संडे स्टोरी: दमखम के खेल में ‘नन्हे कदम’ : पोलो और घुड़सवारी में पल रहे अब बेटियों के अरमान

संडे स्टोरी: दमखम के खेल में ‘नन्हे कदम’ : पोलो और घुड़सवारी में पल रहे अब बेटियों के अरमान

साहस, दमखम और रोमांच के खेल पोलो और घुड़सवारी में पुरुष खिलाड़ियों का वर्चस्व रहा है लेकिन जिस तरह नौजवान लड़कियों का रुझान इस खेल की ओर बढ़ रहा है, कहा जा सकता है आने वाले समय में महिलाएं भी पीछे नहीं रहेंगी।

 जयपुर। साहस, दमखम और रोमांच के खेल पोलो और घुड़सवारी में पुरुष खिलाड़ियों का वर्चस्व रहा है लेकिन जिस तरह नौजवान लड़कियों का रुझान इस खेल की ओर बढ़ रहा है, कहा जा सकता है आने वाले समय में महिलाएं भी पीछे नहीं रहेंगी। जयसिंहपुरा स्थित जयपुर राइडिंग एण्ड पोलो क्लब में 8-9 साल से 14 साल की कई नन्ही लड़कियां घोड़ों पर अपने कर्तब दिखाती देखी जा सकती हैं। ऐसी ही कुछ और एकेडमियां जयपुर में चल रही हैं। राजस्थान पोलो क्लब पिछले तीन-चार साल से खेल में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए दिया कुमारी फाउंडेशन के जरिए जयपुर पोलो सत्र में महिलाओं के लिए अलग से मैच रहा है लेकिन खेल के लिए देशभर से पूरी आठ महिला खिलाड़ी भी नहीं मिल पातीं। पिछले वर्ष जयपुर सत्र में मोनिका सक्सेना, राजवी सेन, सान्या सुहाग, विजयश्री शेखावत, निकिता पंडित, एश्ले पारीख, संजुला मान और शिवांगी सिंह खेलीं। इनमें जयपुर से सिर्फ दो खिलाड़ी संजुला मान और शिवांगी सिंह हैं।

  रुद्राक्षी शेखावत
ओलंपियन बास्केटबाल खिलाड़ी जोरावर सिंह के परिवार की रुद्राक्षी शेखावत के पिता डीपी सिंह भी बास्केटबाल के राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं लेकिन बेटी का रुझान घुड़सवारी में है। एमजीडी स्कूल में नौवीं कक्षा की छात्रा रुद्राक्षी छह साल से हॉर्स राइडिंग कर रही हैं और शो जंपिंग और पोलो के खेल में नाम कमाना चाहती हैं।

रिया       सिया अग्रवाल
एमजीडी स्कूल की ही रिया और सिया अग्रवाल भी हॉर्स जम्पिंग की ट्रेनिंग ले रही हैं।  तेरह साल की रिया और सिया जुड़वां बहनें हैं और चार साल से जेआरपीसी में खेल के गुर सीख रही हैं।

आध्या बिश्नोई
मात्र नौ साल की आध्या जेआरपीसी में ट्रेनिंग ले रही सबसे कम उम्र की खिलाड़ी हैं। आध्या नीरजा मोदी स्कूल में कक्षा चार में पढ़ रही है और टेलीविजन पर हॉर्स राइडिंग का रोमांच देख इस खेल की ओर आकर्षित हुईं।

परीक्षिता राठौड़
चौदह साल की परीक्षिता बड़ी बहन को हॉर्स राइडिंग करते देख इस खेल की ओर आकर्षित हुई। एमजीडी की परीक्षिता ने करीब डेढ़ साल पहले कोरोना लॉकडाउन के दौरान ही घुड़सवारी की ट्रेनिंग शुरू की।

तेजस्वी राणावत
भीलवाड़ा की तेजस्वी का परिवार अब वैशाली नगर में रह रहा है। तेजस्वी को बचपन से ही घोड़ों से लगाव रहा और एक साल से वह घुड़सवारी से जुड़ी हैं। चौदह साल की तेजस्वी का सपना इस खेल में शीर्ष मुकाम हासिल करना है।

अभिश्री सिंह
अभिश्री का सपना है घुड़सवारी में देश की नुमाइंदगी करना और इसी सपने को पूरा करने के लिए तीन साल से ट्रेनिंग कर रही हैं। अजमेर मेयो गर्ल्स स्कूल की 13 वर्षीय अभिश्री के भाई अभिराज सिंह भी हॉर्स राइडिंग से जुड़े हैं।

नायशा शेखावत
ग्यारह साल की नायशा भांकरोटा में डीपीएस में 5 वीं की छात्रा है। परिवार के साथ रणथम्भोर घूमने गई नायशा ने पहली बार हॉर्स सफारी की और वहीं से हॉर्स राइडिंग का शौक जगा।

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