अंग्रेजों ने 114 साल पहले बनाया था किसानों की जमीन कुर्क और नीलाम करने का कानून

अंग्रेजों ने 114 साल पहले बनाया था किसानों की जमीन कुर्क और नीलाम करने का कानून

14 सरकारें, 11 सीएम आए, किसी ने भी नहीं ली कर्जदार किसानों की सुध, अब सरकार ने भेजा तो मामला राजभवन और केंद्र में अटका

जयपुर। किसानों की ऋणशुदा जमीन को कुर्क या नीलाम करने के जिस कानून को लेकर प्रदेश में एक सप्ताह से बवाल मचा हुआ है, वह 114 साल पहले 1908 में बना था। इस कानून को अंग्रेज सरकार ने बनाया था। हालांकि इस कानून में संशोधन के लिए राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पिछले साल अक्टूबर महीने में नया बिल लेकर आई थी, लेकिन वह केन्द्र और राज्य सरकार के बीच कृषि कानूनों को लेकर उपजे विवाद में फंस कर रह गया। अगर कोई भी बैंकों से अपनी अचल संपत्ति गिरवी रखकर ऋण लेता है, और बार-बार आग्रह पर भी किस्तें जमा नहीं होती तो उसे कुर्क अथवा नीलाम करने का कानून सन् 1908 में बनाया गया था। उसका नाम सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 है, और केन्द्रीय अधिनियम संख्या पांच की धारा 60 में इस तरह का प्रावधान किया गया था। इस कानून में प्रावधान है कि ऐसी संपत्ति जो डिक्री के निष्पादन में कुर्क और विक्रय की जा सकेगी। इस संपत्ति में किसानों की जमीन, अन्य भूमि, गृह, अन्य निर्माण, माल, धन, बैंक नोट, चैक, विनिमय पत्र, हुण्डी, वचन पत्र, सरकारी प्रतिभूतियां और धन के लिए वैध पत्र शामिल है।

कानून में ये किए संशोधन
राजस्थान सरकार ने इस 113 साल पुराने कानून में संशोधन के लिए 31 अक्टूबर 2020 को विधानसभा में एक बिल पेश किया। इसका नाम सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 है, जो सदन में चर्चा के बाद इसे दो नवम्बर को ही पारित कर राज्यपाल के पास भेजा गया। इस संशोधन विधेयक में प्रावधान किया गया था कि किसानों की ऋणशुदा जमीनों को न तो कुर्क किया जा सकेगा और विक्रय किया जा सकेगा। इस नए कानून में किसानों की जमीन, शिल्पी औजार और किसान के दूध देने वाले ऐसे ढोर (जिनके दो साल में ब्याना संभाव्य है) खेती के उपकरण, जो किसान को समर्थ बनाने के लिए आवश्यक है, को शामिल किया गया था।

अब इस कानून का कोई औचित्य नहीं
राजभवन के सूत्रों के अनुसार जब केन्द्र सरकार ने नए कृषि कानून बनाए थे, तब राजस्थान सरकार ने भी अपने चार अलग कानून बनाए थे। इनमें सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 के साथ ही आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक-2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण)कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक-2020 और कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण)(राजस्थान संशोधन) विधेयक-2020 शामिल है। अब जब केन्द्र सरकार ने अपने तीनों कानून वापस ले लिए, तो इन कानूनों का भी कोई औचित्य नहीं रह जाता।

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