सफल टीकाकरण
देश के लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान का एक साल पूरा हो गया है।
देश के लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए टीकाकरण अभियान का एक साल पूरा हो गया है। पिछले एक साल में भारत की वयस्क आबादी के 70 प्रतिशत लोगों को कोरोना के दोनों टीकों की खुराक दी जा चुकी है। जबकि 90 प्रतिशत से अधिक लोगों को एक बार का टीका लगाया जा चुका है। इसके अलावा इस महीने से 15 से 18 साल के बीच की आयु के युवकों को भी टीका लगाना शुरू कर दिया गया है। टीकाकरण अभियान के ये आंकड़े यह दर्शाने को काफी है कि भारत संकट के समय एकजुट होकर हर संकट की चुनौती का सामना करने में सक्षम है। संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान मीडिया से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में इस बात पर चिंता व्यक्त की जा रही थी कि भारत अपनी बड़ी आबादी के टीकाकरण में कैसे सफल हो पाएगा, लेकिन केन्द्र की सरकार ने एक सुनियोजित टीका नीति बनाई और भरोसा दिलाया कि दिसंबर 2021 तक युद्ध स्तर पर कार्यक्रम चलाकर सभी को टीके लगा दिए जाएंगे। हालांकि अभी तक पूरी आबादी के टीके नहीं लगाए जा सके हैं, तो इसके पीछे कुछ लोग स्वयं ही जिम्मेदार हैं। आज देश में टीकों की उपलब्धता में कमी नहीं है, लेकिन काफी लोगों ने आज भी टीकों से दूरी बनाई हुई है। बहरहाल, जिन लोगों ने टीके की पहली व दोनों डोज ले ली हैं, उन्हें तात्कालिक तौर पर कोरोना से बचाव का सुरक्षा कवच मिल गया है और जान जोखिम में पड़ने से बची है। इसमें तो कोई संदेह नहीं कि कोरोना महामारी से जंग में टीका निर्णायक साबित हुआ है। तीसरी लहर के दौरान यह बात सामने भी आई है। इस बार मौतों के जितने भी मामले सामने आ रहे हैं, उनमें से अधिकतर वे लोग हैं, जिन्होंने टीके की एक भी डोज नहीं ली है। हालांकि दोनों डोज लगवाने वालों की भी मौतें हुई हैं, लेकिन उनमें अधिकांश लोग वे हैं, जो अन्य गंभीर बीमारियों से पहले से ही ग्र्रस्त थे। फिर भी टीकाकरण ने करोड़ों लोगों को सुरक्षा घेरे में ला दिया है। टीकाकरण में तेजी उस वक्त आई जब 1 मई 2021 को 18 साल से ऊपर की वयस्क आबादी को टीकों की घोषणा हुई। इसके बाद 3 जनवरी से 15 से 18 साल के किशोरों को टीका लगाने का काम शुरू हो चुका है। मार्च माह में 12 से 14 साल के बच्चों को भी टीके लगाने की घोषणा केन्द्र सरकार ने की है। टीकाकरण अभियान को पूरी गति से जारी रखा जाना चाहिए।
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