ओमिक्रॉन का प्रसार

ओमिक्रॉन का प्रसार

भारत सरकार की 38 प्रयोगशालाओं के समूह इंसाकोग ने पहली बार इस बात की पुष्टि की है कि देश में ओमिक्रॉन का सामुदायिक प्रसार हो चुका है।

भारत सरकार की 38 प्रयोगशालाओं के समूह इंसाकोग ने पहली बार इस बात की पुष्टि की है कि देश में ओमिक्रॉन का सामुदायिक प्रसार हो चुका है। ऐसे में माना जा सकता है कि देश में कोरोना महामारी का खतरा बढ़ चुका है। हाल में जारी सरकारी आंकड़ा बता रहा कि महामारी की शुरूआत से लेकर अब तक देश में चार करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। 23 जून 2021 तक संक्रमितों की संख्या तीन करोड़ के पार निकल चुकी थी। अब यह चार करोड़ से ज्यादा है। इसका मतलब है कि 6 महीने में एक करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमण की चपेट में आ गए हैं। रोजाना संक्रमितों की संख्या अभी भी 3 लाख के करीब बनी हुई है। संक्रमण से मरने वालों की संख्या हफ्ते भर से लगातार बढ़ रही है। पहले पहल ओमिक्रॉन को कम में आंका जा रहा था, लेकिन अब यह संकट खड़ा करता दिखाई दे रहा है। कोरोना से मारे गए लोगों का आंकड़ा 4 लाख 90 हजार से ज्यादा हो गया है। आने वाले कुछ दिनों में यह आंकड़ा 5 लाख को पार कर सकता है। हालांकि हालात तेजी से ऊपर-नीचे होते भी देखे जा रहे हैं, तो यह अभी पूरी तरह से नहीं कहा जा सकता कि तीसरी लहर अपनी पीक पर आ चुकी है अथवा नहीं। लेकिन यह मानकर चला जाना चाहिए कि खतरा बढ़ रहा, क्योंकि ओमिक्रॉन का भी एक नया स्वरूप सामने आया है जो संकट को बढ़ा सकता है। इसका सामुदायिक प्रसार हालात को खतरे में डालता दिख रहा है। संक्रमितों की संख्या रोज बढ़ रही है, तो मरने वालों की भी। सामुदायिक प्रसार में सबसे बड़ा संकट इस बात का खड़ा हो गया है कि संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने वालों की जांच का कोई मतलब नहीं बनता। अब यह भी पता नहीं चल सकता कि कौन किसको संक्रमित कर रहा है। यही स्थिति बेहद खतरनाक मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि ओमिक्रॉन का वायरस अब तक के सारे कोरोना स्वरूपों में सबसे ज्यादा लंबे समय तक जिंदा रहने वाला रूप हैं। इसके फैलने की गति भी कई गुना ज्यादा है। ओमिक्रॉन के नए स्वरूप बीए-2 का तो जांच में पता नहीं चल रहा है। यानी जांच का भी कोई उपयोग नहीं रहा। आसानी से अंदाज लगाया जा सकता है कि कोरोना से जल्द मुक्ति मिलने वाली नहीं है। सरकारों व लोगों को सावधान होकर ही रहना पड़ेगा।

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