विधायकों को राजनीतिक पदों पर नियुक्त करने का मुद्दा गरमाया : भाजपाइयों ने संविधान के खिलाफ बताते हुए कोर्ट में चुनौती देने का किया ऐलान

विधायकों को राजनीतिक पदों पर नियुक्त करने का मुद्दा गरमाया : भाजपाइयों ने संविधान के खिलाफ बताते हुए कोर्ट में चुनौती देने का किया ऐलान

इस विवाद के बीच कांग्रेसियों ने इन नियुक्तियों को सही ठहराया है। उनका तर्क है कि किसी भी विधायक को मंत्री का दर्जा नहीं दिया गया।

 जयपुर। कांग्रेस पार्टी और समर्थित 11 विधायकों को राजनीतिक नियुक्तियां देने का मामला एक दिन बाद ही गरमा गया। भाजपाइयों ने इस संविधान के खिलाफ बताते हुए कोर्ट में चुनौती देने का एलान किया है। इस विवाद के बीच कांग्रेसियों ने इन नियुक्तियों को सही ठहराया है। उनका तर्क है कि किसी भी विधायक को मंत्री का दर्जा नहीं दिया गया। राज्य सरकार ने बुधवार को 44 बोर्डों, निगमों और आयोगों में 58 लोगों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पदों पर नियुक्त किया है। इनमें विधायक महादेव सिंह खण्डेला, दीपचंद खैरिया, रफीक खान, खिलाड़ीलाल बैरवा, मेवाराम जैन, हाकम अली खान, लाखन मीणा, जोगिन्द्र सिंह अवाना, कृष्णा पूनिया, लक्ष्मण मीणा, रमीला खड़िया को भी राजनीतिक पदों पर नियुक्त किया है।

सरकार ने किया आर्टिकल 164 और 194 का उल्लंघन: राठौड़
भाजपा के उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने इन विधायकों को बोर्ड, निगम और आयोग में नियुक्ति देने को संविधान के खिलाफ  बताया है। उन्होंने कहा ऐसे पदों पर विधायकों की नियुक्तियों को लेकर पहले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले आ चुके हैं। विधायकों की ऐसी नियुक्तियों को लाभ का पद मानते हुए अलग से मानदेय या सुविधा नहीं दी जा सकती। प्रदेश सरकार ने आर्टिकल 164 और 194 का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि कानूनी जानकारों की राय लेकर इसे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। राज्य सरकार को इन नेताओं को पदों से हटाना पड़ेगा। इन नियुक्तियों को लेकर विधायक और भाजपा के प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा ये सरकार अवैधानिक और असंवैधानिक काम कर रही है। अगर विधायकों की ये नियुक्तियां गैर कानूनी है, तो भाजपा इसका मुद्दा भी उठाएगी।

विधिक परामर्श के बाद ही नियुक्तियां की गई: लोढ़ा
नियुक्तियों को लेकर राज्य सरकार का पक्ष लेते हुए संयम लोढ़ा ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि विधिक परामर्श के बाद ही नियुक्तियां की गई हैं। किसी भी विधायक को मंत्री स्तर का कोई दर्जा नहीं दिया गया है। विधायक के अलावा किसी तरह का लाभ नहीं दिया गया है। राजेन्द्र राठौड़ का बयान पूरी तरह बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित है। काबीना मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि राजेन्द्र राठौड़ को झूठ बोलने की आदत है। भाजपा में सतीश पूनिया, राजेन्द्र राठौड़ और गुलाबचन्द कटारिया में नेता बनने की होड़ लगी हुई है।

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