतालों में इलाज के सभी तरह के बंदोबस्त पुख्ता होने चाहिए। साथ टीकाकरण में भी तेजी लानी चाहिए। बैठक में मोदी के ठोस सुझावों पर अमल सुनिश्चित कर संकट से पार पाने की कोशिशें जारी रखी जानी चाहिए। सरकारों व लोगों को अधिकतम सतर्कता बरतने की काफी जरूरत है। क्योंकि ओमिक्रॉन के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं और देश में दहशत भी काफी है। अब तो संक्रमितों की संख्या बढ़ने के साथ ही मौतों के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं। ओमिक्रॉन और कोरोना के डेल्टा स्वरूप  के मामले साथ-साथ बढ़ रहे हैं। चुनौतीपूर्ण हालात के चलते भी कुछ सरकारें भी लापरवाही बरत रही हैं और लोग भी लापरवाही से बाज नहीं आ रहे हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो कोरोना से मुकाबला मुश्किल ही होगा।

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